गूगल प्ले स्टोर पर ऐप परमिशंस लिस्ट और डाटा सुरक्षा लेबल्स, जानें इनका मतलब
सर्च इंजन कंपनी गूगल अपने मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम एंड्रॉयड पर यूजर्स को बेहतर सुरक्षा और प्राइवेसी देना चाहती है। इसी दिश में कदम बढ़ाते हुए कंपनी ने एक बार फिर गूगल प्ले स्टोर पर ऐप परमिशंस लिस्ट दिखानी शुरू कर दी है। साथ ही यूजर्स को प्लेटफॉर्म पर डाटा सेफ्टी लेबल्स भी दिखाए जाएंगे। कंपनी ने इससे पहले ऐप परमिशंस लिस्ट हटा दी थी और इनकी जगह केवल डाटा सेफ्टी लेबल्स दिख रहे थे।
प्ले स्टोर पर देखने को मिलेंगे दोनों फीचर्स
गूगल ने कहा है कि ऐप परमिशंस और डाटा सेफ्टी लेबल्स दोनों ही फीचर्स प्ले स्टोर पर रोलआउट किए जाएंगे, हालांकि इनसे जुड़ी कोई टाइमलाइन सामने नहीं आई है। कंपनी इस साल अप्रैल में गूगल प्ले स्टोर पर डाटा सेफ्टी लेबल्स फीचर लाई थी। नए अपडेट की जानकारी एंड्रॉयड डिवेलपर्स की ओर से एक ट्वीट में दी गई है और कहा गया है कि यूजर्स से मिली प्रतिक्रिया के आधार पर ये फीचर्स वापस आ रहे हैं।
इसलिए दिया गया डाटा सुरक्षा सेक्शन
नया डाटा सुरक्षा सेक्शन लाने के पीछे का मकसद यूजर्स को यह जानकारी देना है कि ऐप्स उनका कौन सा डाटा इकट्ठा या शेयर कर रही हैं। बीते कुछ साल में एंड्रॉयड यूजर्स के लिए डाटा सुरक्षा और प्राइवेसी का महत्व बढ़ा है और लेटेस्ट एंड्रॉयड वर्जन में भी इससे जुड़े सुधार देखने को मिले हैं। इसी तरह ऐप्स को कौन सी परमिशंस की जरूरत है, यह उन्हें इंस्टॉल करने से पहले ही देखा जा सकेगा।
पॉलिसीज में इसलिए बदलाव कर रही है गूगल
गूगल अगले साल अपनी पॉलिसीज में कई बड़े बदलाव करने जा रही है, जिनके बाद डिवेलपर्स ऐसा फंक्शन ऐक्सेस नहीं कर पाएंगे, जिसकी जरूरत ऐप को काम करने के लिए नहीं है। लोकेशन, कैमरा और माइक्रोफोन जैसे कई फंक्शंस का इस्तेमाल ऐप अपने फीचर्स का फायदा देने के लिए करती हैं। हालांकि, कई बार ऐप्स ऐसी परमिशंस मांगती हैं, जो जरूरी नहीं होतीं। ऐप डिवेलपर्स डाटा सुरक्षा से जुड़े नियमों का पालन करते हुए ही ऐप्स लिस्ट कर पाएंगे।
ऐपल के रास्ते पर चली है गूगल
कैलिफोर्निया की टेक कंपनी ऐपल ने प्राइवेसी पर फोकस करते हुए 2020 में ऐप-मेकर्स से यूजर्स को यह जानकारी देने को कहा कि वे कितना डाटा जुटाते हैं और उसे कैसे इस्तेमाल करते हैं। वहीं, ऐपल के लेटेस्ट 14.5 अपडेट के साथ यूजर्स को ऐप ट्रैकिंग ट्रांसपैरेंसी फीचर दिया गया है। इस फीचर के साथ यूजर्स खुद तय कर सकते हैं कि कोई ऐप उन्हें ट्रैक कर पाएगी या फिर नहीं और बिना परमिशन लिए ऐप्स ट्रैकिंग नहीं कर सकतीं।
डिवेलपर्स को परेशान नहीं करना चाहती गूगल
गूगल का अपना रेवन्यू भी ऐड रेवन्यू पर आधारित है इसलिए कंपनी नरम रुख डिवेलपर्स के लिए अपनाएगी। ब्लूमबर्ग के मुताबिक, गूगल चर्चा कर रही है कि एंड्रॉयड ऑपरेटिंग सिस्टम में डाटा कलेक्शन और क्रॉस-ऐप टैकिंग पर कैसे लगाम लगाई जा सकती है। हालांकि, इस प्रक्रिया में ऐप के काम करने के तरीके पर असर ना पड़े, इसका ख्याल सर्च इंजन कंपनी रखेगी। सेफ्टी सेक्शन यूजर्स को यह भी बताएगा कि ऐप डाटा एनक्रिप्ट करती है या नहीं।