#NewsBytesExplainer: इसी महीने होगा गगनयान मिशन का महत्वपूर्ण टेस्ट, कहां तक पहुंची है तैयारी?
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) गगनयान मिशन की तैयारी में तेजी से लगा हुआ है।
इसी महीने के अंत तक ISRO इस मिशन से जुड़ा एक महत्वपूर्ण टेस्ट करने जा रहा है। इसके लॉन्च के लिए इस्तेमाल होने वाले सभी वाहन सिस्टम श्रीहरिकोटा पहुंच गए हैं। विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC) के निदेशक एस उन्नीकृष्णन ने यह जानकारी दी है।
आइये गगनयान मिशन की अब तक की तैयारियों के बारे में जानते हैं।
बचाव
कौन-सा टेस्ट करेगा ISRO?
ISRO ने इस महीने के अंत तक मिशन के क्रू इस्केप सिस्टम (CES) का इनफ्लाइट अबॉर्ट टेस्ट करने की योजना बनाई है।
यह परीक्षण गगनयान के हिस्से के रूप में विकसित एक टेस्ट वाहन के जरिये किया जाएगा।
नायर ने कहा, "इस क्रू इस्केप सिस्टम के साथ हम उच्च गतिशील दवाब और ट्रांसोनिक स्थितियों जैसी विभिन्न स्थितियों में प्रदर्शन करेंगे।"
ISRO के एक अधिकारी ने कहा कि गगनयान में CES सबसे महत्वपूर्ण है।
परीक्षण
लॉन्च किए जाएंगे 4 अबॉर्ट मिशन
ISRO अधिकारियों के अनुसार, इस महीने लॉन्च वाहन TV-D1 का लॉन्च गगनयान के 4 अबॉर्ट मिशनों में से एक होगा।
दूसरा परीक्षण वाहन TV-D2 मिशन और गगनयान का पहला मानवरहित मिशन LVM3-G1 होगा।
परीक्षण वाहन मिशन की दूसरी सीरीज TV-D3 और D4 होगी। इसके बाद अगली योजना रोबोटिक पेलोड के साथ LVM3-G2 मिशन की है।
अधिकारियों के मुताबिक, इन टेस्ट की सफलता के आधार पर अंतरिक्षयात्रियों को मिशन पर भेजने की योजना तैयार की जाएगी।
रॉकेट
सिंगल स्टेज रॉकेट है परीक्षण वाहन
परीक्षण वाहन (TV) सिंगल स्टेज रॉकेट हैं, जो लिक्विड प्रोपल्शन पर आधारित है। इन्हें क्रू बचाव सिस्टम के लिए विकसित किया गया है।
नायर के मुताबिक, इसका उपयोग अंतरिक्ष पर्यटन सहित कई उद्देश्यों के लिए किया जा सकता है।
परीक्षण वाहन को ट्रांसोनिक स्थिति में पहुंचाया जाएगा, जहां लगभग 12 किलोमीटर की ऊंचाई से एस्केप सिस्टम एक्टिवेट हो जाएगा और वह लगभग 20 किलोमीटर तक जाएगा, वहीं से क्रू मॉड्यूल को छोड़ दिया जाएगा।
मॉड्यूल
दोबारा प्रवेश करने के हिसाब से डिजाइन किया गया है क्रू मॉड्यूल
क्रू मॉड्यूल के अंदर पृथ्वी जैसा वातावरण है, जिससे चालक दल अंतरिक्ष में आराम से रहेगा।
इसमें दोहरी दीवार वाली संरचना है। आंतरिक संरचना धातु की बनी और दबावयुक्त है और बाहरी संरचना बिना दबाव वाली थर्मल सुरक्षा सिस्टम से लैस है।
इसमें क्रू इंटरफेस, खाने के उत्पाद, लाइफ सपोर्ट सिस्टम आदि शामिल हैं।
इसे क्रू की सुरक्षा के लिहाज से इसे ऐसे डिजाइन किया गया है कि उतरते वक्त कोई दिक्कत होने पर क्रू दोबारा इसमें प्रवेश कर सके।
रॉकेट
LVM3 रॉकेट को दिया गया नया नाम
LVM3 में सभी सिस्टम को मानव रेटिंग जरूरतों को पूरा करने के लिए फिर से कॉन्फिगर किया गया है और इन्हें मानव रेटेड LVM3 (HLVM3) नया नाम दिया गया है।
नायर के मुताबिक, LVM3 का उपयोग क्रू बचाव सिस्टम को प्रमाणित करने के लिए परीक्षण करने के लिए नहीं किया जा सकता है। इसके पीछे की वजह उन्होंने इस रॉकेट का महंगा होना बताया।
बता दें कि गगनयान मिशन की लागत लगभग 10,000 करोड़ रुपये है।
यात्री
अंतरिक्षयात्रियों की पहचान नहीं आई है सामने
एक रिपोर्ट के मुताबिक, गगनयान के लिए पहले से ही अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वायु सेना के पायलटों का चयन किया गया है।
पायलटों ने रूस में प्रशिक्षण भी लिया है। हालांकि, सुरक्षा के मद्देनजर इनकी पहचान नहीं जाहिर की गई है।
गगनयान मिशन अंतरिक्ष के लिए भारत का पहला क्रू से लैस मिशन होगा। मिशन की सफलता के बाद भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला चौथा देश बन जाएगा।
क्षमता
ये है गगनयान मिशन का उद्देश्य
ISRO अधिकारियों के अनुसार, गगनयान मिशन 1 से 3 दिनों के लिए 2-3 सदस्यों के दल को अंतरिक्ष में पृथ्वी के चारों ओर लगभग 400 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में ले जाने और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाने की भारत की क्षमता प्रदर्शित करेगा।
LVM3 रॉकेट ISRO का भारी लिफ्ट लॉन्चर है। गगनयान मिशन के लिए यह लॉन्च व्हीकल का काम करेगा। इसमें ठोस, तरल और क्रायोजेनिक कुल 3 चरण हैं।