5G स्पेक्ट्रम की नीलामी: जियो, एयरटेल, Vi और अडानी ग्रुप ने लिया हिस्सा; आज क्या हुआ?
भारत में जल्द 5G रोलआउट शुरू हो जाएगा और इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम के तौर पर स्पेक्ट्रम की नीलामी आज शुरू हुई। रिलायंस जियो, भारती एयरटेल और वोडाफोन-आइडिया (Vi) के अलावा अडानी ग्रुप ने इस नीलामी में हिस्सा लिया। इन सभी कंपनियों ने मिलकर अर्नेस्ट मनी डिपॉजिट (EMD) में 21,800 करोड़ की रकम इन स्पेक्ट्रम्स के लिए जमा की है। इस EMD के आधार पर कंपनियों को 1.9 लाख करोड़ रुपये तक की बोली लगाने का मौका दिया गया।
कंपनियों ने EMD में जमा की इतनी रकम
5G स्पेक्ट्रम नीलामी में हिस्सा लेने के लिए रिलायंस जियो की ओर से 14,000 करोड़ रुपये जमा किए गए। इसी तरह एयरटेल ने 5,500 करोड़ रुपये और Vi ने 2,200 करोड़ रुपये की रकम जमा की। वहीं, अडानी डाटा नेटवर्क्स की ओर से 100 करोड़ रुपये जमा किए गए। सुबह 10 बजे से शाम छह बजे तक चली नीलामी में 72GHz रेडियोवेव्स के लिए बोली लगाई गई, जिनकी कुल कीमत 4.3 लाख करोड़ के करीब आंकी गई थी।
कंपनियों को मिल सकते हैं ये स्पेक्ट्रम्स
सरकार की ओर से 72GHz स्पेक्ट्रम नीलामी के लिए उतारे गए हैं, जिनके लिए रिजर्व प्राइस पेग वैल्यू 4.3 लाख करोड़ रुपये रखी गई है। कंपनियों को 600MHz, 700MHz, 800MHz, 900MHz, 1800MHz, 2100MHz, 2300MHz और 2500MHz के लो स्पेक्ट्रम बैंड्स मिल सकते हैं। इसी तरह उन्हें 3.3-3.67GHz और 26GHz हाई फ्रीक्वेंसी बैंड्स के स्पेक्ट्रम्स दिए जा सकते हैं। मंगलवार को इनके लिए चार राउंड में बोली लगाई गई और यह नीलामी 27 जुलाई को आगे बढ़ाई जाएगी।
कंपनियों के लिए तय किए गए हैं जरूरी नियम
दूरसंचार विभाग ने हर लाइसेंस एरिया के लिए नीलामी में हिस्सा लेने वालों के लिए 100 करोड़ रुपये की नेट वर्थ की अनिवार्यता रखी है। हालांकि, जम्मू-कश्मीर और नॉर्थ ईस्ट में यह नेट वर्थ क्राइटेरिया 50 करोड़ रुपये पर सीमित है। ऐप्लिकेशन सबमिट करने के बाद से एक साल का लॉक-इन पीरियड सेट किया गया है। बता दें, नेट वर्थ से जुड़ी अनिवार्यता मौजूदा लाइसेंस होल्डर्स जैसे- जियो और एयरटेल पर नहीं लागू होगी।
इंस्टॉलमेंट्स में भुगतान करने का विकल्प मिलेगा
सरकार ने स्पेक्ट्रम सरेंडर करने से जुड़े नियमों में भी कुछ बदलाव किए हैं। सबसे बड़ी बोली लगाने वालों को पूरा भुगतान एक बार में नहीं करना होगा। बजाय इसके टेलिकॉम ऑपरेटर्स स्पेक्ट्रम के लिए 20 एनुअल इंस्टॉलमेंट्स में भुगतान कर पाएंगे, जिनका भुगतान हर साल की शुरुआत में एडवांस में करना होगा। साथ ही उन्हें 10 साल बाद स्पेक्ट्रम सरेंडर करने का विकल्प भी दिया जाएगा, जो इंस्टॉलमेंट्स सेटल होने के बाद किया जा सकेगा।
भारत में कब मिलने लगेंगी 5G सेवाएं?
केंद्र सरकार ने बताया है कि 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी होने के बाद अगस्त-सितंबर महीने में पहले फेज का रोलआउट शुरू किया जाएगा। पहले फेज में भारत के 13 शहरों में 5G सेवाएं मिलना शुरू होंगी। इन शहरों की लिस्ट में अहमदाबाद, बेंगलुरू, चंडीगढ़, चेन्नई, दिल्ली, गांधीनगर, गुरुग्राम, हैदराबाद, जामनगर, कोलकाता, लखनऊ, मुंबई और पुणे शामिल हैं। दिल्ली एयरपोर्ट, बेंगलुरू मेट्रो, भोपाल और कांडला पोर्ट्स जैसी जगहों पर 5G नेटवर्क की पायलट टेस्टिंग शुरू हो चुकी है।
न्यूजबाइट्स प्लस
भारत की मिनिस्ट्री ऑफ डिफेंस के पास अभी 3300 से 3400MHz बैंड स्पेक्ट्रम उपलब्ध हैं। वहीं, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपनी जरूरतों के लिए 3400 से 3425Mhz बैंड स्पेक्ट्रम इस्तेमाल करती है। इन स्पेक्ट्रम्स का इस्तेमाल 5G के लिए नहीं किया जाएगा।