केंद्र सरकार के यू-टर्न के बाद फिर से विवादों में 'कोवैक्सिन', कांग्रेस ने खड़े किए सवाल
भारत बायोटेक की कोरोना वायरस वैक्सीन 'कोवैक्सिन' एक बार फिर से विवादों में हैं और इस बार इसका कारण है केंद्र सरकार का यू-टर्न। पहले केवल आपातकालीन परिस्थितियों और बतौर बैकअप इसका इस्तेमाल करने की बात कहने वाली सरकार ने अब कहा है कि शुरूआती दौर में लोगों के पास कौन सी वैक्सीन लगवानी है, इसका विकल्प नहीं होगा। कांग्रेस ने इस पर सवाल खड़े किए हैं और लोगों को 'बलि का बकरा' बनाए जाने की बात कही है।
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, भारत बायोटेक की कोवैक्सिन को तीसरे चरण के ट्रायल पूरे हुए बिना ही 3 जनवरी को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी दे दी गई थी और इस मंजूरी पर गंभीर सवाल उठे थे। इन सवालों पर सफाई देते हुए केंद्र सरकार ने कहा था कि कोवैक्सिन का उपयोग केवल अचानक से मामले बढ़ने की आपातकालीन स्थिति या बैकअप के तौर पर किया जाएगा और लोगों को इसकी खुराक देने से पहले उनकी मंजूरी ली जाएगी।
मंगलवार को सरकार ने लिया यू-टर्न, बोली- लोगों के पास नहीं होगा विकल्प
मंगलवार को सरकार अपने इस पुराने रूख से पलट गई और एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुख्य सचिव राजेश भूषण ने कहा कि शुरू में लोगों के पास ये चुनने का विकल्प नहीं होगा कि उन्हें कोवैक्सिन लगाई जाएगी या सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) की कोविशील्ड। इसके मतलब अगर लोगों को कोवैक्सिन लगाई जाती है तो उन्हें वह भी लगवानी होगी और उनके पास इसका विकल्प नहीं होगा।
कांग्रेस सांसद ने खड़े किए यू-टर्न पर सवाल
अब कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने केंद्र सरकार के इस यू-टर्न पर सवाल खड़े किए हैं। समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए उन्होंने कहा, "सरकार ने कोवैक्सिन को आपातकालीन उपयोग के लिए लाइसेंस दिया था। अब सरकार कह रही है कि लाभार्थी जो वैक्सीन उन्हें दी जानी है, उसका चयन नहीं कर सकेंगे। जब कोवैक्सिन के तीसरे चरण के ट्रायल पूरे नहीं हुए हैं, तब यह इसकी प्रभावकारिता पर कई सवाल खड़े करता है।"
भारतीय बिल के बकरे नहीं- तिवारी
पहले भी कोवैक्सिन को आपातकालीन उपयोग की मंजूरी पर सवाल खड़े कर चुके तिवारी ने आगे कहा, "सरकार को इसकी प्रभावकारिता और विश्वसनीयता स्थापित होने और तीसरे चरण के ट्रायल पूरे होने तक कोवैक्सिन का वितरण नहीं करना चाहिए। उसको इस तरीके से काम करना चाहिए कि लोगों को पूरा भरोसा बना रहे। आप वितरण को तीसरे चरण के ट्रायल के तौर पर प्रयोग नहीं कर सकते, भारतीय गिनी पिग (बलि के बकरे) नहीं हैं।"
भारत बायोटेक ने ICMR के साथ मिलकर विकसित की है कोवैक्सिन
बता दें कि भारत बायोटेक ने कोवैक्सिन को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर विकसित किया है और ये पूरी तरह से स्वदेशी वैक्सीन है। इसे कोरोना वायरस को ही निष्क्रिय करके विकसित किया गया है। इसके लिए ICMR ने भारत बायोटेक को जिंदा वायरस प्रदान किया था, जिसे निष्क्रिय करके कंपनी ने वैक्सीन विकसित की। वैक्सीन का तीसरे चरण का ट्रायल अभी जारी है और इस बीच लाखों खुराकें देश के अलग-अलग केंद्रों पर पहुंच गई हैं।