फिर टली नासा के आर्टिमिस-1 मिशन की लॉन्चिंग, अब आगे क्या?
अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा को एक बार फिर आर्टिमिस-1 मिशन की लॉन्चिंग को टालना पड़ा है। 29 अगस्त को पहला प्रयास असफल होने के बाद शनिवार को दोबारा चंद्रमा पर रॉकेट भेजने के इस मिशन को लॉन्च करने की कोशिश की गई, लेकिन इंजन में ईंधन भरते समय लिक्विड हाइड्रोजन लीक हो गया, जिसे तय समय पर ठीक नहीं किया जा सका। पहले प्रयास में एक सेंसर खराब होने की वजह से इसे लॉन्च नहीं किया जा सका था।
आर्टिमिस-1 मिशन क्या है?
अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा दशकों बाद फिर से इंसान को चांद पर भेजने की तैयारी में जुटी है। यह मिशन उसी तैयारी का हिस्सा है। आर्टिमिस-1 मिशन एक टेस्ट फ्लाइट है। यानी इसमें कोई क्रूमेंबर नहीं जाएगा। इसके दूसरे मिशन में क्रूमेंबर के साथ टेस्ट किया जाएगा। आर्टिमिस-3 में चांद की सतह पर उतरने की कोशिश की जाएगी और इसकी लॉन्चिंग 2025 के लिए निर्धारित की गई है। आर्टिमिस-4 में इंसानों को चांद पर भेजा जाएगा।
इस बार क्या गड़बड़ी हुई?
नासा ने अपनी वेबसाइट पर लिखा है कि स्पेस लॉन्च सिस्टम रॉकेट के कोर स्टेज में प्रोपेलेंट भरते समय लिक्विड हाइड्रोजन लीक हो गई। इसे ठीक करने के कई प्रयास किए गए, लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी। इस रॉकेट को भारतीय समयानुसार शनिवार रात 11:47 बजे लॉन्च होना था, लेकिन तकनीकी खामी के चलते 8:47 बजे नासा ने लॉन्चिंग टालने का ऐलान कर दिया। लॉन्चिंग को देखने के लिए कई लोग इकट्ठा हुए थे, लेकिन उन्हें निराशा हाथ लगी।
अब आगे क्या?
नासा ने साफ कर दिया है कि तकनीकी दिक्कत के चलते अगली लॉन्च विंडो में इस रॉकेट को लॉन्च करना संभव नहीं है, जो अगले सप्ताह समाप्त हो रही है। रॉकेट की जांच के लिए इसे लॉन्च पैड से वर्कशॉप में ले जाया जा सकता है और इस प्रक्रिया में कई हफ्तों का समय लग सकता है। अगले सप्ताह के बाद नासा के पास 19 सितंबर से लेकर 4 अक्टूबर और 17-31 अक्टूबर की लॉन्च विंडो उपलब्ध होगी।
क्यों जरूरी होती है लॉन्च विंडो?
अंतरिक्ष में भेजे जाने वाले मिशन के लिए उनकी लॉन्चिंग का समय बड़ा महत्वपूर्ण होता है और इन्हें कहीं से भी कभी भी लॉन्च नहीं किया जा सकता। इसकी वजह यह है कि अंतरिक्ष में कुछ भी स्थिर नहीं है। धरती लगातार घूमती रहती है और इसलिए मिशन का टारगेट भी घूमता रहता है। इसलिए तय समय पर ही मिशन लॉन्च किए जाते हैं ताकि स्पेसक्राफ्ट या रॉकेट को कम से कम दूरी तय करनी पड़े।
इसलिए आर्टिमिस-1 पर टिकी हैं सबकी निगाहें
आर्टिमिस-1 मिशन एक टेस्ट फ्लाइट है और यह चांद के रहस्यों का पता लगाने की इंसानी कोशिशों के लिए आगे का मार्ग प्रशस्त करेगा। साथ ही चांद और उसके पार जाने के लिए नासा की क्षमता को परखेगा। यह धरती से 4.5 लाख किमी का सफर तय करेगा। मिशन पूरा करने के बाद यह धरती पर लौटेगा। लौटते समय यह स्पेसक्राफ्ट 11 किलोमीटर प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती के वातावरण में प्रवेश करेगा।