राजस्थान: अपने विधायकों को कांग्रेस से वापस लेने के लिए लड़ाई में कूदीं मायावती, कोर्ट जाएंगी

राजस्थान के सियासी संकट में एक नया मोड़ आया है। बसपा ने अपने छह विधायकों को व्हिप जारी करते हुए बहुमत परीक्षण होने पर अशोक गहलोत सरकार के खिलाफ वोट डालने को कहा है। दिलचस्प बात ये है कि ये सभी छह विधायक पिछले साल कांग्रेस में शामिल हो गए थे। हालांकि बसपा ने इसके खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत की थी और अभी इस पर फैसला आना बाकी है। बसपा अब हाई कोर्ट में भी इसके खिलाफ अपील करेगी।
पिछले साल सितंबर में बसपा विधायकों ने विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी से बसपा विधायक दल का विलय कांग्रेस में करने का अनुरोध किया था, जिसे स्पीकर ने तत्काल स्वीकार कर लिया। इस विलय से पहले से ही बसपा विधायक गहलोत सरकार का समर्थन कर रहे थे और मायावती ने इसे पीठ में छुरा घोंपने के समान बताया था। बसपा ने चुनाव आयोग में इस विलय को चुनौती दी थी और अभी मामले में आयोग का फैसला नहीं आया है।
अब गहलोत से अपना पुराना बदला चुकता करने के लिए मायावती ने सचिन पायलट से उनकी लड़ाई में कूदने का फैसला लिया है। बसपा महासचिव सतीश चंद्र मिश्र ने व्हिप जारी करते हुए सभी विधायकों को गहलोत सरकार के खिलाफ वोट डालने को कहा है। इसके अलावा बसपा ने पार्टी विधायकों के कांग्रेस में विलय को मंजूरी देने के स्पीकर के फैसले को हाई कोर्ट में चुनौती देने का फैसला भी लिया है।
समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए सतीश मिश्र ने कहा, "बसपा एक राष्ट्रीय पार्टी है और जब तक राष्ट्रीय स्तर पर विलय नहीं होता, तब तक छह विधायकों के कहने पर राज्य के स्तर पर विलय नहीं हो सकता। इसलिए सभी छह विधायकों को एक साथ और अलग-अलग नोटिस जारी किए गए हैं। इसका उल्लंघन करने पर उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया जाएगा।" मिश्र ने बसपा के कांग्रेस में विलय के स्पीकर की मंजूरी को गैरकानूनी बताया।
बसपा के इस व्हिप और हाई कोर्ट जाने के फैसले ने मामले में एक नया मोड़ ला दिया है। अगर मामले में उसके पक्ष में फैसला आता है तो गहलोत सरकार के लिए अपनी सरकार बचाना मुश्किल हो जाएगा क्योंकि अभी उसे जिन 103 विधायकों का समर्थन हासिल हैं, उनमें बसपा के ये छह विधायक भी शामिल हैं। ऐसी स्थिति में बसपा राज्य में किंगमेकर की भूमिका में आ सकती है और उसका समर्थन निर्णायक साबित हो सकता है।