राजनीतिक हिंसा पर केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार से तलब की रिपोर्ट, दूसरी एडवाइजरी जारी
रविवार को केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल सरकार से रिपोर्ट मांगते हुए पूछा है कि उसने राज्य में हो रही राजनीतिक हिंसा को रोकने के लिए क्या-क्या उपाय किए हैं। गृह मंत्रालय ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार को राजनीतिक हिंसा के सभी मामलों की जांच करने और अपराधियों को सजा देने को भी कहा है। इसके अलावा मंत्रालय ने डॉक्टरों की हड़ताल पर भी राज्य सरकार से रिपोर्ट तलब की है।
लगातार जारी हिंसा चिंता का विषय
2016 से 2019 के बीच पिछले 4 सालों में राज्य में हुई चुनावी और राजनीतिक हिंसा को आधार बनाते हुए गृह मंत्रालय ने बंगाल सरकार को एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि सालों से लगातार जारी हिंसा गंभीर चिंता का विषय है।
हिंसा पर फिर आमने-सामने केंद्र और ममता सरकार
गृह मंत्रालय ने इन आंकड़ों को बनाया आधार
गृह मंत्रालय के अनुसार, पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा के मामले 2016 में 509 से बढ़कर 2018 में 1035 हो गए। वहीं, 2019 में अब तक राजनीतिक हिंसा के 700 से ज्यादा मामले दर्ज हो चुके हैं। दूसरी तरफ, इन हिंसाओं में मरने वालों की संख्या भी 2016 में 36 से बढ़कर 2018 में 96 हो गई है। वहीं, 2019 में अभी तक राजनीतिक हत्या के 36 मामले दर्ज किए जा चुके हैं।
मंत्रालय ने कहा, कानून व्यवस्था बनाए रखने में असफल रही राज्य सरकार
गृह मंत्रालय की एडवाइजरी में कहा गया है, "2016 से 2019 तक लगातार जारी राजनीतिक हिंसा के ये ट्रेंड कानून व्यवस्था और लोगों में सुरक्षा की भावना बनाए रखने में राज्य की कानूनी मशीनरी की असफलता की ओर संकेत करते हैं। भारत सरकार पश्चिम बंगाल की मौजूदा स्थिति पर बेहद गंभीर है।" इसके बाद राजनीतिक हिंसा को रोकने और आरोपियों को सजा दिलाने के लिए राज्य सरकार के कदमों पर रिपोर्ट गृह मंत्रालय को सौंपने को कहा गया है।
राजनीतिक हिंसा पर दूसरी एडवाइजरी
बता दें कि राज्य में जारी राजनीतिक हिंसा के बीच ये गृह मंत्रालय की राज्य सरकार को दूसरी एडवाइजरी है। पिछली एडवाइजरी के जवाब में पश्चिम बंगाल सरकार ने कहा था कि राज्य में कानून व्यवस्था की कोई समस्या नहीं है।
लोकसभा चुनाव से जारी भाजपा-TMC का हिंसक टकराव
बंगाल में भाजपा और TMC के बीच हिंसक टकराव लोकसभा चुनाव के समय से ही चल रहा है। मोदी सरकार ने बंगाल की "राजनीतिक हिंसा" में मारे गए 54 भाजपा कार्यकर्ताओं के परिजनों को अपने शपथ ग्रहण का विशेष आमंत्रण भेजा था। इसके विरोध में ममता बनर्जी ने शपथ ग्रहण में हिस्सा नहीं लिया था। उन्होंने कहा था कि कार्यकर्ताओं के राजनीतिक हिंसा में मरने की बात गलत है और भाजपा शपथ के पवित्र आयोजन का राजनीतिकरण कर रही है।