कोरोना वैक्सीन: जिन मुस्लिमों को भारतीय वैज्ञानिकों पर भरोसा नहीं, वे पाकिस्तान चले जाएं- भाजपा विधायक
अपने भड़काऊ बयानों के लिए सुर्खियों में रहने वाले भाजपा विधायक संगीत सोम ने एक बार फिर से विवादित बयान दिया है। कोरोना वायरस वैक्सीनों पर कुछ मुस्लिम संगठनों की आपत्ति पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा है कि जिन मुसलमानों को देश के वैज्ञानिकों पर भरोसा नहीं है, वे पाकिस्तान जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि कुछ मुसलमानों को प्रधानमंत्री पर भी भरोसा नहीं है और उनकी आस्था पाकिस्तान में है।
क्या बोले संगीत सोम?
मेरठ के सरधना से विधायक संगीत सोम मंगलवार को स्वामी विवेकानंद की जयंती के अवसर पर चंदौसी में हुए एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। इस दौरान जब पत्रकारों ने उनसे कोरोना वायरस की वैक्सीन में सूअर की चर्बी मिले होने के भारत के कुछ मुस्लिम संगठनों के दावे पर प्रतिक्रिया पूछी तो उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य से कुछ मुस्लिमों को देश के वैज्ञानिकों और पुलिस पर भरोसा नहीं है। उन्हें प्रधानमंत्री पर भी भरोसा नहीं है।"
पाकिस्तान पर भरोसा तो वहां जा सकते हैं- सोम
सोम ने आगे कहा कि ऐसे लोगों को पाकिस्तान पर भरोसा है और इसलिए वे वहां जा सकते हैं, लेकिन वे वैज्ञानिकों पर सवाल खड़े नहीं कर सकते। हालांकि उन्होंने अपने आरोपों के समर्थन में कोई सबूत पेश नहीं किया।
क्यों वैक्सीनों का विरोध करते हैं कुछ मुस्लिम संगठन?
बता दें कि ज्यादातर वैक्सीनों में सूअर के मांस से बनाए गए जेलेटीन को बतौर स्टेबिलाइजर इस्तेमाल किया जाता है और इससे वैक्सीन स्टोरेज और ट्रांसपोर्टेशन के दौरान लंबे समय तक सुरक्षित रहती हैं। चूंकि इस्लाम में सूअर के मांस का सेवन हराम है, इसलिए कुछ मुस्लिम संगठनों ऐसी वैक्सीनों का बहिष्कार करते हैं। हालांकि ज्यादातर संगठनों का मत है कि "बड़े नुकसान" को रोकन के लिए ऐसी वैक्सीन का उपयोग इस्लामिक कानून के तहत जायज है।
भारत में कोरोना वैक्सीनों का कोई विरोध नहीं
इस मुद्दे पर भारत में कोई बड़ा विवाद नहीं हुआ है और भारत में निर्मित किसी भी कोरोना वायरस वैक्सीन पर अभी तक बड़े मुस्लिम संगठनों ने सवाल नहीं उठाए हैं। कुछ मुस्लिम संगठनों ने चीन की कुछ कोरोना वैक्सीनों को जरूर हराम घोषित किया है क्योंकि उनमें सूअर के मांस से बनाए गए जेलेटीन का प्रयोग किया गया था। वहीं कुछ मुस्लिम संगठन महामारी के कारण जेलेटीन के प्रयोग वाली वैक्सीनों के प्रयोग को जायज भी ठहरा चुके हैं।
फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका कर चुकी हैं सूअर के मांस के प्रयोग करने से इनकार
बता दें कि अभी दुनियाभर में फाइजर, मॉडर्ना और एस्ट्राजेनेका की कोरोना वैक्सीनें सबसे अधिक उपयोग की जा रही हैं और ये तीनों ही कंपनियां साफ कर चुकी हैं कि उनकी वैक्सीनों में सूअर के मांस से बने किसी भी उत्पाद का इस्तेमाल नहीं किया गया है। मुख्य आपत्ति चीनी वैक्सीनों को लेकर उठाई जा रही है और इन आपत्तियों ने इंडोनेशिया जैसे कई मुस्लिम देशों को दुविधा में डाल दिया है, जो इनकी खरीद का सौदा कर चुके हैं।