महाराष्ट्रः नए कानून के तहत पहला केस, व्हाट्सऐप पर तलाक देने के आरोपी पर मुकदमा दर्ज
मुंब्रा पुलिस ने हाल ही में बने तीन तलाक कानून के तहत पहला केस दर्ज किया है। पुलिस ने यहां एक 35 वर्षीय व्यक्ति के खिलाफ कथित तौर पर अपनी पत्नी को व्हाट्सऐप के जरिए तीन तलाक देने का केस दर्ज किया है। यह बुधवार को संसद में पास हुए मुस्लिम मुस्लिम महिला (विवाह अधिकार संरक्षण) अधिनियम, 2019 के तहत महाराष्ट्र में दर्ज हुआ पहला मामला है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
चार साल पहले हुई थी शादी
पुलिस ने कहा कि वह आरोपी पति ने अपनी शादी के चार साल बाद इस शक पर तीन तलाक दे दिया कि उसके किसी से अवैध संबंध है। महिला अपनी शिकायत लेकर ठाणे पुलिस कमिश्नर कार्यालय में पहुंची, जिसके बाद गुरुवार को उसके पति के खिलाफ केस दर्ज किया गया। MBA ग्रेजुएट महिला ने अपनी शिकायत में कहा कि उनकी शादी 2015 में हुई थी। शादी के बाद पहले दिन से उसके ससुरालजनों ने उसका शोषण शुरू कर दिया।
व्हाट्सऐप पर भेजा तलाक का मैसेज
एक अधिकारी ने बताया कि सितंबर, 2017 में महिला को पता चला कि उसके पति का अवैध संबंध है। उसके बाद से दोनों में झगड़े शुरू हो गए। 30 नवंबर, 2018 को महिला के पति ने व्हाट्सऐप पर उसे तीन बार तलाक लिखकर भेजा। उसके बाद उसने फोन कर महिला को तीन बार तलाक दे दिया। उसके बाद से दोनों में बात नहीं हुई थी। अब यह कानून बनने के बाद महिला ने मामला दर्ज कराया है।
आरोपी की मां और बहन के खिलाफ भी केस दर्ज
मामले की जांच कर रहे पुलिस अधिकारी ने कहा कि उनके पास इस व्हाट्सऐप चैट के स्क्रीनशॉट हैं और इसे सबूत के तौर पर इस्तेमाल किये जाएंगे। उन्होंने कहा कि आरोपी आबूधाबी में काम करता है इसलिए अभी तक इस मामले में कोई गिरफ्तारी नहीं की गई है। पुलिस ने आरोपी की मां और बहन पर महिला को दहेज के लिए परेशान करने के मामले में केस दर्ज किया है।
क्या है नया तीन तलाक कानून
इस कानून के तहत तलाक-ए-बिद्दत को दंडनीय अपराध बना दिया गया है। इसे 'इंस्टेंट तलाक' या मौखिक तलाक भी कहते हैं। नए कानून के तहत तत्काल तीन तलाक देने वाले पति को अधिकतम 3 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है। मजिस्ट्रेट को पीड़िता का पक्ष सुनने के बाद सुलह कराने और जमानत देने का अधिकार दिया गया है। मुकदमे से पहले पीड़िता का पक्ष सुनकर मजिस्ट्रेट आरोपी को जमानत दे सकता है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बताया लैंगिंक न्याय की जीत
राज्यसभा से यह बिल पास होने के बाद होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे न्याय और समानता की जीत बताया था। ट्वीट करते हुए उन्होंने कहा, "एक प्राचीन और मध्ययुगीन प्रथा आखिरकार इतिहास के कूड़ेदान में चली गई। संसद ने तीन तलाक को समाप्त किया और मुस्लिम महिलाओं के साथ हुए ऐतिहासिक अन्याय की ठीक किया। ये लैंगिंक न्याय की जीत है और समाज में समानता को बढ़ाएगी।" वहीं कांग्रेस ने बिल को "राजनीति से प्रेरित" बताया था।