भाजपा और शिवसेना साथ मिलकर लड़ेंगे लोकसभा और विधानसभा चुनाव, एकनाथ शिंदे ने किया ऐलान
क्या है खबर?
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने सोमवार को ट्वीट कर कहा कि शिवसेना आगामी लोकसभा चुनाव, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव और नगर निकाय चुनाव भाजपा के साथ मिलकर लड़ेगी।
उन्होंने कहा कि भाजपा और शिवसेना का गठबंधन मजूबत है, जो राज्य को विकास के मार्ग पर ले जाएगा।
शिंदे ने रविवार रात को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ दिल्ली में मुलाकात की थी। इस दौरान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस भी मौजूद रहे।
बयान
महाराष्ट्र सरकार को लगातार मिल रहा केंद्र का सहयोग- शिंदे
एकनाथ शिंदे ने ANI के साथ बातचीत करते हुए कहा, "गृह मंत्री (अमित शाह) के साथ बैठक में कृषि और महिला सशक्तिकरण समेत विभिन्न विषयों को लेकर चर्चा हुई। यह एक सकारात्मक बैठक थी।"
उन्होंने कहा कि बैठक में कैबिनेट विस्तार को लेकर भी चर्चा की गई है।
शिंदे ने कहा, "पिछले 11 महीनों से महाराष्ट्र सरकार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की तरफ से पूरा सहयोग मिल रहा है।"
निशाना
संजय राउत ने बैठक को लेकर शिंदे पर साधा निशाना
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने शिंदे और शाह की बैठक पर निशाना साधा है।
उन्होंने कहा, "पहले महाराष्ट्र सरकार का आलाकमान मुंबई में होता था, लेकिन शिंदे सरकार का आलाकमान दिल्ली में मौजूद है। वह बालासाहेब और उनकी शिवसेना की बात करते हैं और दिल्ली में मुजरा करते हैं। असली शिवसेना कभी भी किसी के आगे नहीं झुकी है। एक साल हो गया, लेकिन कैबिनेट विस्तार नहीं हुआ है।"
अहमियत
गठबंधन के ऐलान की क्या अहमियत है?
शिंदे के भाजपा के साथ चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल तेज हो गई है।
दरअसल, कुछ दिन पहले उद्धव गुट ने दावा किया था कि शिंदे गुट के कई विधायक और सांसद भाजपा के साथ नाखुश हैं और शिवसेना छोड़ना चाहते हैं। शिंदे ने गठबंधन का ऐलान कर इन दावों को बेबुनियाद बताने की कोशिश की है।
इसके अलावा अब चुनाव में महा विकास अघाड़ी को भाजपा-शिवसेना गठबंधन की चुनौती का सामना करना होगा।
राजनीति
शिंदे की बगावत के बाद 2 हिस्सों में बंटी थी शिवसेना
शिंदे ने पिछले साल जून में 40 विधायकों के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी, जिससे शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस के गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार गिर गई थी।
कई दिनों के सियासी खींचतान के बाद शिंदे गुट ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। इसके बाद पार्टी पर कब्जे को लेकर मामला चुनाव आयोग पहुंचा था, जहां शिवसेना का नाम और चिह्न शिंदे गुट को मिल गया था।