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    जापान 7 सितंबर को लॉन्च करेगा चांद मिशन, होगी पिनपॉइंट लैंडिंग
    जापान अब 7 सितंबर, 2023 को लॉन्च करेगा चांद मिशन

    जापान 7 सितंबर को लॉन्च करेगा चांद मिशन, होगी पिनपॉइंट लैंडिंग

    लेखन रजनीश
    Sep 05, 2023
    02:23 pm

    क्या है खबर?

    जापानी अंतरिक्ष एजेंसी जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी (JAXA) 7 सितंबर, 2023 को अपना चांद मिशन स्मार्ट लैंडर फॉर इन्वेस्टिगेटिंग मून (SLIM) लॉन्च करने की तैयारी में है।

    पहले जापान के चांद मिशन को 26 अगस्त को लॉन्च किया जाना था, लेकिन खराब मौसम के कारण इसकी लॉन्चिंग टालनी पड़ी थी।

    चांद पर उतरने का JAXA का यह पहला प्रयास होगा।

    SLIM का मुख्य उद्देश्य पहले से निर्धारित लैंडिंग साइट के 100 मीटर के भीतर सटीक लैंडिंग का प्रदर्शन करना है।

    लैंडर

    मिशन से यह साबित करेगा जापान

    इसे ऐसे मिशन के रूप में पेश किया जा रहा है, जो यह साबित करेगा कि चांद पर जहां चाहते हैं वहां उतरना संभव है न कि केवल वहां जहां उतरना आसान है। इसे ही पिनपॉइंट लैंडिंग कहा जा रहा है।

    अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि पिनपॉइंट लैंडिंग टेक्नोलॉजी इसलिए जरूरी है कि लैंडर चांद पर वैज्ञानिक रूप से दिलचस्प साइटों के इतना करीब हो, जहां एक रोवर द्वारा पहुंचा जा सके।

    जानकारी

    ये है पिनपॉइंट लैंडिग का महत्व

    एजेंसी के मुताबिक, अंतरिक्ष के बारे में जानकारी बढ़ी है और चीजों के विशिष्ट अध्ययन के लिए लक्ष्य के पास सटीक या पिनपॉइंट लैंडिंग जरूरी है। पिनपॉइंट लैंडिंग से उन ग्रहों पर भी लैंडिंग संभव होगी, जहां चांद के मुकाबले और भी कम संसाधन हैं।

    लैंडिंग

    ढलान वाले क्षेत्र पर होगी SLIM की लैंडिंग

    SLIM के लिए चुनी गई लैंडिंग साइट चांद के भूमध्यरेखीय क्षेत्र में शिओली नाम के एक छोटे क्रेटर के पास है। लैंडिग स्थल एक गड्ढे के पास है और इसके आसपास वाला क्षेत्र लगभग 15 डिग्री तक ढलान वाला है।

    JAXA ने कहा कि ऐसी ढलान पर सुरक्षित रूप से उतरने का तरीका महत्वपूर्ण हो जाता है।

    कहा गया कि जैसे-जैसे विज्ञान और खोज बेहतर हो रही है, भविष्य में ऐसे ढलान वाले क्षेत्रों पर लैंडिंग की जरूरत बढ़ेगी।

    परिणाम

    जापान अपनाएगा टू-स्टेप लैंडिंग मेथड

    SLIM-स्केल स्पेसक्राफ्ट टू-स्टेप लैंडिंग मेथड को अपनाएगा, जिसमें मेन लैंडिंग गियर पहले सतह को छूता है और फिर स्थिर होने के लिए आगे की तरफ घूमता है।

    सिमुलेशन के जरिए इसने विश्वसनीय लैंडिंग परिणाम दिखाए हैं।

    चांद तक पहुंचने के लिए SLIM एक बिल्कुल अलग रास्ता अपनाएगा। चंद्रयान-3 की तरह यह सीधे चांद तक पहुंचने के लिए किसी शक्तिशाली रॉकेट पर निर्भर नहीं है और इसके बजाय पहले पृथ्वी की कक्षा में जाएगा।

    रोवर

    हल्के वजन का लैंडर है SLIM

    जापान के चांद मिशन में इस्तेमाल किया जाने वाला SLIM लैंडर एक हल्के वजन वाला लैंडर है। इसका वजन 200 किलोग्राम है, जबकि भारत के चांद मिशन चंद्रयान-3 के लैंडर का वजन 1,750 किलोग्राम है।

    जापानी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि SLIM की सफलता छोटे, हल्के अंतरिक्ष यान का उपयोग करके लगातार चांद और ग्रह एक्सप्लोरेशन मिशनों के लिए नए अवसर खोलेगी।

    बता दें कि SLIM अपने साथ 2 पेलोड ले जा रहा है।

    मिशन

    SLIM 4 से 6 महीने बाद करेगा लैंड

    इस मिशन के बारे में कहा गया कि यह चंद्रयान-3 द्वारा अपनाए गए रास्ते का अनुसरण नहीं करेगा।

    भारत का चांद मिशन लॉन्चिंग के 40 दिन बाद चांद पर उतरा था, लेकिन उम्मीद है कि SLIM अपने लॉन्च के 4 से 6 महीने बाद इसे पूरा कर लेगा।

    JAXA के अनुसार, चांद की ऑर्बिट में पहुंचने में इसे लगभग 3 से 4 महीने लगेंगे और फिर अंतरिक्ष यान लैंडिंग से पहले चांद की ऑर्बिट में लगभग 1 महीना बिताएगा।

    प्लस

    न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)

    रूस, अमेरिका और चीन के बाद अब भारत भी चंद्रयान-3 की सफलता के बाद चांद पर पहुंचने वाले देशों की लिस्ट में शामिल हो गया है।

    कुछ समय पहले रूस ने भी अपना चांद मिशन लूना-25 लॉन्च किया था। रूस के मिशन का लैंडर तकनीकी खराबी के कारण नष्ट हो गया। यानी अभी तक चांद की सतह पर पहुंचने वाले सिर्फ 4 देश ही हैं।

    अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा अगला चांद मिशन आर्टिमिस-3 भेजने की तैयारी में है।

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