टिकैत परिवार ने सपा-लोकदल गठबंधन को समर्थन पर यू-टर्न क्यों लिया?

24 घंटे के अंदर दिए गए भारतीय किसान यूनियन (BKU) के अध्यक्ष नरेश टिकैत के दो बयानों ने आगामी उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले नई राजनीतिक अटकलों को जन्म दे दिया है। टिकैत ने पहले समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल के गठबंधन को समर्थन देने का ऐलान किया और फिर 24 घंटे के अंदर ही इस समर्थन पर अपने पैर वापस खींच लिए। ऐसा करने के पीछे क्या कारण रहे होंगे, आइए समझने की कोशिश करते हैं।
रविवार को मुजफ्फरनगर के सिसौली में एक जनसभा को संबोधित करते हुए नरेश टिकैत ने कहा था कि वे सपा-लोकदल के गठबंधन का समर्थन करते हैं। उन्होंन कहा था, "मैं उम्मीद करता हूं कि राज्य के लोग इस गठबंधन के प्रत्याशियों का समर्थन करेंगे।" जिस समय नरेश टिकैत ने ये ऐलान किया, उस समय बुढ़ाना से गठबंधन के उम्मीदवार राजपाल बालिया (लोकदल) उन्हीं के साथ थे। उन्होंने अन्य उम्मीदवारों को भी अपना समर्थन दिया था।
नरेश टिकैत ने महज 24 घंटे के अंदर ही सपा-लोकदल गठबंधन को समर्थन पर अपने पैर वापस खींच लिए। सोमवार को समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए उन्होंने कहा, "मैंने कुछ ऐसा कहा जो मुझे नहीं कहना चाहिए था। संयुक्त किसान मोर्चा सर्वोच्च है और मैं उससे ऊपर नहीं हूं। अगर कोई उम्मीदवार यहां आता है तो मैं उसे अपना आशीर्वाद दूंगा, लेकिन किसी को समर्थन नहीं मांगना चाहिए।"
नरेश टिकैत के भाई राकेश टिकैत ने भी मामले पर सफाई देते हुए कहा कि उनके भाई के बयान को गलत समझा गया। उन्होंने कहा, "हम किसी को समर्थन नहीं दे रहे हैं... जब कोई हमारे घर आता है तो हम कहते हैं कि 'हम आपके साथ हैं'। लेकिन इसका मतलब ये नहीं कि हम उसे वोट करेंगे।" उन्होंने कहा कि BKU नहीं बताएगा कि किसे वोट देना है, लेकिन सभी को पता है कि उन्हें क्या करना है।
सोमवार को केंद्रीय मंत्री संजीव बालियान भी नरेश टिकैत से मुलाकात करने सिसौली स्थित उनके घर पहुंचे। मुलाकात के बाद बालियान ने कहा कि वे अपनी खाप के नेता से आशीर्वाद लेने पहुंचे थे। टिकैत परिवार और बालियान दोनों 'बालियान खाप' से आते हैं और नरेश टिकैत इस खाप के प्रमुख हैं। दोनों के बीच क्या बात हुई, ये तो साफ नहीं है, लेकिन अटकलें है कि भाजपा बालियान के जरिए टिकैत परिवार को मनाने की कोशिश में है।
टिकैत और बालियान के बीच मुलाकात इसलिए भी अहम हो जाती है कि टिकैत ने पिछले साल एक खाप पंचायत में कहा था कि 2019 लोकसभा चुनाव में अजित चौधरी को समर्थन न देना गलती थी और 2022 में इस गलती को सुधारा जाएगा। अजित चौधरी राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख अजित चौधरी के पिता थे और 2019 लोकसभा चुनाव में बालियान ने उन्हें हराया था। बालियान की इस जीत में खाप पंचायत का समर्थन एक बड़ा कारण रहा था।
सपा-लोकदल गठबंधन को समर्थन देने पर टिकैत परिवार के यू-टर्न के लिए भाजपा के दबाव से ज्यादा संयुक्त किसान मोर्चा को माना जा रहा है। दरअसल, किसान मोर्चा कह चुका है कि उसमें शामिल किसान संगठन उत्तर प्रदेश चुनाव में किसी भी पक्ष का समर्थन नहीं करेंगे। गठबंधन को समर्थन के टिकैत परिवार के ऐलान को मोर्चा की मंजूरी नहीं थी और इसी कारण इस फैसले पर पैर वापस खींचे गए हैं।
पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मुजफ्फरनगर के आसपास की सीटों पर टिकैत परिवार का अच्छा-खासा रुतबा है। टिकैत जाट समुदाय से आते हैं और इन सीटों पर जाटों का ही दबदबा है। सपा के साथ गठबंधन करने वाली राष्ट्रीय लोकदल भी जाटों की पार्टी है। किसान आंदोलन ने टिकैत परिवार को और प्रभावशाली बना दिया है। टिकैत परिवार बालियान खाप पंचायत का प्रमुख भी है और इस पंचायत के फैसले अक्सर चुनाव में निर्णायक भूमिका अदा करते हैं।