शिंदे गुट के 22 विधायक और 9 सांसद चाहते हैं शिवसेना छोड़ना, भाजपा से नाखुश- सामना
शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) ने अपने मुखपत्र सामना में दावा किया है कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना खेमे के 22 विधायक और 9 सांसद उनका साथ छोेड़ना चाहते हैं। दावे के अनुसार, यह सभी विधायक और सांसद भाजपा से खुश नहीं हैं और उद्धव गुट के संपर्क में हैं। भाजपा और शिंदे गुट के नेताओं ने सामना में किए गए इस दावे पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है।
उद्धव गुट ने अपने मुखपत्र में क्या-क्या कहा?
उद्धव ठाकरे के गुट ने सामना के संपादकीय में लिखा, "शिवसेना से अलग हुए गद्दार गुट की स्थिति धोबी के कुत्ते जैसी हो गई है। 'हम ही शिवसेना' का खोखला दावा करने वाले एकनाथ शिंदे के गुट के नेता गजानन कीर्तिकर ने भाजपा के व्यवहार पर खुले तौर पर नाराजगी व्यक्त की है। कीर्तिकर ने कहा है कि उनकी पार्टी 22 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है। हालांकि, भाजपा उन्हें 5-7 सीटें देने के लिए भी तैयार नहीं है।"
उद्धव गुट के दावे के पीछे का आधार क्या है?
उद्धव गुट ने यह दावा कीर्तिकर द्वारा कुछ दिन पहले दिए गए बयान के बाद किया है, जिसमें उन्होंने भाजपा पर उनके और बाकी सांसदों के साथ भेदभाव करने का आरोप लगाया था। कीर्तिकर ने कहा था, "हम 13 सांसद हैं और हम राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) का हिस्सा हैं और हमें उम्मीद थी कि हमारे लोकसभा क्षेत्रों में समस्याओं से संबंधित मुद्दों को प्राथमिकता के आधार पर हल किया जाएगा, लेकिन हमें ऐसा होता हुआ नहीं दिख रहा है।"
उद्धव गुट के सांसद भी कर चुके हैं ऐसा ही दावा
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, उद्धव गुट के सांसद विनायक राउत ने भी दावा किया था कि महाराष्ट्र सरकार में मंत्री शंभूराजे देसाई ने पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक संदेश भेजकर कहा है कि उनका शिंदे गुट में दम घुट रहा है। देसाई ने राउत के दावों को खारिज करते हुए 2 दिन के अंदर माफी मांगने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि अगर राउत माफी नहीं मांगते हैं तो वह कानूनी सहायता लेंगे।
उद्धव गुट के सामने हैं कई चुनौतियां
उद्धव शिवसेना का नाम और चिन्ह छिन जाने के बाद कई मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। उद्धव के सामने पार्टी को दोबारा खड़ा कर मजबूत स्थिति में लाने की बड़ी चुनौती है। पूरे मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद उद्धव ने शिंदे को चुनाव कराने की चुनौती दी थी, लेकिन उनके लिए यह राह आसान नहीं है। उद्धव इससे पहले नैतिकता के आधार पर भी शिंदे से इस्तीफे की मांग कर चुके हैं।
शिंदे की बगावत के बाद दो हिस्सों में बंट गई थी शिवसेना
शिंदे ने पिछले साल जून में 40 विधायकों के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव के खिलाफ बगावत कर दी थी और इससे शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस के गठबंधन वाली महाविकास अघाड़ी (MVA) सरकार गिर गई थी। कई दिनों तक चले सियासी खींचतान के बाद शिंदे गुट ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। इसके बाद पार्टी पर कब्जे को लेकर लड़ाई हुई थी और मामला चुनाव आयोग और इसके बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।