हैंगआउट्स को 'अलविदा' कहने को हो जाएं तैयार, अगले महीने जगह लेगी गूगल चैट्स

सर्च इंजन कंपनी गूगल की हैंगआउट्स सेवा को अलविदा कहने का वक्त आ गया है और गूगल चैट्स इसकी जगह लेने जा रही है। गूगल ने बताया है कि कंपनी गूगल वर्कस्पेस (पहले G-स्वीट) ग्राहकों के लिए क्लासिक हैंगआउट्स से गूगल चैट्स पर माइग्रेशन के आखिरी चरण में पहुंच रही है। 22 मार्च, 2022 से गूगल चैट उन ग्राहकों के लिए डिफॉल्ट चैट प्लेटफॉर्म बन जाएगा, जो अभी आईफोन और एंड्रॉयड स्मार्टफोन्स के लिए हैंगआउट्स ऐप इस्तेमाल कर रहे हैं।
गूगल चैट ऐप अब यूजर्स के लिए दो तरह से उपलब्ध है। इसे जीमेल में इंटीग्रेट किया गया है और मैन्युअली इनेबल किया जा सकता है। गूगल ने इसे स्टैंडअलोन ऐप की तरह गूगल प्ले और ऐप स्टोर पर भी लिस्ट किया है, जहां से इसे मोबाइल डिवाइसेज के लिए डाउनलोड किया जा सकता है। कंपनी लंबे वक्त से हैंगआउट्स से गूगल चैट्स पर माइग्रेशन का काम कर रही है, जिससे जुड़े बदलाव यूजर्स को दिखते रहे हैं।
सर्च इंजन कंपनी ने एक ब्लॉगपोस्ट में बताया कि www.hangouts.google.com अब भी काम करती रहेगी। हालांकि, यूजर्स के पास इस बदलाव का हिस्सा ना बनने का कोई विकल्प नहीं है। बदलाव के बाद क्लासिक हैंगआउट मोबाइल ऐप्स या जीमेल वेबसाइट पर हैंगआउट लिंक पर जाने पर यूजर्स को गूगल चैट पर भेज दिया जाएगा। कंपनी ने कहा है कि इसमें तीन सप्ताह तक का वक्त लग सकता है और मार्च के आखिर तक यह प्रक्रिया खत्म हो सकती है।
आपको बता दें, गूगल चैट्स से जुड़े बदलाव के साथ पुराने हैंगआउट्स चैट्स डिलीट नहीं होंगे। कंपनी ने कहा है कि कुछ खास मामलों को छोड़कर बाकी सभी यूजर्स के पुराने हैंगआउट्स कन्वर्सेशन की हिस्ट्री गूगल चैट में ट्रांसफर हो जाएगी। हालांकि, यूजर्स नया प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करें, इसके लिए गूगल चैट में मिलने वाले कोई नए फीचर्स क्लासिक हैंगआउट्स में नहीं दिए जाएंगे। गूगल चैट सेवा रेग्युलर और पेड यूजर्स सभी के लिए उपलब्ध होगी।
गूगल अपने वर्कस्पेस स्टेशन को अपग्रेड करने का काम लंबे वक्त से कर रही है। इसके साथ यूजर्स को जीमेल, डॉक्स, शीट्स, मीट, चैट और अन्य सेवाएं एकसाथ मिलने लगेंगी। आसान भाषा में समझें तो कंपनी जीमेल को इन सभी सेवाओं का हब बनाना चाहती है। ऐसे बदलावों के साथ जीमेल यूजर्स को अलग-अलग सेवाएं इस्तेमाल करने के लिए ढेरों ऐप्स नहीं डाउनलोड करनी होंगी। हालांकि, अलग से ऐप्स डाउनलोड करने का विकल्प भी मिलता रहेगा।
चैटिंग और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के साथ गूगल का अनुभव अच्छा नहीं रहा है। गूगल ऑरकुट और गूगल प्लस जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पिछले दो दशक में लेकर आई और अब बंद कर चुकी है। साल 2005 में टेक्स्ट और वॉइस चैटिंग के लिए गूगल टॉक सेवा शुरू की गई थी, जिसे साल 2017 में पूरी तरह बंद कर दिया गया। कंपनी मौजूदा सेवाओं का इंटीग्रेशन कर यूजर्स को बेहतर विकल्प देना चाहती है।