महाराष्ट्र: सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद आगे क्या? जानें बहुमत परीक्षण की प्रक्रिया
आज महाराष्ट्र के सियासी संकट पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कल शाम पांच बजे तक बहुमत परीक्षण कराने का आदेश दिया है। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस को इस समय तक महाराष्ट्र विधानसभा में अपना बहुमत साबित करना होगा और अगर वो ऐसा करने में नाकायमाब रहते हैं तो उनकी सरकार गिर जाएगी। इस बेहद महत्वपूर्ण बहुमत परीक्षण की पूरी प्रक्रिया क्या रहेगी और इसमें क्या-क्या महत्वपूर्ण रहने जा रहा है, आइए आपको बताते हैं।
क्या होता है बहुमत परीक्षण?
बहुमत परीक्षण यानि फ्लोर टेस्ट से विधानसभा की पटल पर ये तय होता है कि मुख्यमंत्री और सरकार के पास बहुमत का समर्थन है या नहीं। बहुमत परीक्षण ध्वनि मत और विधायकों के मतदान दोनों तरीके से हो सकता है। ध्वनि मत में विधायक मेज पीटकर मुख्यमंत्री के लिए अपने समर्थन का ऐलान करते हैं। वहीं मतदान में सभी विधायक अपना मत देते हैं और उनकी संख्या गिनने के बाद मुख्यमंत्री के भविष्य का फैसला होता है।
कौन बुला सकता है विधानसभा का सत्र?
संविधान के मुताबिक विधानसभा सत्र बुलाने का अधिकार राज्यपाल को होता है। लेकिन कई मामलों में सुप्रीम कोर्ट भी बहुमत परीक्षण कराने के लिए विधानसभा सत्र बुलाने का आदेश दे चुकी है। 2018 में कर्नाटक में कुछ ऐसा ही हुआ था जब राज्यपाल वजुभाई वाला ने भाजपा के बीएस येदियुरप्पा को बहुमत साबित करने के लिए 15 दिन का समय दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे पलटते हुए 48 घंटे के अंदर बहुमत परीक्षण कराने का आदेश दिया था।
कौन कराएगा बहुमत परीक्षण?
महाराष्ट्र में भी सुप्रीम कोर्ट ने कुछ ऐसा ही आदेश दिया है। अब सवाल ये है कि बहुमत परीक्षण कराने की जिम्मेदारी किसकी होगी। आमतौर पर विधानसभा स्पीकर बहुमत परीक्षण कराता है, लेकिन तत्काल बहुमत परीक्षण के मामलों में स्पीकर का चयन बहुमत परीक्षण के बाद होता है। इन मामलों में बहुमत परीक्षण प्रोटेम स्पीकर कराता है, जिसका चयन राज्यपाल को करना होता है। आमतौर पर प्रोटेम स्पीकर विधानसभा का वरिष्ठतम विधायक होता है।
महाराष्ट्र में कांग्रेस के बालासाहेब थोरट वरिष्ठतम विधायक
लेकिन राज्यपाल किसी अन्य सदस्य को भी प्रोटेम स्पीकर बना सकते हैं। महाराष्ट्र विधानसभा में कांग्रेस के बालासाहेब थोरट सबसे वरिष्ठतम विधायक हैं। राज्यपाल चाहें तो किसी अन्य सदस्य को भी प्रोटेम स्पीकर बना सकते हैं।
क्या प्रोटेम स्पीकर के पास होती हैं सारी शक्तियां?
प्रोटेम स्पीकर को बहुमत परीक्षण के समय स्पीकर की सारी शक्तियां नहीं होती हैं। पहले जब भी सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत परीक्षण कराने का आदेश दिया है, उसने इसके साथ कुछ शर्तें भी लगाई हैं। 2018 में कर्नाटक में सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत परीक्षण का लाइव टेलीकास्ट करने का आदेश दिया था। महाराष्ट्र में भी कोर्ट ने ओपन बैलेट के जरिए बहुमत परीक्षण कराने और इसका लाइव टेलीकास्ट कराने का आदेश दिया है।
क्या रहेगा अजित पवार का रोल?
दल-बदल विरोधी कानून के मुताबिक, बहुमत परीक्षण के दौरान जो भी विधायक अपनी पार्टी के व्हिप का उल्लंघन करता है उसकी सदस्यता रद्द हो सकती है। कोई भी पार्टी या उसके विधायक दल का नेता ये व्हिप जारी कर सकता है। शनिवार को बगावत से पहले अजित पवार राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) विधायक दल के नेता थे। लेकिन NCP ने बाद में उन्हें हटाकर जयंत पाटिल को विधायक दल का नेता बना दिया।
विशेषज्ञों का मत, अजित को नहीं व्हिप जारी करने का हक
ऐसे में NCP विधायक दल का नेता किसे माना जाएगा और किसका व्हिप मान्य होगा, ये एक विवादित मुद्दा बन सकता है। विशेषज्ञों के अनुसार, विधायक दल के नेता के पद से हटाए जाने के बाद अजित पवार को व्हिप जारी करने का कोई अधिकार नहीं है। शरद पवार ने भी अपने विधायकों को आश्वासन देते हुए कहा है कि अजित विधायक दल के नेता नहीं है और उनके व्हिप का उल्लंघन करने पर किसी की सदस्यता नहीं जाएगी।
क्या है महाराष्ट्र विधानसभा की स्थिति?
288 सदस्यीय महाराष्ट्र में भाजपा के 105 विधायक हैं। वहीं शिवसेना के 56, NCP के 54 और कांग्रेस के 44 विधायक हैं। इसके अलावा निर्दलीय और छोटी पार्टियों के मिलाकर कुल 29 विधायक हैं। बहुमत परीक्षण में इनका रोल अहम हो सकता है।