कोरोना वायरस की वैक्सीन बनाने की रेस में सात भारतीय कंपनियां, जानें कौन कहां पहुंची
क्या है खबर?
कोरोना वायरस महामारी ने भारत में तबाही मचाई हुई है और रविवार को देश में पहली बार 40,000 से अधिक नए मामले सामने आए। देश में अब तक 11 लाख लोगों को इस खतरनाक वायरस से संक्रमित पाया जा चुका है, वहीं 27,497 की मौत हुई है।
वैक्सीन को इस महामारी को हराने के एकमात्र रास्ते के तौर पर देखा जा रहा है और भारत की सात कंपनियां इस रेस में लगी हुई हैं। आइए इनके बारे में जानते हैं।
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भारत बायोटेक की 'कोवाक्सिन' वैक्सीन
हैदराबाद की भारत बायोटेक कंपनी भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर कोवाक्सिन नाम से वैक्सीन बना रही है। ये पहली ऐसी वैक्सीन थी जिसे भारत में इंसानी ट्रायल की मंजूरी मिली थी और इसका पहला और दूसरे चरण का ट्रायल शुरू हो चुका है।
केंद्र सरकार ने इस वैक्सीन को अपना समर्थन दिया है और इसके जल्द से जल्द बाजार में आने पर दांव लगा रही है। साल के अंत से पहले इसका बाजार में आना मुश्किल है।
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जायडस सैडिला की 'ZyCoV-D' वैक्सीन
भारत की फार्मा कंपनी जायडस सैडिला भी 'ZyCoV-D' नाम से कोरोना वायरस की वैक्सीन बना रही है और ये दूसरी ऐसी वैक्सीन है जिसे भारत में इंसानी ट्रायल की मंजूरी मिली है।
वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण का ट्रायल शुरू हो चुका है और इंसानों में इसकी पहली डोज डाली जा चुकी है।
कंपनी सात महीने के अंदर ट्रायल पूरा करने का लक्ष्य लेकर चल रही है और ये अगले साल की शुरूआत में बाजार में आ सकती है।
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ऑक्सफोर्ड वैक्सीन में सीरम इंस्टीट्यूट की साझेदारी
भारत के सीरम इंस्टीस्यूट ने भी कई विदेशी संगठनों के साथ वैक्सीन बनाने का अनुबंध किया है और ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सटी और एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन इन्हीं में शामिल है।
ये वैक्सीन दुनियाभर में रेस में सबसे आगे चल रही है और इसका तीसरे चरण का ट्रायल शुरू हो चुका है। सीरम इंस्टीट्यूट अगस्त में इसका भारत में ट्रायल शुरू करेगा और कंपनी को उम्मीद है कि साल के अंत तक ये बाजार में होगी।
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पेनासिया बायोटेक और इंडियन इम्युनोलॉजिक्स भी विदेशी संगठनों के साथ बना रहे वैक्सीन
भारत की पेनासिया बायोटेक भी कोरोना वायरस की वैक्सीन बना रही है, हालांकि अभी तक इसका नाम निर्धारित नहीं किया गया है। इसके लिए पेनासिया ने अमेरिका की रेफाना इंक के साथ आयरलैंड में जॉइंट वेंचर कंपनी बनाई है।
कंपनी वैक्सीन की 50 करोड़ डोज बनाएगी, जिनमें से चार करोड़ अगले साल की शुरूआत तक उपलब्ध होंगी।
इसके अलावा राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की सहायक कंपनी इंडियन इम्युनोलॉजिक्स भी ऑस्ट्रेलिया की ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर वैक्सीन बना रही है।
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ये दो कंपनियां भी बना रहीं वैक्सीन, दोनों प्री-क्लीनिकल ट्रायल में
भारत की मायनवैक्स भी कोरोना वायरस की एक वैक्सीन पर काम कर रही है और कंपनी को उम्मीद है कि 18 महीने के अंदर वह इसे बनाने में कामयाब रहेगी। वैक्सीन अभी प्री-क्लीनिकल ट्रायल में है और कंपनी ने बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंट काउंसिल (BIRAC) से 15 करोड़ के अनुदान का अनुरोध किया है।
तेलंगाना की 'बायोलॉजिकल ई' नामक कंपनी भी कोरोना वायरस की वैक्सीन बना रही है और अभी ये प्री-क्लीनिकल ट्रायल में है।