AAP ने आतिशी को ही क्यों चुना मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार? जानिए प्रमुख कारण
आम आदमी पार्टी (AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल ने मंगलवार शाम को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना से मिलकर दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इससे पहले सुबह हुई AAP के विधायक दल की बैठक में आतिशी को अगला मुख्यमंत्री उम्मीदवार चुना गया। उनके नाम का प्रस्ताव स्वयं केजरीवाल ने रखा था। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में एक ही चर्चा है कि आखिरी आतिशी को ही मुख्यमंत्री उम्मीदवार क्यों चुना गया। आइए इसके पीछे के प्रमुख कारण जानते हैं।
आतिशी को मिली इन नेताओं पर तरहीज
मुख्यमंत्री पद के लिए AAP नेता सौरभ भारद्वाज, गोपाल राय, कैलाश गहलोत, राखी बिड़ला और केजरीवाल की पत्नी सुनीता के नाम की चर्चा थी, लेकिन फैसला आतिशी के पक्ष में ही आया। इसका कारण उनकी क्षमता और दिल्ली में उनका स्थापित ट्रैक रिकॉर्ड रहा है।
आतिशी पर भ्रष्टाचार के आरोप न होना बड़ी वजह
आतिशी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार चुने जाने की बड़ी वजह उन पर किसी भी तरह के भ्रष्टाचार के आरोपों का न होना है। वर्तमान में केजरीवाल के साथ उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया पर भी शराब नीति मामले में कथित भ्रष्टाचार के आरोप लगे हुए हैं। ऐसे में दागदार नेता का नाम सामने आने पर दिल्लीवासियों में गलत संदेश जा सकता था। इसी तरह इस फैसले से केजरीवाल ने खुद पार्टी को व्यापक आयाम देने की भी कोशिश की है।
आतिशी का केजरीवाल और सिसोदिया का विश्वसनीय सहयोगी होना
आतिशी को लंबे समय से केजरीवाल और सिसोदिया के सबसे भरोसेमंद और करीबी सहयोगियों में से एक माना जाता है। केजरीवाल के साथ उनका जुड़ाव अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन से जुड़ा है और वह AAP के मिशन की दृढ़ समर्थक रही हैं। महज 5 साल में उन्हें विधायक से मंत्री बनने तक का उनका सफर उनके समर्पण और योग्यता को दर्शाता है। इसी विश्वसनीयता को देखते हुए केजरीवाल ने उन्हें अपने उत्तराधिकारी के रूप में चुना है।
आतिशी का संकट के समय मजबूती से खड़े रहना
दिल्ली शराब नीति में कथित घोटाले के मामले में जब सिसोदिया और केजरीवाल दोनों जेल चले गए, तब आतिशी ने बड़ी मजबूती के साथ पार्टी के कामकाज की कमान अपने हाथों में संभाली थी। दोनों बड़े नेताओं की अनुपस्थिति में उन्होंने शासन और पार्टी संगठन की जिम्मेदारियों को न केवल बखूबी संभाला, बल्कि विपक्ष की चुनौतियों का भी प्रभावी ढंग से सामना किया। उनके इस रूख से पार्टी का मनोबल बना रहा। यही मजबूती उन्हें आगे लेकर आई है।
दिल्ली में महिलाओं को AAP की ओर आकर्षित करना
कालकाजी से चुनाव जीतने वाली आतिशी केजरीवाल कैबिनेट में एकमात्र महिला मंत्री हैं। उन्होंने पार्टी और दिल्ली दोनों जगहों पर महिलाओं के मुद्दों की वकालत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सिसोदिया के जेल जाने के दौरान शिक्षा क्षेत्र में उनका योगदान भी काफी सराहनीय रहा था। उन्होंने शिक्षा मंत्रालय को सफलतापूर्वक संभाला और निर्धारित मानकों को बरकरार रखा। उनके मुख्यमंत्री बनने से दिल्ली के लोगों में AAP की महिलाओं को प्रोत्साहित करने वाली छवि सामने आ सकती है।
संगठन और प्रशासन में लंबा अनुभव भी है वजह
आतिशी का संगठन और प्रशासन में अनुभव व्यापक है। अपने मुखर दृष्टिकोण के लिए पहचान रखने वाली आतिशी के पास राजनीतिक और प्रशासनिक दोनों तरह की जिम्मेदारियों को संभालने का एक ठोस रिकॉर्ड है। वह साल 2013 के विधानसभा चुनाव में पार्टी की घोषणापत्र मसौदा समिति की प्रमुख सदस्य थीं। इसके बाद 2014 में उन्हें AAP प्रवक्ता बनाया गया। उन्होंने अप्रैल 2018 तक तत्कालीन शिक्षा मंत्री सिसोदिया की सलाहकार के रूप में भी काम किया था।
आतिशी साल 2020 में पहली बार बनी थीं विधायक
आतिशी को पार्टी ने साल 2020 के विधानसभा चुनाव में कालकाजी विधानसभा सीट से टिकट देकर मैदान में उतारा था। इसमें उन्होंने भाजपा उम्मीदवार धर्मवीर सिंह को 11,393 वोटों से हराकर जीत दर्ज की थी। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में पूर्वी दिल्ली से से उन्हें भाजपा उम्मीदवार गौतम गंभीर से करारी हार झेलनी पड़ी थी। केजरीवाल ने 9 मार्च, 2023 को कैबिनेट में फेरबदल के दौरान उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया था। उनके पास 10 से अधिक मंत्रालय हैं।
मुख्यमंत्री उम्मीदवार चुने जाने के बाद क्या बोलीं आतिशी?
मुख्यमंत्री उम्मीदवार चुने जाने के बाद आतिशी ने कहा, "जितना सुख आज मेरे मन में है, उतना दुख भी है। दुख इसलिए है कि दिल्ली के लोकप्रिय मुख्यमंत्री, मेरे बड़े भाई अरविंद केजरीवाल अपना इस्तीफा देंगे। मैं यही कहना चाहती हूं कि दिल्ली का एक ही मुख्यमंत्री है, जिसका नाम अरविंद केजरीवाल है।" इसी तरह शाम को केजरीवाल के इस्तीफा देने के बाद उन्होंने कहा, "वह पार्टी और दिल्ली के लोगों के हितों का पूरी तरह से ख्याल रखेंगी।"