मोबाइल ऐप्स के जरिए खेल पर पैसे लगाते लोग; ऑनलाइन सट्टेबाजी या स्किल्स?
क्या है खबर?
भारत में क्रिकेट सबसे लोकप्रिय खेलों में शामिल है, जिसका मार्केट करोड़ों रुपये का है।
इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) ने इसका एक नया मार्केट तैयार किया है और ऑनलाइन सट्टेबाजी ऐप्स भी इसका हिस्सा बन गई हैं।
IPL मैच के दौरान आपने भी ऐसी ऐप्स के विज्ञापन देखे होंगे, जो लाखों के इनाम जीतने का मौका दे रही हैं।
भारत में सट्टेबाजी बैन होने के बावजूद ऑनलाइन ऐप्स खुलेआम इसे बढ़ावा कैसे दे रही हैं, इसपर भी बात होनी चाहिए।
इतिहास
भारत में पुराना है सट्टेबाजी का इतिहास
सट्टेबाजी या जुए का जिक्र भारतीय संस्कृति और महाभारत काल की गाथाओं तक में मिलता है, यानी कि इनका इतिहास बहुत पुराना है।
यहां लोगों को कार्ड गेम्स खेलना और उनपर बाजी लगाना पसंद है, लेकिन ऐसे गेम्स को लेकर सख्त कानून हैं।
इन खेलों के विकल्प के तौर पर ऑनलाइन सट्टेबाजी की लोकप्रियता बढ़ रही है और मोबाइल ऐप्स की मदद से ऐसा करना और भी आसान हो गया है।
सवाल
क्या देश में वैध है ऑनलाइन सट्टेबाजी करना?
ऑनलाइन सट्टेबाजी को बढ़ावा मिलने की वजह वेबसाइट्स/मोबाइल ऐप्स का वैध होना है।
बता दें, भारत में सट्टेबाजी या जुआ खेलने को लेकर वैसे तो राष्ट्रीय स्तर पर कड़े नियम हैं, लेकिन उनमें इंटरनेट या ऑनलाइन सट्टेबाजी शामिल नहीं है।
यही वजह है कि लोग ऑनलाइन सट्टेबाजी और ऐप्स इस्तेमाल करते हैं और उनपर कोई कड़े नियम नहीं लागू होते।
वहीं, ऑफलाइन सट्टेबाजी अपराध की श्रेणी में आता है। पुलिस द्वारा लोगों के पकड़े जानें की खबरें आती रहती हैं।
नियम
इस ऐक्ट के साथ लागू होते हैं नियम
भारत में सट्टेबाजी और जुआ खेलने को लेकर जो नियम लागू होते हैं, वे पब्लिक गेमिंग ऐक्ट ऑफ 1867 से जुड़े हैं।
हालांकि, ये नियम तब बनाए गए थे, जब इंटरनेट जैसी कोई टेक्नोलॉजी नहीं थी।
बाद में IT ऐक्ट, 2000 के साथ भारत में ऑनलाइन गतिविधियों को रेग्युलेट करने की शुरुआत की गई है।
इसके बावजूद मौजूदा नियमों में ऑनलाइन सट्टेबाजी का जिक्र नहीं है और इन गतिविधियों पर नियंत्रण नहीं है।
बैन
कुछ प्रदेशों में ऑनलाइन सट्टेबाजी पर है बैन
ऑनलाइन सट्टेबाजी को बढ़ावा देने वालीं ऐप्स अगर भारत में रजिस्टर्ड नहीं हैं, तो वे अपनी सेवाएं दे सकती हैं।
वहीं, कुछ प्रदेशों में इन ऐप्स और प्लेटफॉर्म्स के लिए स्थानीय मुद्रा में लेनदेन अनिवार्य किया गया है।
तेलंगाना और कर्नाटक जैसे कुछ राज्यों ने ऑनलाइन सट्टेबाजी पर पूरी तरह प्रतिबंध भी लगा रखा है।
सामने आया है कि बैन के बावजूद VPN जैसी सेवाओं की मदद लेते हुए यहां ढेरों लोग ऑनलाइन सट्टेबाजी कर रहे हैं।
तरीका
ऐसे काम करती हैं IPL से जुड़ी सट्टेबाजी ऐप्स
ऐप्स में यूजर्स को क्रिकेट या किसी अन्य खेल के मैच से पहले खिलाड़ियों की टीम बनानी होती है।
इसमें मैच का हिस्सा बनने वाली दोनों टीमों के खिलाड़ियों को अपनी टीम में शामिल करना होता है।
इन खिलाड़ियों के मैच में प्रदर्शन के हिसाब से पॉइंट्स मिलते हैं और सबसे ज्यादा पॉइंट्स वाला जीतता है।
इनाम के तौर पर गेम में लगाई गई रकम का कई गुना तक मिल सकता है।
इससे अलग भी खेलने के कई तरीके हैं।
खतरा
बड़ी रकम हारने का जोखिम भी शामिल
आसान भाषा में समझें तो बड़े चेहरों के साथ प्रचार कर रहीं दर्जनों ऐप्स में पैसे लगाने वाले कभी जीतते हैं और कभी हारते हैं।
इनके विज्ञापन में भी बताया जाता है कि 'इनमें वित्तीय जोखिम शामिल है और इनकी आदत लग सकती है।'
खासकर कम उम्र के यूजर्स के लिए ऐसी ऑनलाइन सट्टेबाजी वाली ऐप्स ज्यादा खतरनाक हो जाती हैं, जो कम वक्त में ज्यादा पैसे कमाना चाहते हैं और बड़े रिस्क लेने को तैयार हैं।
राय
सट्टेबाजी के ट्रेंड पर क्या है एक्सपर्ट की राय?
वरिष्ठ खेल पत्रकार दया सागर ने नए ट्रेंड को पूरी तरह सट्टेबाजी ना मानते हुए स्किल से जुड़ा भी बताया।
उन्होंने कहा, "ऑनलाइन गेम्स में क्रिकेटर्स की रैंकिंग के हिसाब से उन्हें पॉइंट्स दिए जाते हैं और प्लेयर को अपनी समझ के हिसाब से अनुमान लगाना होता है। यानी कि जिसे क्रिकेट की ज्यादा समझ है, उसके जीतने की उम्मीद ज्यादा होती है।"
ये ऐप्स सट्टेबाजी और गेमिंग के बीच जगह बनाकर ट्रेंड में बनी हुई हैं।
बयान
सट्टेबाजी से जुड़ी ऐप्स पर नियंत्रण जरूरी- उच्च न्यायालय में अधिवक्ता
लखनऊ उच्च न्यायालय में अधिवक्ता मेराज अंसारी ने बताया, "इन ऐप्स ने मौजूदा नियमों में मौजूद खामियों का फायदा उठाते हुए जगह बना ली है। यूजर्स को लाखों के इनाम जिताने का दावा करने वाली ऐप्स खुद करोड़ों में कमाई कर रही हैं।"
उन्होंने कहा कि ऑनलाइन सट्टेबाजी से जुड़ी ऐप्स पर नियंत्रण जरूरी है क्योंकि ऐप्स अपने-अपने अलग पॉइंट्स सिस्टम इस्तेमाल करती हैं। लाखों यूजर्स इनमें रोजाना पैसे लगाते हैं और इनकी जवाबदेही तय करना अनिवार्य हो जाता है।