ChatGPT के पीछे काम करने वाली जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टेक्नोलॉजी क्या है?
जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GAI) इस साल टेक्नोलॉजी की दुनिया में सबसे ज्यादा चर्चित विषय बना हुआ है। दिग्गज टेक कंपनियां माइक्रोसॉफ्ट और अल्फाबेट आदि अपने प्रोडक्ट्स को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) से लैस कर रही हैं। सर्च इंजन से लेकर वेब ब्राउजर और अन्य वर्कस्पेस प्रोडक्ट्स को AI से लैस कर कंपनियां इन्हें बेहतर बना रही हैं। वर्तमान में ChatGPT लोकप्रिय जनरेटिव AI एप्लिकेशन है। आइये जानते हैं कि जनरेटिव AI क्या है और यह कैसे काम करती है।
इनपुट के आधार पर कंटेंट तैयार करती है GAI
जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस अपने पिछले डाटा से सीखती है और फिर उसी हिसाब से जवाब देती है। अन्य AI की तरह यह डाटा को केवल कैटेगरी में बांटने और उसकी पहचान करने की जगह इनपुट और सेव डाटा के आधार पर नया कंटेंट तैयार करती है। यूजर्स की इनपुट के आधार पर यह टेक्स्ट और कंप्यूटर कोड आदि बनाती है और गूगल की तरह वेबसाइट्स का लिंक देने की जगह AI चैटबॉट इंसानी भाषा में लिखकर जवाब देते हैं।
GPT-4 में है इमेज इनपुट की क्षमता
ChatGPT को बनाने वाली कंपनी OpenAI ने इसी सप्ताह एक नया मॉडल GPT-4 लॉन्च किया है। इसे 'मल्टीमॉडल' कहा जा रहा है' और यह GPT-3.5 से कई मामलों में बेहतर है। नए GPT-4 की सबसे बड़ी खासियत इमेज इनपुट लेने की क्षमता है। GPT-3 और GPT-3.5 को जहां सिर्फ टेक्स्ट इनपुट ही दिया जा सकता था, वहीं GPT-4 इमेज इनपुट से कंटेंट तैयार कर सकता है। यह अपने पुराने मॉडल के मुकाबले ज्यादा सटीक और तेज जानकारी देता है।
जनरेटिव AI पर निवेश कर रही हैं बड़ी कंपनियां
जनरेटिव AI में सबसे जरूरी इनका लैंग्वेज मॉडल है। माइक्रोसॉफ्ट और गूगल जैसी कंपनियां बड़े लैंग्वेज मॉडल के रिसर्च पर पैसा निवेश करने के मामले में सबसे आगे हैं। इनके अलावा सेल्सफोर्स इंक जैसी बड़ी कंपनियां और एडेप्ट AI लैब्स जैसी छोटी कंपनियां भी सॉफ्टवेयर के जरिए यूजर्स को AI की सुविधा देने के लिए या तो अपना AI बना रही हैं या फिर दूसरों के साथ मिलकर पैकिंग टेक्नोलॉजी बना रही हैं।
तलाशे जा रहे हैं GAI के इस्तेमाल के और तरीके
GAI का इस्तेमाल कई कार्यों के लिए हो रहा है, लेकिन इसके और ज्यादा इस्तेमाल के अन्य तरीके खोजे जा रहे हैं। हालांकि, इसके बारे में यह भी कहा जा रहा है कि बहुत ही जल्द यह लोगों की नौकरी भी छीन लेगा। कुछ समय पहले के एक सर्वे मुताबिक, अमेरिका के कई ऑफिस में AI का इस्तेमाल होने लगा है और इससे कंपनियों को वेतन के तौर पर होने वाले खर्चे में काफी बचत हो रही है।
जनरेटिव AI के संभावित नुकसान
जनरेटिव AI के जरिए मेडिकल से लेकर माइनिंग, स्पेस आदि क्षेत्रों में बड़े बदलाव की उम्मीद है। दूसरी तरफ कुछ जानकारों ने स्कूली छात्रों पर इसके नकारात्मक प्रभाव पर भी चिंता जाहिर की है। लोगों का कहना है कि जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस स्टूडेंट्स की सोचने, समझने और याद्दाश्त की क्षमता को नुकसान पहुंचाएगा। कई कॉलेज-यूनिवर्सिटी में ChatGPT के जरिए असाइनमेंट पूरा करने की बात सामने आने के बाद वहां इस पर बैन भी लगाया जा चुका है।
जनरेटिव AI की कमियां
जनरेटिव AI को जिस डाटा पर ट्रेंड किया जाता है और जो इनपुट दिए जाते हैं, यह उसी आधार पर ये जानकारी देती है। यदि इसे ऐसे डाटा पर ट्रेनिंग दी गई है, जो गलत या एकतरफा है तो GAI का जवाब भी भ्रामक और एकतरफा होगा। इससे समाज में मौजूद भेदभाव और पूर्वाग्रहों को बढ़ावा मिलेगा। जनरेटिव AI से जुड़ी कंपनियां यूजर्स को खुद इसकी जानकारी पर पूरी तरह से निर्भर न रहने के लिए कहती हैं।