ISRO ने भारतीय उपग्रहों से ली महाकुंभ की तस्वीरें, प्रशासन को मिल रही मदद
क्या है खबर?
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने भारतीय उपग्रहों का उपयोग करते हुए उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक आयोजन महाकुंभ मेले की तस्वीरें खींची हैं।
ऑप्टिकल उपग्रहों और दिन-रात देखने में सक्षम राडारसैट का उपयोग करते हुए हैदराबाद में राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर ने मेले में विशाल बुनियादी ढांचे के निर्माण को दिखाने वाली तस्वीरें ली है।
मेला प्रशासन इन तस्वीरों का उपयोग महाकुंभ में आपदा और भगदड़ रोकने के लिए कर रहा है।
कब
कब ली गई थीं तस्वीरें?
राष्ट्रीय रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) के निदेशक डॉ. प्रकाश चौहान ने कहा कि उन्होंने रडारसैट का उपयोग किया क्योंकि, यह प्रयागराज को घेरने वाले क्लाउड बैंड के माध्यम से क्षेत्र की तस्वीर ले सकता है।
तस्वीरें EOS-04 (RISAT-1A) 'C' बैंड माइक्रोवेव उपग्रह से बढ़िया रिजॉल्यूशन के साथ खींची गईं।
इन तस्वीरों को महाकुंभ की शुरुआत से पहले 6 अप्रैल, 2024, सुविधाएं स्थापित होने के बाद 22 दिसंबर, 2024 और मेला शुरू होने के बाद 10 जनवरी, 2025 को लिया गया।
सुविधाएं
मेले में विकसित की गईं है ये सुविधाएं
इन तस्वीरों में महाकुंभ मेले के लिए स्थापित टेंट सिटी (संरचनाओं और सड़कों का लेआउट) के साथ-साथ पोंटून पुलों के नेटवर्क और सहायक बुनियादी ढांचे के विवरण की जानकारी दी है।
धार्मिक आयोजन के लिए उत्तर प्रदेश में महाकुंभ नगर बनाया गया है, जो गंगा, यमुना और सरस्वती नदी के त्रिवेणी संगम पर स्थित है।
इस वर्ष महाकुंभ मेले में श्रद्धालुओं के रहने के लिए लगभग 1.5 तंबू, 3,000 रसोई, 1.45 लाख शौचालय और 99 पार्किंग स्थल बनाए गए हैं।
बयान
क्या बोले विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री?
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, "ये उन्नत प्रौद्योगिकियां बड़े पैमाने पर धार्मिक समारोहों के प्रबंधन में एक आदर्श बदलाव का प्रतिनिधित्व करती हैं।"
उन्होंने आगे कहा, "महाकुंभ मेला इस बात का एक शानदार उदाहरण है कि कैसे प्रौद्योगिकी और परंपरा एक साथ आकर सभी के लिए एक स्वच्छ, स्वस्थ भविष्य बना सकते हैं।"
बता दें, 45 दिनों तक चलने वाले महाकुंभ में लगभग 40 करोड़ लोगों के आने की उम्मीद जताई गई है।