
प्रधानमंत्री मोदी करेंगे तमिलनाडु का दौरा, जानें क्यों है यह अहम
क्या है खबर?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनाव से पहले दक्षिणी राज्यों का दौरा करने वाले हैं। खासकर उनका तमिलनाडु का दौरा काफी अहम माना जा रहा है, जहां भाजपा इस बार बिना किसी बड़े सहयोगी के मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।
द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (DMK) और अखिल भारतीय अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम (AIDMK) जैसी मुख्य पार्टियां अभी भी भाजपा से दूरी बनाए हुए हैं।
हालांकि, भाजपा को यहां एक छोटे सहयोगी का साथ जरूर मिला है।
सियासी समीकरण
तमिलनाडु में फिलहाल क्या सियासी समीकरण हैं?
वर्तमान में सत्तारूढ़ पार्टी DMK और कांग्रेस मिलकर लोकसभा चनाव लड़ेंगे। AIADMK यहां मुख्य विपक्षी पार्टी है और वो अकेले ही मैदान में उतरने वाली है।
दूसरी तरफ भाजपा ने 26 फरवरी को जीके वासन के नेतृत्व वाली तमिल मनीला कांग्रेस (TMC) से गठबंधन किया है।
इसके साथ ही वह AIADMK से निकाले गए पन्नीरसेल्वम (OPS), शशिकला और अम्मा मक्कल मुनेत्र कड़गम (AMMK) के प्रमुख टीटीवी दिनाकरण को भी अपने साथ लाने की कोशिशें कर रही है।
अहम
प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा अहम क्यों?
प्रधानमंत्री मोदी आज त्रिपुर जिले के पल्लडम में एक जनसभा में शामिल होंगे। इस दौरान उनके साथ राज्य इकाई प्रमुख के अन्नामलाई भी रहेंगे।
यह जनसभा उस पदयात्रा के समापन का प्रतीक होगा, जिसकी शुरुआत अन्नामलाई ने 28 जुलाई, 2023 को की थी।
इस पदयात्रा के तहत अन्नामलाई ने राज्य के सभी 234 विधानसभा क्षेत्रों को कवर कर 1,770 किलोमीटर से अधिक की पैदल यात्रा की।
इस यात्रा का उद्देश्य राज्य में भाजपा की स्थिति को मजबूत करना था।
सौगात
विकास परियोजनाओं का सहारा ले रहे प्रधानमंत्री मोदी?
प्रधानमंत्री मोदी बयानों से हटकर विकास का सहारा ले रहे हैं।
बुधवार को वह थूथुकुडी में 17,300 करोड़ रुपये के कई बुनियादी ढांचा परियोजना और वीओ चिदंबरनार बंदरगाह पर आउटर हार्बर कंटेनर टर्मिनल की आधारशिला रखेंगे।
वे लाइटहाउस प्रोजेक्ट्स और वांची मनियाच्ची-नागरकोइल रेल लाइन भी समर्पित करेंगे।
DMK राज्यों के अधिकारों को हड़पने, बाढ़ से तबाह चेन्नई और तूतीकोरिन को विशेष राहत पैकेज न देने दक्षिणी राज्यों के प्रति वित्तीय भेदभाव जैसे मुद्दों से भाजपा की मुश्किलें बढ़ा रही है।
जन आंदोलन
भाजपा के साथ जुड़ सकती हैं और पार्टियां
अन्नामलाई ने NDTV से बातचीत में कहा, "भूल जाओ कि तब और अब हमारे साथ कौन था। जब हमने पदयात्रा शुरू की थी तो यह भाजपा की पदयात्रा थी। अब यह एक जन आंदोलन में बदल गया है।"
उन्होंने कहा, "आने वाले महीनों में और भी पार्टियां जुड़ेंगी, जिससे प्रधानमंत्री मोदी के हाथ मजबूत होंगे।"
यही नहीं, पदयात्रा के अलावा भाजपा यहां सत्तारूढ़ पार्टी को वंशवाद, राष्ट्रवाद और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दों पर आए दिन घेर रही है।
रणनीति
तमिलनाडु में जीत के लिए भाजपा की और क्या है योजना?
भाजपा न केवल यहां जमीनी स्तर पर खुद को मजबूत कर रही है, बल्कि खुद को एक मजबूत विकल्प के तौर पर पेश करने की रणनीति पर भी काम कर रही है।
यही कारण है कि एक तरफ वह स्टालिन सरकार के खिलाफ मुखर है तो दूसरी तरफ पदयात्रा भी शुरू की।
भाजपा दूसरे दलों के नेताओं को अपने साथ लाने में जुटी है।
उत्तर भारत की आबादी वाले चेन्नई, कोयंबटूर और मदुरै जैसे शहरों पर भी उसकी नजर है।
स्थिति
राज्य में भाजपा की क्या स्थिति है?
2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने तमिलनाडु में एक सीट जीती थी, लेकिन 2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा शून्य पर सिमट गई थी और उसका वोट शेयर करीब 3.7 प्रतिशत रहा।
हालांकि, 2021 विधानसभा चुनाव में वह 4 सीटें जीतकर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में सफल रही।
हालांकि, तब भाजपा AIADMK के साथ गठबंधन में थी, लेकिन इस बार ऐसा नहीं है।
इस बार पार्टी के समक्ष 'हिंदी बेल्ट पार्टी' के टैग से आगे बढ़ने की चुनौती है।
अन्य
अन्य दक्षिणी राज्यों में भी भाजपा खुद को मजबूत करने में जुटी
भाजपा दक्षिण भारत में तमिलनाडु के साथ-साथ अन्य राज्यों में भी अपनी उपस्थिति मजबूत करने में जुटी है।
2 महीने में प्रधानमंत्री मोदी तीसरी बार केरल के दौरे पर गए हैं, जिससे भाजपा का आत्मविश्वास बढ़ा है। यहां मोदी राजनीतिक और धार्मिक के अलावा विकासात्मक दृष्टिकोण पर भी जोर दे रहे हैं।
इसके अलावा वह आंध्र प्रदेश और लक्षद्वीप के दौरे भी गए थे।
एक बार फिर से दक्षिणी राज्यों में भाजपा मोदी के करिश्मे के भरोसे है।