शिवसेना का चुनाव चिन्ह हुआ फ्रीज, उपचुनाव में नहीं इस्तेमाल कर पाएंगे दोनों गुट
क्या है खबर?
चुनाव आयोग ने शिवसेना के दोनों गुटों द्वारा अंधेरी ईस्ट विधानसभा उपचुनाव में पार्टी के चुनावी चिन्ह 'तीर और कमान' के इस्तेमाल करने पर आंतरिक रोक लगा दी है।
शिवसेना के एक गुट का नेतृत्व महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे कर रहे हैं, वहीं मौजूदा मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में दूसरा गुट पार्टी और इसके चुनावी चिन्ह पर अपना दावा ठोक रहा है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव चिन्ह का फैसला चुनाव आयोग पर छोड़ा है।
पृष्ठभूमि
क्या है शिवसेना की पूरी अंदरूनी लड़ाई?
जून में शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने 40 विधायकों के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी और इससे शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार गिर गई थी।
इसके बाद शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली और अभी वह मुख्यमंत्री हैं। वह शिवसेना पार्टी पर कब्जा करने की कोशिश भी कर रहे हैं और चुनाव आयोग में याचिका देकर शिवसेना का चुनाव चिन्ह देने की मांग की थी।
फैसला
दोनों गुटों को आवंटित होगा नया चुनाव चिन्ह
चुनाव आयोग ने अंतरिम आदेश पारित करते हुए कहा कि शिवसेना के दोनों ही गुटों को तीर और कमान वाला चुनाव चिन्ह इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होगी। दोनों ही गुट अपनी मर्जी का नाम रख सकते हैं, जो मूल पार्टी से जुड़ा हो सकता है। साथ ही उन्हें अलग-अलग चुनाव चिन्ह आवंटित किए जाएंगे।
चुनाव आयोग का यह फैसला आगामी उपचुनाव को कवर करेगा और शिवसेना पर कब्जे का विवाद सुलझने तक लागू रहेगा।
खींचतान
'असली शिवसेना' को लेकर चल रही खींचतान
बता दें कि पिछले काफी समय से उद्धव ठाकरे और शिंदे गुट के बीच 'असली शिवसेना' पर कब्जे को लेकर खींचतान चल रही है।
शुक्रवार को ठाकरे ने कहा था कि शिंदे गुट तीर और कमान वाला चुनाव चिन्ह इस्तेमाल नहीं कर सकता क्योंकि मुख्यमंत्री और बाकी विधायकों ने अपनी मर्जी से पार्टी छोड़ी थी।
उनका यह बयान शिंदे गुट की तरफ से आगामी उपचुनाव के लिए चुनावी चिन्ह पर दावा जताने के बाद आया था।
जानकारी
पार्टी पदाधिकारियों से समर्थन जुटा रहे ठाकरे
तकनीकी तौर पर उद्धव ठाकरे अभी भी शिवसेना के प्रमुख हैं, लेकिन शिंदे गुट का कहना है कि पार्टी के अधिकतर सांसद, विधायक और कार्यकर्ता उसकी तरफ है, इसलिए शिवसेना ठाकरे के नियंत्रण नहीं होना चाहिए।
वहीं अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए उद्धव ठाकरे पार्टी पदाधिकारियों से समर्थन जुटा रहे हैं। उन्होंने अपने समर्थन वाले पांच लाख हलफनामे इकट्ठे करने का लक्ष्य रखा है ताकि चुनाव आयोग के सामने अपनी स्थिति मजबूत की जा सके।
जानकारी
सुप्रीम कोर्ट से ठाकरे को लग चुका है झटका
शिंदे गुट के चुनाव आयोग से उसे असली शिवसेना घोषित करने की मांग के बाद उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर आयोग की कार्यवाही पर रोक की मांग की थी।
बीते मंगलवार को जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने आयोग की कार्यवाही पर रोक लगाने से इनकार करते हुए उद्धव गुट की याचिका खारिज कर दी थी।
इसे ठाकरे गुट के लिए बड़ा झटका माना गया था।