AI के कारण वैश्विक स्तर पर 4 प्रतिशत बढ़ सकती है बिजली की मांग
क्या है खबर?
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग बढ़ने से बिजली की मांग भी बड़े स्तर पर बढ़ रही है।
अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट के अनुसार, 2027 तक दुनिया की बिजली खपत हर साल 4 प्रतिशत बढ़ेगी। यह वृद्धि AI, डाटा सेंटर्स, औद्योगिक उत्पादन और इलेक्ट्रिक वाहनों की बढ़ती संख्या के कारण हो रही है।
चीन में डाटा सेंटर्स की बिजली खपत 2025-27 के बीच दोगुनी होकर 6 प्रतिशत तक पहुंच सकती है।
तकनीक
डीपसीक की ऊर्जा कुशल AI तकनीक
चीनी स्टार्टअप डीपसीक ने AI मॉडल को कम बिजली में चलाने की तकनीक विकसित करने का दावा किया है।
इसका R1 मॉडल, जो OpenAI के सिस्टम जैसा है, कम लागत और कम ऊर्जा में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। डीपसीक के AI सिस्टम अमेरिका की टेक कंपनियों के मुकाबले कहीं अधिक कुशल माने जा रहे हैं।
अगर इस तकनीक को व्यापक रूप से अपनाया जाता है, तो AI डाटा सेंटर्स की बिजली खपत में बड़ी कटौती संभव हो सकती है।
मांग
क्या बढ़ती मांग संतुलित होगी?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर AI सस्ता और अधिक सुलभ हो जाता है, तो इसकी मांग और अधिक बढ़ सकती है। इससे बिजली की खपत में कोई खास कमी नहीं आएगी, बल्कि यह और बढ़ सकती है।
अगर AI की दक्षता में सुधार होता है, तो कंपनियां इसका अधिक उपयोग करेंगी, जिससे कुल ऊर्जा खपत संतुलित नहीं होगी।
ऐसे में सवाल यह है कि क्या डीपसीक की उन्नत तकनीक वास्तव में ऊर्जा बचाने में मदद कर पाएगी या नहीं।
संभावनाएं
भविष्य की ऊर्जा नीतियां और संभावनाएं
ऊर्जा कंपनियां और नीति निर्माता इस सवाल पर विचार कर रहे हैं कि AI की बढ़ती बिजली मांग को कैसे नियंत्रित किया जाए।
अगर डीपसीक की तकनीक बड़े पैमाने पर अपनाई जाती है, तो यह ऊर्जा संकट कम करने में योगदान दे सकती है, लेकिन अगर AI का उपयोग अनियंत्रित रूप से बढ़ता रहा, तो बिजली उत्पादन पर और अधिक दबाव पड़ सकता है।
यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि ऊर्जा कुशल AI मॉडल बिजली संकट को रोक सकेंगे या नहीं।