सबरीमाला मंदिर: कड़ी सुरक्षा के बीच खुला कपाट, बिना दर्शन के वापस लौंटी तृप्ति देसाई
सबरीमाला मंदिर के कपाट शुक्रवार की शाम कड़ी सुरक्षा के बीच दो महीने तक चलने वाली श्रद्धालु पूजा के लिए खोल दिए गए। मंडला मक्काराविल्लकु नाम से मशहूर इस पूजा में लाखों की संख्या में श्रद्धालु सबरीमाला मंदिर पहुंचते हैं। भगवान अयप्पा का दर्शन करने के लिए बेसकैंप पंबा में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ जमा है। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मंदिर में दर्शन के लिए पहुंची तृप्ति देसाई को भारी विरोध के कारण वापस लौटना पड़ा।
विरोध के बाद तृप्ति ने पुणे लौटने का लिया फैसला
मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश की लड़ाई लड़ने वाली सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई शुक्रवार की सुबह कोच्चि पहुंची थीं। जहां से वो सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा का दर्शन करना चाहती थीं। लेकिन लोगों के भारी विरोध के कारण वो एयरपोर्ट से बाहर नहीं निकल सकीं। एयरपोर्ट पर तृप्ति के विरोध में बड़ी संख्या में लोग सुबह से शाम तक खड़े रहे। ऐसे में तृप्ति और उनके साथ आई छह महिलाओं की टीम ने वापस लौटने का फैसला लिया।
मंदिर के आस-पास भारी पुलिसबल तैनात
किसी भी परिस्थिती से निपटने के लिए मंदिर के आस-पास भारी संख्या में पुलिस बल को तैनात किया गया है। पुलिस महानिरीक्षक विजय सलीम ने बताया कि करीब 15,000 पुलिस कर्मियों की तैनाती इस पूजा के दौरान की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति मिल चुकी है। जिसका स्थानीय लोग विरोध कर रहे है। जारी गतिरोध से निपटने के लिए बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए हैं।
सर्वदलीय बैठक से भी नहीं निकल सका था कोई ठोस फैसला
सबरीमाला मंदिर पर जारी गतिरोध को खत्म करने के लिए गुरुवार को केरल में सर्वदलीय बैठक बुलाई गई थी। लेकिन उस बैठक से कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन कोर्ट के फैसले को लागू करने पर अड़े थे। जिसका विरोध करते हुए विपक्षी दलों ने बैठक छोड़ दिया था। मंदिर प्रशासन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट जाने की योजना बना रही है। ताकि इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए कुछ वक्त मिल जाए।
क्या है विवाद की वजह
सबरीमाला मंदिर में सुप्रीम कोर्ट ने हर उम्र की महिलाओं को जाने की अनुमति दी थी। जबकि मान्यता यह हैैै कि यहां माहवारी उम्र वाली महिलाओं को नहीं जाना चाहिए। कोर्ट के इस फैसले के बाद भारी गतिरोध उत्पन्न हो गया था। स्थानीय लोग किसी भी सूरत में माहवारी उम्र की महिला को मंदिर में नहीं जाने देना चाहते। जबकि शनि शिंगनापुर में 400 साल पुरानी परंपरा को तोड़ चुकी तृप्ति सबरीमाला में प्रवेश की लड़ाई लड़ रही हैं।