एलन मस्क की स्टारलिंक भारत में मुश्किल में फंसी, इसलिए दर्ज हो सकता है क्रिमिनल केस
एलन मस्क की कंपनी स्टारलिंक पूरी दुनिया को सैटेलाइट इंटरनेट से जोड़ने की कोशिश में लगी है और इसकी बीटा टेस्टिंग चल रही है। हालांकि, भारत में स्टारलिंक मुश्किलों में फंस चुकी है और एक नॉन-प्रॉफिट ऑर्गनाइजेशन टेलिकॉम वॉचडॉग ने इसके खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज करवाया है। NGO ने टेलिकॉम रेग्युलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) को लेटर भी लिखा है और आरोप लगाया है कि स्टारलिंक भारतीय यूजर्स के साथ धोखा कर रही है।
क्या है एलन मस्क का स्टारलिंक प्रोजेक्ट?
स्टारलिंक दरअसल लो-अर्थ ऑर्बिटर (पृथ्वी की निचली कक्षा) में भेजे गए ढेर सारे छोटे सैटेलाइट्स का नेटवर्क है, जिसकी मदद से सुदूर क्षेत्रों में इंटरनेट सेवा दी जाएगी। सामान्य सैटेलाइट्स के मुकाबले स्टारलिंक के सैटेलाइट्स पृथ्वी की सतह से 60 गुना पास हैं। इतना पास होने के चलते स्टारलिंक बेहतर लेटेंसी और इंटरनेट स्पीड यूजर्स को देगी। कंपनी ने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के साथ मिलकर सैटेलाइट्स की चमक कम रखी है, जिससे अंतरिक्ष ऑब्जर्वेशन के दौरान दिक्कत ना आए।
स्टारलिंक के खिलाफ कार्रवाई की मांग
टेलिकॉम वॉचडॉग के सेक्रेटरी वी रघुनंदन ने TRAI को लेटर लिखकर स्टारलिंक के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने लिखा, "हम आपसे अनुरोध करते हैं कि स्टारलिंक की अवैध गतिविधि को रोकने के लिए तुरंत कार्रवाई की जाए और इसके खिलाफ धोखाधड़ी के लिए भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 420 में क्रिमिनल केस दर्ज किया जाए।" स्टारलिंक के कंट्री डायरेक्टर संजय भार्गव का कहना है कि भारत में 5,000 से ज्यादा यूजर्स स्टारलिंक की प्री-बुकिंग कर चुके हैं।
भारतीय यूजर्स कर सकते हैं स्टारलिंक की प्री-बुकिंग
स्टारलिंक दरअसल स्पेस-X की सैटेलाइट आधारित इंटरनेट सेवा है, जिसके लिए भारत में भी इस साल की शुरुआत से प्री-ऑर्डर शुरू हो गए हैं। भारत के चुनिंदा शहरों, अहमदाबाद (गुजरात), तदेपलिंगम (आंध्र प्रदेश) और इंदौर (मध्य प्रदेश) में इसकी प्री-बुकिंग की जा सकती है। इसके लिए कंपनी 99 डॉलर (करीब 7,350 रुपये) का रिफंडेबल डिपॉजिट करवा रही है और यूजर्स को इसके साथ 50Mbps से 150Mbps तक की स्पीड मिल सकती है।
भारत में अगले साल शुरू हो सकती है सेवा
स्टारलिंक की सेवाएं अभी भारत में उपलब्ध नहीं हैं और इनकी शुरुआत अगले साल 2022 में होने की उम्मीद है। भारत में स्टारलिंक की प्री-बुकिंग मार्च, 2021 से शुरू हुई है और आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर ऐसा किया जा सकता है।
स्टारलिंक के पास जरूरी लाइसेंस नहीं
NGO ने दावा किया है कि एलन मस्क की कंपनी भारत में लाइसेंस मिलने से पहले ही यूजर्स से पैसे ले रही है। कंपनी बिना कोई परमिट लिए और आधिकारिक ऐप्लिकेशन दिए ही भारतीय यूजर्स से अमेरिकी डॉलर में पैसे ले रही है। इसके अलावा स्टारलिंक ने अपनी सेवा से जुड़े कोई नियम और शर्तें नहीं बताई हैं। प्री-बुकिंग के बाद मेसेज दिखता है कि इंटरनेट सेवा से जुड़ी कोई गारंटी नहीं है।
RBI गाइडलाइन्स के खिलाफ ले रही पैसे
लेटर में कहा गया है कि स्टारलिंक भारतीय यूजर्स से पैसे लेकर RBI गाइडलाइन्स का उल्लंघन कर रही है। नियम है कि कोई कंपनी भारत में अपनी सेवाएं देने के लिए विदेशी कंरेसी में रसीद दे सकती है लेकिन उसे ग्राहकों से पैसे भारतीय मुद्रा में ही लेने होते हैं। स्टारलिंक का कहना है कि कंपनी भारत में ब्रॉडबैंड इंटरनेट को बढ़ावा देने के लिए सरकार से बात करेगी लेकिन सरकार की ओर से इसपर कुछ नहीं कहा गया है।
आयरलैंड में रजिस्टर्ड है स्टारलिंक कंपनी
डिपार्टमेंट ऑफ टेलीकम्युनिकेशंस (DoT) की वेबसाइट की मानें तो स्टारलिंक आयरलैंड में रजिस्टर्ड है। कंपनी ने भारत में लाइसेंस और डिस्ट्रिब्यूशन से जुड़ी परमिशंस नहीं ली हैं। इससे पहले ब्रॉडबैंड इंडिया फोरम ने TRAI और ISRO को पत्र लिखकर कहा था कि स्पेस-X को दिया जा रहा निवेश रोका जाना चाहिए। फोरम ने कंपनी की भारतीय मार्केट में मौजूदगी को लेकर सवाल उठाए थे और स्टारलिंक से जुड़ी गाइडलाइन्स पर चर्चा की थी।