AI के लिए कानून बनाने के करीब यूरोप, क्या होंगे इसके मायने?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) बीते कई महीनों से अलग-अलग कारणों से चर्चा में बना हुआ है। AI-आधारित चैटबॉट्स के फायदों के अलावा इनसे होने वाले संभावित सामाजिक और आर्थिक नुकसानों पर भी सवाल उठ रहे हैं। इससे होने वाली सुरक्षा खामियों को भी अनदेखा नहीं किया जा सकता। अब यूरोपीय संघ AI के नियमन के लिए कानून बनाने की तरफ बढ़ रहा है। जान लेते हैं इन नियमों का AI कंपनियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
बढ़ती जा रही है AI चैटबॉट्स की लिस्ट
AI-आधारित चैटबॉट्स की लिस्ट बढ़ती जा रही है। दिग्गज कंपनियों के अलावा कई स्टार्टअप भी AI के क्षेत्र में काम कर रहे हैं। AI का दायरा ChatGPT से बढ़कर Auto-GPT और आर्टिफिशियल जनरल इंटेलिजेंस (AGI) तक पहुंच गया है। ये चैटबॉट्स इंसानों की नकल करने से लेकर विभिन्न परीक्षाओं के प्रश्न पत्र हल करने और खाना ऑर्डर करने सहित कई काम करने में सक्षम हैं। हालांकि, इनमें कुछ कमियां भी हैं।
देरी से पहले AI के लिए नियम की मांग
बिना किसी नियम के AI का डेवलपमेंट और पिछले वर्जन के मुकाबले ज्यादा पावरफुल AI मॉडल लॉन्च करने की होड़ से नियामक संस्थाओं और टेक जगत की कुछ लोग चौकन्ने हो गए हैं। कानून निर्माताओं का मानना है कि ज्यादा देर हो उससे पहले AI के लिए नियम बनाए जाने चाहिए। यूरोप तो AI के लिए नियम बनाने के करीब पहुंच गया है। यूरोपीय संघ ने पहली बार 2 साल पहले AI अधिनियम का प्रस्ताव रखा था।
ChatGPT से आई AI में तेजी
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को चर्चा में लाने के पीछे OpenAI का चैटबॉट ChatGPT है। ChatGPT की लोकप्रियता से दिग्गज टेक कंपनियों के बीच AI में निवेश को लेकर तेजी आई। AI के पीछे अंधी दौड़ ने यूरोपीय संघ को इसके लिए कानून बनाने के लिए प्रेरित किया। बिल गेट्स सहित कई लोग AI में किसी भी तरह के नियंत्रण को टेक्नोलॉजी के विकास में बाधा मानते हैं। कुछ लोगों का मानना है कि AI के लिए प्रस्तावित कानून पर्याप्त नहीं हैं।
'ट्रिलॉग' में पहुंचा AI मसौदा
अब AI के नियमन के लिए दुनिया का पहला कानून पारित होने के करीब है। यूरोपीय संसद (MEPs) के सदस्य के एक समूह ने गुरुवार को अधियनियम के पक्ष में मतदान किया। ये मसौदा अब अगले चरण यानी ट्रिलॉग में पहुंच गया। ट्रिलॉग में MEPs, काउंसिल और आयोग के बीच अनौपचारिक बैठक होती है। इससे परिषद और संसद दोनों के बीच मुद्दे को लेकर सहमति बनाने में मदद मिलती है। इसके बाद कानून को स्वीकृत करने की औपचारिक प्रकियाएं होंगी।
जोखिम के आधार पर बदलेंगे नियम
AI का प्रस्तावित कानून सर्वव्यापी है। ये AI को किसी व्यक्ति के स्वास्थ्य और सुरक्षा के साथ मौलिक अधिकारों के खतरों के आधार पर वर्गीकृत करता है। इसके न्यूनतम, सीमित, उच्च और अस्वीकार्य कुल 4 स्तर हैं। इस अधिनियम में वीडियो गेम से लेकर सामाजिक स्कोरिंग तक शामिल है। इसमें सामान्य उद्देश्य के लिए ChatGPT जैसे AI को भी शामिल किया गया है। जोखिम के आधार पर इसके नियम बदलते हैं।
चैटबॉट की ट्रेनिंग के लिए कॉपीराइट कंटेंट का करना होगा इस्तेमाल
AI से जुड़ा कानून पारित होने के बाद AI चैटबॉट और जनरेटिव AI से जुड़ी कंपनियों को एक मुश्किल ये हो सकती है कि उन्हें अपने टूल को ट्रेनिंग देने के लिए कॉपीराइट कंटेंट का इस्तेमाल करना होगा। जरूरत पड़ने पर कंपनियों को इस बात का खुलासा भी करना होगा कि क्या उन्होंने अपने AI डेवलपमेंट में कॉपीराइट कंटेंट का उपयोग किया है। दरअसल GPT-4 और LaMDA जैसे AI मॉडल को विशाल डाटा पर ट्रेनिंग दी जाती है।