सबरीमाला विवाद: जानिये कैसे एक कन्नड़ अभिनेत्री का दावा बन गया इतने बड़े बवंडर का कारण
क्या है खबर?
सबरीमाला मंदिर का विवाद इस समय पूरे चरम पर है। शुक्रवार को मंदिर के कपाट 62 दिनों तक चलने वाली श्रद्दालु पूजा के लिए खोल दिए गए।
लेकिन भगवान अयप्पा के दर्शन की लालसा मन में लिए कोच्चि पहुंची सामाजिक कार्यकर्ता तृप्ति देसाई को भारी विरोध के कारण वापस लौटना पड़ा।
विवाद में मंदिर की पुरानी परंपरा और सुप्रीम कोर्ट का फैसला आमने-सामने है। आईए जानते हैं क्या है यह विवाद, जिसके कारण केरल में जबरदस्त बवाल मचा हुआ है।
मान्यता
ब्रह्मचारी माने जाते हैं सबरीमाला मंदिर में स्थापित भगवान अयप्पा
सबरीमाला मंदिर में भगवान अयप्पा की पूजा की जाती है। भगवान अयप्पा को ब्रह्मचारी माना जाता है।
मान्यता है कि माहवारी वाली महिला के संपर्क में आते ही अयप्पा की शक्ति कम हो जाती है।
इस कारण मंदिर में 10 से 50 साल तक की उम्र वाली महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी है।
जिसके खिलाफ दायर याचिका की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 28 सितंबर को हर उम्र की महिलाओं के प्रवेश की अनुमति दे दी थी।
कारण
कन्नड़ अभिनेत्री के दावे से यह विवाद बना बवंडर
मौजूदा विवाद की शुरुआत साल 2006 में तब हुई जब मंदिर के मुख्य ज्योतिष परप्पनगडी उन्नीकृष्णन ने दावा किया कि किसी महिला के संपर्क में आने से भगवान अयप्पा अपनी ताकत खो रहे हैं।
इसके बाद कन्नड़ अभिनेत्री जयमाला ने दावा किया कि साल 1987 में जब वह अपने पति अभिनेता प्रभाकरण के साथ सबरीमाला गई थी, तब भीड़ के दवाब में गर्भगृह तक पहुंच गई थी।
तब जयमाला ने दावा किया कि उन्होंने अयप्पा की मूर्ति को छुआ था।
जानकारी
अभिनेत्री के दावे के साथ सुप्रीम कोर्ट में आया मामला
जयमाला के इस दावे के बाद केरल में बड़ा हंगामा हुआ। महिलाओं के प्रवेश पर लगे सालों पुराने प्रतिबंध के खिलाफ केरल के 'यंग लॉयर्स एसोसिएशन' ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।
मामला सुप्रीम कोर्ट में जाने के बाद भी महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी लगी रही।
सुप्रीम कोर्ट ने 7 नवंबर 2017 को अपना रुख जाहिर करते हुए कहा कि वह सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने के पक्ष में है।
फैसला
सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं की जीत पर लगाई मुहर
विवाद पर 28 सितंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला आया, कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी।
अपने फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि, हर उम्र वर्ग की महिलाएं अब मंदिर में प्रवेश कर सकेंगी।
फैसला सुनाते हुए कोर्ट ने कहा था कि हमारी संस्कृति में महिलाओं को आदरणीय स्थान हासिल है। ऐसे में उन्हें किसी परंपरा के तहत मंदिर में प्रवेश से रोकना कानूनन गलत होगा।
प्रतिक्रिया
फैसला आने के बाद केरल के लोगों में उमड़ा उबाल
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले पर दो तरह की प्रतिक्रिया देखने को मिली। एक तरफ कई महिला सगंठनों ने इसका स्वागत किया।
दूसरी तरफ तमिलनाडु के लोग इसके खिलाफ है। विरोध का आलम यह है कि फैसला आने के बाद तीसरी बार खोले गए सबरीमाला मंदिर में अब-तक माहवारी उम्र की कोई भी महिला प्रवेश नहीं कर सकी है।
शनि शिंगनापुर में ऐसी ही प्रथा को तोड़ने वाली तृप्ति देसाई को भी अपने पहले प्रयास में असफलता हाथ लगी है।