
जापान सरकार का बड़ा फैसला, गर्भपात के लिए गोली के इस्तेमाल को मिली मंजूरी
क्या है खबर?
जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय ने महिलाओं के हित में बड़ा फैसला लेते हुए गर्भपात के लिए गोली के इस्तेमाल को मंजूरी दे दी है। ब्रिटिश फार्मास्यूटिकल कंपनी लाइनफार्मा इंटरनेशनल की गोली को मंत्रालय ने मंजूरी दी है।
इसे 9 सप्ताह तक की प्रेग्नेंसी को खत्म करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकेगा।
बता दें कि जापान में केवल सर्जिकल प्रक्रिया के जरिए ही गर्भपात की अनुमति थी। सालों से कई संगठन गोली की मंजूरी की मांग कर रहे थे।
दवा
ब्रिटिश दवा को मिली मंजूरी
जापान के स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के मुताबिक, लाइनफार्मा द्वारा बनाई गई दवा मेफीगो को गर्भपात के लिए इस्तेमाल की मंजूरी दी गई है।
ये दो अलग-अलग दवाओं मिफेप्रिस्टोन और मिसोप्रोस्टोल का संयोजन है।
बता दें कि स्वास्थ्य मंत्रालय के एक पैनल ने ऑनलाइन सर्वे कर लोगों से इस बारे में राय मांगी थी। 12,000 लोगों की राय जानने के बाद पैनल ने पिछले सप्ताह गोली को मंजूरी देने की सिफारिश की थी।
गर्भपात
जापान में केवल चिकित्सकीय गर्भपात को थी मंजूरी
इससे पहले जापान में केवल सर्जिकल अबॉर्शन से ही गर्भपात कराया जा सकता था। इसके लिए सरकार ने 22 हफ्ते तक की समयसीमा निर्धारित कर रखी थी। गोलियों के लिए ये समयसीमा 9 हफ्ते निर्धारित की गई है।
मातृ स्वास्थ्य अधिनियम के तहत गर्भपात के लिए पति और पत्नी की सहमति आवश्यक है। अविवाहित स्त्रियों के मामले में किसी भी पुरुष की मंजूरी की जरूरत नहीं होती थी। यही कानून गर्भपात की गोलियों पर भी लागू होगा।
कीमत
कितनी होगी गोली की कीमत?
जापान के राष्ट्रीय प्रसारक NHK ने कहा कि गर्भपात की गोली और चिकित्सा परामर्श की कुल लागत लगभग 1,00,000 येन (करीब 59,000 रुपये) होगी।
बता दें कि गर्भपात को सरकारी स्वास्थ्य बीमे में कवर नहीं किया जाएगा।
दूसरी तरफ इस फैसले पर कई संगठनों ने खुशी जाहिर की है।
रिप्रोडक्टिव हेल्थ राइट्स लिटरेसी इंस्टीट्यूट की निदेशक कुमी त्सुकहारा ने कहा कि सरकार का यह निर्णय सकारात्मक है। हालांकि, उन्होंने सभी के लिए दवा की उपलब्धता पर संदेह जाहिर किया।
देश
80 देशों में गर्भपात के लिए गोलियों के इस्तेमाल को मंजूरी
1988 में गोली से गर्भपात को मंजूरी देने वाला फ्रांस पहला देश बना था। उसके बाद से अब तक करीब 80 देशों में इनके इस्तेमाल को कानूनी मंजूरी मिली हुई है।
भारत में भी डॉक्टर की सलाह पर इन गोलियों का इस्तेमाल किया जाता है।
भारत में फिलहाल विशेष परिस्थितियों में डॉक्टर पैनल की सलाह के बाद महिलाओं को 24 हफ्ते तक गर्भपात की इजाजत है। देश में गर्भपात के लिए मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 बनाया गया है।
अमेरिका
हाल ही में अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने हटाया था बैन
अप्रैल की शुरुआत में अमेरिका के टैक्सास की एक अदालत ने गर्भपात की दवा मिफेप्रिस्टोन पर रोक लगा दी थी। इसके खिलाफ न्याय विभाग ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की थी। इस पर सुनवाई के दौरान 22 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने दवा पर लगे प्रतिबंध को हटा दिया था।
जून, 2022 में अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने रो बनाम वेड मामले में गर्भपात को कानूनी तौर पर मंजूरी देने वाले 50 साल पुराने फैसले को पलट दिया था।