कभी ऑटो रिक्शा चलाने वाले एकनाथ शिंदे बने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री, जानिये कैसा रहा सफर
महाराष्ट्र में कई दिनों की सियासी उठापटक के बाद नए मुख्यमंत्री ने शपथ ले ली है। शिवसेना में बगावत कर उद्धव ठाकरे सरकार को गिराने वाले एकनाथ शिंदे भाजपा के सहयोग से राज्य के नए मुख्यमंत्री बने हैं। महाराष्ट्र की सियासत में बड़े खिलाड़ी बनकर उभरे शिंदे ने पहले बागियों का भरोसा जीता और अब उन्हें पूरे सूबे की कमान मिल गई है। आइये उनके राजनीतिक सफर पर एक नजर डालते हैं।
पार्षद का चुनाव जीतकर शुरू की थी राजनीतिक यात्रा
9 फरवरी, 1964 को पैदा हुए एकनाथ शिंदे ने साल 1997 में ठाणे नगर निगम चुनाव में पार्षद का चुनाव जीतकर अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी। सतारा जिले के पहाड़ी जवाली तालुका से संबंध रखने वाले शिंदे ने ठाणे से अपनी पढ़ाई पूरी की थी। 2001 में उन्हें ठाणे नगर निगम में सदन का नेता चुना गया और वो 2004 तक इस पद पर रहे। उनके बेटे श्रीकांत शिंदे फिलहाल कल्याण से शिवसेना के लोकसभा सांसद हैं।
2004 से लगातार चुनाव जीतते आए हैं शिंदे
58 वर्षीय शिंदे ठाकरे सरकार में नगर विकास मंत्री थे। कम उम्र में ही शिवसेना के साथ जुड़ने वाले शिंदे ठाणे की कोपरी-पांचपखाड़ी सीट से 2004, 2009, 2014 और 2019 में चुनाव जीत चुके हैं। वो अक्टूबर, 2014 से लेकर दिसंबर, 2014 तक महाराष्ट्र विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रहे थे। ठाणे इलाके में शिवसेना को मजबूत करने के पीछे शिंदे का हाथ माना जाता है और यहां से हर चुनाव में उनका उम्मीदवार जीतता आया है।
कभी ठाणे में ऑटो रिक्शा चलाते थे शिंदे
2004 के बाद तेजी से सफलता की सीढियां चढ़ने वाले शिंदे कभी ठाणे की सड़कों पर ऑटो रिक्शा चलाते थे। इसी दौरान शिवसेना नेता आनंद दिघे से उनकी मुलाकात हुई और यहीं से उनके राजनीति में प्रवेश के दरवाजे खुले।
मुख्यमंत्री बनते-बनते रह गए थे शिंदे
शिंदे को ठाकरे परिवार के बाद पार्टी में सबसे मजबूत शिवसैनिक माना जाता है। 2019 में अगर उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री बनने को राजी नहीं हुए होते तो इस बात की प्रबल संभावनाएं थीं कि शिंदे को इस पद पर बैठाया जाता। 2019 के चुनावी नतीजे आने के बाद शिवसेना ने उन्हें विधायक दल का नेता भी घोषित कर दिया था, लेकिन सहयोगियों पार्टियों की जिद के चलते उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाया गया।
शिवसेना से क्यों नाराज हुए शिंदे?
शिंदे पिछले काफी समय से उद्धव ठाकरे और पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय राउत से नाराज थे। पार्टी में नजरअंदाज किए जाने से दुखी शिंदे की नेतृत्व से लंबे समय से नाराजगी बनी हुई थी। बताया जाता था कि उन्हें अपनी मर्जी से विभाग चलाने की छूट नहीं दी जा रही थी और उनके काम पर लगातार नजर रखी जा रही थी। इसके अलावा वो पार्टी में आदित्य ठाकरे के बढ़ते कद से भी आहत थे।
फडणवीस के करीबी संपर्कों में आते हैं शिंदे
ठाकरे सरकार में मंत्री रहते हुए भी शिंदे की भाजपा से नजदीकी लगातार बनी हुई थी। दरअसल, देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री रहते हुए शिंदे उनकी सरकार में लोक निर्माण मंत्री रहे थे। दोनों नेताओं के बीच यह संपर्क शिवसेना और भाजपा का गठबंधन टूटने के बाद भी जारी रहा। इसी संपर्क का फायदा उठाते हुए भाजपा ने उन्हें ठाकरे के खिलाफ बगावत के लिए तैयार किया। बता दें कि शिंदे पर 18 आपराधिक मामले दर्ज हैं।