राष्ट्रपति चुनाव में आसान होगी भाजपा की राह या विपक्ष बिगाड़ेगा समीकरण?
चुनाव आयोग द्वारा देश के अगले राष्ट्रपति के चयन के लिए चुनाव कार्यक्रम की घोषणा के साथ ही राजनीतिक दलों में सरगर्मी बढ़ने लगी है। कार्यक्रम के अनुसार, राष्ट्रपति पद के लिए 18 जुलाई को मतदान होगा और जरूरत पड़ने पर 21 जुलाई को मतगणना होगी। इसी तरह 25 जुलाई को 15वें राष्ट्रपति शपथ लेंगे। ऐसे में आइये जानते हैं कि क्या राष्ट्रपति चुनाव में भाजपा की राह आसान होगी या विपक्ष सारे सियासी समीकरण बिगाड़ने में सफल होगा।
राष्ट्रपति चुनाव में कौन करता है मतदान?
राष्ट्रपति चुनाव में इलेक्टोरल कॉलेज के सदस्य वोट डालते हैं। इसमें लोकसभा और राज्यसभा के निर्वाचित सदस्य और सभी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं। इन सभी के वोट का मूल्य अलग-अलग होता है। एक सांसद के वोट का मूल्य 708 होता है, वहीं विधायकों के वोट का मूल्य उस राज्य की आबादी और सीटों की संख्या पर निर्भर होता है। ऐसे में सभी राज्यों के विधायकों के वोट का मूल्य अलग-अलग होता है।
राष्ट्रपति चुनाव में कुल कितने मतदाता होंगे?
राष्ट्रपति चुनाव में लोकसभा के 543, राज्यसभा के 233 सांसद और विधानसभाओं के 4,033 विधायकों सहित कुल 4,809 सदस्य वोट डालेंगे। बता दें कि राष्ट्रपति चुनाव में राज्यसभा के 12 मनोनीत सांसदों को वोट डालने का अधिकार नहीं दिया गया है।
राष्ट्रपति चुनाव जीतने के लिए कितने वोट चाहिए?
लोकसभा और राज्यसभा के सभी निर्वाचित सांसदों तथा देश की सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली और पुडुचेरी की विधानसभाओं के विधायकों के वोटों का मूल्य निकालने के बाद राष्ट्रपति चुनाव में कुल वोटों का मूल्य 10.79 लाख होगा। ऐसे में किसी भी उम्मीदवार को यह चुनाव जीतने के लिए आधे यानी 5,39,500 मूल्य के वोटों आवश्यकता होगी। जिस भी उम्मीदवार को सबसे पहले इतने वोट मिल जाएंगे, उसे ही देश का अगला महामहिम चुना जाएगा।
राष्ट्रपति चुनाव के लिए NDA के पास कितने वोट हैं?
भाजपा की अगुआई वाले राष्ट्रीय लोकतांत्रिक गठबंधन (NDA) के पास लोकसभा, राज्यसभा और विधानसभा में अपने दलों की संख्या के अनुसार, मौजूदा समय कुल 5,26,420 वोट हैं। इनमें 2.17 लाख अलग-अलग विधानसभाओं और 3.9 लाख वोट लोकसभा और राज्यसभा सांसदों की संख्या से पूरे होंगे। बता दें कि NDA में अभी भाजपा के साथ जनता दल यूनाइटेड (JDU), अन्नाद्रमुक (AIADMK), लोक जनशक्ति पार्टी (LJP), अपना दल (सोनेलाल) सहित 20 छोटे दल शामिल हैं।
NDA के पास है 13,000 वोटों की कमी
राष्ट्रपति चुनाव में बिना किसी परेशानी के जीत हासिल करने में NDA की सबसे बड़ी परेशानी यह है कि उसके पास अभी भी 13,000 वोटों की कमी है। ऐसे में उसके लिए उसे अन्य दलों के सहयोग की जरूरत होगी। बता दें कि 2017 के राष्ट्रपति चुनाव में NDA उम्मीदवार रामनाथ कोविंद को 7,02,044 वोट मिले थे, लेकिन आज यह संख्या घटकर 5.26 लाख रह गई हैं। इसके पीछे शिवसेना और अकाली दल का अलग होना भी एक कारण है।
NDA किस तरह से वोटों की कमी को पूरा कर सकती है?
2017 के राष्ट्रपति चुनाव में आंध्र प्रदेश की YSR-कांग्रेस और ओडिशा की बीजू जनता दल (BJD) सहित JDU ने भी NDA को अपना समर्थन दिया था। वर्तमान में BJD के पास 31,000 से ज्यादा और YSR-कांग्रेस के पास 43,000 से ज्यादा मूल्य के वोट हैं। ऐसे में उनका समर्थन NDA को आसानी से जीत दिला सकता है। इसको देखते हुए अब NDA इन दलों को फिर से अपनी ओर खींचने का प्रयास करेगी।
नीतीश कुमार की दावेदारी से बढ़ सकती है मुसीबत
JDU का समर्थन हासिल करने में NDA के सामने बड़ी परेशानी यह है कि बिहार के मंत्री श्रवण कुमार ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाने का प्रस्ताव रख दिया है। इसे खारिज करने पर उसका समर्थन मिलना मुश्किल है।
भाजपा ने बनाई विचार-विमर्श के बाद उम्मीदवार तय करने की रणनीति
भाजपा ने जीत हासिल करने के लिए राजनीतिक दलों के साथ विचार-विमर्श के बाद ही उम्मीदवार की घोषणा करने की योजना बनाई है। पार्टी ने विभिन्न दलों से बातचीत की जिम्मेदारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय सड़क एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को सौंपी हैं। इससे साफ है कि भाजपा संभवत: राष्ट्रपति चुनाव में सभी दलों की सहमति से एक सर्वसम्मत उम्मीदवार उतारकर जीत हासिल करना चाहती है।
राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष की क्या है स्थिति?
कांग्रेस की अगुवाई वाले संयुक्त प्रगतशील गठबंधन (UPA) के पास वर्तमान में 2.59 लाख मूल्य के वोट हैं। इनमें कांग्रेस के अलावा, दम्रमु (DMK), शिवसेना, राष्ट्रीय जनता दल (RJD), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) जैसे दल शामिल हैं। कांग्रेस के विधायकों के पास 88,208 मूल्य वाले वोट हैं, वहीं सांसदों के वोट का मूल्य 57,400 है। ऐसे में राष्ट्रपति चुनाव में वह NDA के मुकाबले काफी पिछड़ी हुई नजर आ रही है।
विपक्ष को एकजुट में करने में जुटी ममता बनर्जी
वर्तमान में UPA के अलावा एक तीसरा मोर्चा भी तैयार हो रहा है, लेकिन इसका स्वरूप साफ नहीं है। इसमें तृणमूल कांग्रेस (TMC), समाजवादी पार्टी, YSR-कांग्रेस, आम आदमी पार्टी (AAP), BJD, लेफ्ट, तेलंगाना राष्ट्र समिति (TRS) आदि हैं। इनके वोट का मूल्य 2.92 लाख है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने NDA और UPA से बाहर के दलों को एकजुट करने की तैयारियां शुरू कर दी है और बुधवार को दिल्ली में एक विशेष बैठक भी की है।
विपक्ष की एकजुटता से NDA को लग सकता है झटका?
ममता बनर्जी द्वारा बुलाई इस बैठक में 17 विपक्षी दलों के नेताओं ने तो भाग लिया, लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और AAP संयोजक अरविंद केजरीवाल शामिल नहीं हुए। बैठक में बनर्जी ने राष्ट्रपति पद के लिए शराद पवार के अलावा फारूक अब्दुल्ला और गोपालकृष्ण गांधी का भी नाम सुझाया है। हालांकि, पवार ने उम्मीदवारी से इनकार कर दिया। अब जल्द ही एक और बैठक होगी। यदि इसमें विपक्ष एकजुट होता है तो NDA की परेशानी बढ़ सकती है।