JNU में हिंसा: घटना को हुआ एक महीना, आज तक एक भी गिरफ्तारी नहीं
इंटरनेट के इस दौर में ऐसे मामलों की कमी नहीं है जो तेजी से पूरे देश में चर्चा का विषय बन जाते हैं। लेकिन इनमें से कई मुद्दों को कुछ समय बाद ही सब भूल जाते हैं और कोई उनकी सुध नहीं लेता। ऐसे ही मुद्दों पर हम एक सीरीज शुरू करने जा रहे हैं। इसमें आज हम जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में हुई हिंसा के बारे में बताएंगे जिसमें एक महीने बाद भी कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है।
5 जनवरी को नकाबपोश गुंडों ने किया था JNU कैंपस में हमला
5 जनवरी को शाम 5 बजे के बाद 50-60 नकाबपोश गुंडों ने JNU कैंपस में घुसकर छात्रों और शिक्षकों पर हमला किया था। जिस समय इन गुंडों ने हमला किया, छात्र और शिक्षक साबरमती हॉस्टल के पास एक सभा कर रहे थे। उन्होंने यहां जमा छात्रों और शिक्षकों पर सबसे पहले पत्थर बरसाए। इस हमले में क्षेत्रीय विकास अध्ययन केंद्र की प्रमुख सुचारिता सेन सिर पर पत्थर लगने की वजह से गंभीर रूप से घायल हो गईं।
गुंडों ने हॉस्टल के अंदर घुसकर छात्रों को मारा
गुंडों के इस हमले से बचने के लिए छात्र साबरमती हॉस्टल में जाकर छिप गए, लेकिन इन गुंडों ने उन्हें वहां भी नहीं बख्शा। हॉस्टल में घुसकर इन गुंडों ने छात्रों को चुन-चुन कर निशाना बनाया। कैंपस के अंदर उनका ये आतंक करीब दो घंटे तक चला और वो लोहे की रॉड, हॉकी और डंडों से छात्रों को पीटते रहे। इस हमले में करीब 34 छात्र घायल हुए जिनमें JNU छात्र संघ प्रमुख आइशी घोष भी शामिल थीं।
गेट के बाहर खड़ी रही दिल्ली पुलिस
पूरी हिंसा के दौरान दिल्ली पुलिस के रवैये पर गंभीर सवाल उठे। छात्रों के बार-बार आपातकालीन कॉल करने के बजाय पुलिस कैंपस के अंदर नहीं गई और उसके जवान गेट पर ही खड़े रहे। गेट पर खड़े होकर उन्होंने छात्रों की मदद के लिए वहां पहुंचे सामाजिक कार्यकर्ताओं और मीडिया को रोकने का काम किया और एक तरह से अंदर आतंक मचा रहे गुंडों को संरक्षण प्रदान किया। पुलिस की मौजूदगी में गेट के बाहर योगेंद्र यादव को पीटा गया।
छात्र संगठनों ने एक-दूसरे पर लगाया आरोप
घटना के अगले दिन JNU छात्र संघ और वामपंथी छात्र संगठनों ने अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) पर बाहर से लोग बुलाकर हिंसा करने का आरोप लगाया, वहीं ABVP ने यही आरोप वामपंथी छात्र संगठनों पर लगाया।
क्राइम ब्रांच SIT ने जारी की हिंसा में शामिल नौ छात्रों की तस्वीरें
इस बीच मामले की जांच को दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच को सौंप दिया गया जिसने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर हिंसा में शामिल रहे नौ छात्रों के नामों का खुलासा किया गया। क्राइम ब्रांच SIT के प्रमुख जॉय टिरके ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में आइशी घोष, चुनचुन कुमार, पंकज मिश्रा, वास्कर विजय मेच, सुचेता तालुकदार, प्रिया रंजन, विकास पटेल, योगेंद्र भारद्वाज और डोलन सामंता की तस्वीरें जारी कीं। इनमें से कुछ छात्रों से बाद में पूछताछ की गई।
5 जनवरी की हिंसा को सर्वर रूम तोड़फोड़ मामले से जोड़ा गया
5 जनवरी को हुई हिंसा को 3 और 4 जनवरी को सर्वर रूम तोड़फोड़ मामले से भी जोड़ा गया था। दरअसल, हॉस्टल फीस वृद्धि का विरोध कर रहे छात्र नए सेमेस्टर के लिए छात्रों के रजिस्ट्रेशन पर रोक लगाने की मांग कर रहे थे। आरोपों के अनुसार, अन्य छात्रों को रजिस्ट्रेशन करने से रोकने और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया को ठप करने के लिए वामपंथी छात्र संगठनों के सदस्यों ने यूनिवर्सिटी के सर्वर रूम में तोड़फोड़ की।
आरोपी छात्रों की तस्वीरें 3 और 4 जनवरी की हिंसा की
SIT ने अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो तस्वीरें जारी कीं, वो 3 और 4 जनवरी को हुई इसी हिंसा की बताई जा रही हैं, न कि 5 जनवरी की हिंसा की। आइशी घोष पर इसी मामले में आरोप हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स में सामने आई हिंसा में ABVP सदस्यों के शामिल होने की बात
इस बीच 'इंडिया टुडे' की जांच में ABVP से जुड़े छात्रों ने 5 जनवरी की शाम हिंसा करने की बात स्वीकार की है और वो ऐसा दावा करते हुए कैमरे में कैद हुए हैं। 'इंडिया टुडे' और 'ऑल्ट न्यूज' की पड़ताल में नकाबपोश गुंडों में शामिल एक छात्रा की पहचान ABVP की कोमल शर्मा के तौर पर की गई। इन सबूतों को जांच कर रही SIT के पास भी भेजा गया जिसने कहा कि इन छात्रों से पूछताछ होगी।
एक महीने बाद आज तक एक भी गिरफ्तारी नहीं
लेकिन आज तक SIT ने कोमल शर्मा समेत 5 जनवरी की हिंसा के आरोपी किसी भी छात्र से पूछताछ नहीं की है और न ही मामले में अभी तक किसी को गिरफ्तार किया गया है। कोमल समेत ABVP के आरोपी छात्र खुलासे के बाद से ही गायब हैं और पुलिस उन तक पहुंचने में नाकाम रही है। यही नहीं, SIT ने अभी तक हिंसा के पीड़ितों और प्रत्यक्षदर्शियों के बयान तक दर्ज नहीं किए हैं।
एक महीने में दिल्ली पुलिस का कुल कार्य शून्य
इसका मतलब 5 जनवरी को नकाबपोश गुंडों के हमले के एक महीने बाद तक मामले में कार्रवाई के नाम पर दिल्ली पुलिस का काम शून्य रहा है। इसी तरह मामले में JNU प्रशासन की आंतरिक जांच में भी कोई प्रगति देखने को नहीं मिली है। 'हिंदुस्तान टाइम्स' के साथ बातचीत में वामपंथी और दक्षिणपंथी दोनों तरफ के छात्र संगठनों ने कहा कि JNU की आंतरिक समिति ने अभी तक बयान दर्ज करने के लिए उनसे संपर्क नहीं किया है।