ऐपल ब्राउजर के लिए 'सफारी' नाम नहीं था स्टीव जॉब्स की पहली पसंद, सामने आई जानकारी
क्या है खबर?
दुनिया के सबसे लोकप्रिय इंटरनेट ब्राउजर्स में शामिल सफारी का नाम पहले कुछ और रखे जाने पर विचार हो रहा था।
ऐपल डिवाइजेस में मिलने वाले नेटिव वेब ब्राउजर के नाम को लेकर 'सफारी' कंपनी के फाउंडर स्टीव जॉब्स की पहली पसंद नहीं था।
इससे जुड़ी जानकारी पूर्व ऐपल इंजीनियर डॉन मेल्टन ने अपनी ब्लॉग पोस्ट में दी है।
बता दें, डॉन ऐपल के सफारी प्रोजेक्ट को लीड कर रहे थे।
पोस्ट
पूर्व इंजीनियर ने ब्लॉग पोस्ट में दी जानकारी
Slate.com के मुताबिक, सफारी प्रोजेक्ट लीड कर चुके पूर्व ऐपल इंजीनियर डॉन मेल्टन ने अपने ब्लॉग पोस्ट में बताया है कि स्टीव जॉब्स सफारी ब्राउजर का नाम कुछ और रखना चाहते थे।
उनके मुताबिक, वेब ब्राउजर के डिवेलपमेंट के दौरान इसे अलेक्जेंडर द ग्रेट के नाम पर अलेक्जेंडर कोडनेम मिला था।
हालांकि, स्टीव जॉब्स ने इसे अलग-अलग नामों से बुलाना शुरू कर दिया था, जिनके साथ वह बोलने में आसान और याद रहने लायक नाम की तलाश कर रहे थे।
नाम
'फ्रीडम' हो सकता था सफारी ब्राउजर का नाम
मेल्टन ने बताया स्टीव जॉब्स पहले इस ब्राउजर का नाम 'फ्रीडम' रखना चाहते थे और नाम पर जाकर रुके थे।
उनका कहना है कि इस नाम का मतलब माइक्रोसॉफ्ट के इंटरनेट एक्सप्लोरर से आजादी दिलाना था, जो तब मैकOS के लिए उपलब्ध डिफॉल्ट वेब ब्राउजर होता था।
हालांकि, बाद में फाइनल रिलीज से पहले इस प्रोडक्ट का नाम बदला गया और आज इस ब्राउजर की पहचान सफारी नाम के साथ है।
वजह
सफारी क्यों रखा गया ब्राउजर का नाम?
ब्लॉग पोस्ट में मिल्टन ने बताया, "मुझे आज तक नहीं पता कि ब्राउजर के नाम के लिए सफारी सुझाव किसने दिया था।"
उन्होंने कहा कि जब प्रोडक्ट के तौर पर ब्राउजर के नाम पर चर्चा हो रही थी, तो मैं उस रूम में नहीं था।
मिल्टन ने कहा, "तो जिसने भी ब्राउजर को सफाई नाम दिया। थैंक यू।"
प्रोडक्ट्स डिजाइन करने से लेकर उनके नाम रखने में ऐपल ने पूरा वक्त लिया और यही बात सफारी पर लागू होती है।
प्रोजेक्ट
साल 2002 में शुरू हुआ था सफारी प्रोजेक्ट
ऐपल ने सफारी प्रोजेक्ट पर साल 2002 में काम शुरू किया था और इसे साल 2003 में वर्ल्डवाइड डिवेलपर्स कॉन्फ्रेंस (WWDC) कॉन्फ्रेंस में लॉन्च किया गया था।
सफारी वेब ब्राउजर को इसी इवेंट में नए मैक डिवाइसेज के लिए डिफॉल्ट वेब ब्राउजर बनाया गया था।
शुरुआती वर्जन में ही इस वेब ब्राउजर में गूगल सर्च, टैब ब्राउजिंग और पॉप-अप ब्लॉकिंग जैसे जरूरी फीचर्स शामिल किए गए थे।
अब सफारी ऐपल इकोसिस्टम का महत्वपूर्ण हिस्सा बन चुका है।
डिजाइन
आईफोन के डिजाइन में भी बदलाव चाहते थे जॉब्स
स्टीव जॉब्स ओरिजनल आईफोन में सिम कार्ड का विकल्प नहीं देना चाहते थे।
'फादर ऑफ आईपॉड' कहे जाने वाले इन्वेन्टर टोनी फेडेल ने अपनी किताब 'बिल्ड: एन ऑर्थोडॉक्स गाइड टू मेकिंग थिंग्स वर्थ मेकिंग' के प्रमोशन के दौरान यह दावा किया।
फेडेल ने बताया कि स्टीव जॉब्स को ओरिजनल आईफोन में फिजिकल सिम कार्ड स्लॉट देने का आइडिया खास पसंद नहीं था।
जॉब्स आईफोन को एक सिंपल डिवाइस के तौर पर देखना चाहते थे, जिसमें 'एक और होल' ना हो।
जानकारी
न्यूजबाइट्स प्लस
ऐपल की ओर से पहला आईफोन 9 जनवरी, 2007 को लॉन्च किया गया था। यह आईफोन 2G कनेक्टिविटी पर चलता था और 4GB बेस मॉडल के लिए इसकी कीमत 499 डॉलर (करीब 38,700 रुपये) रखी गई थी।