शिवसेना का चुनाव चिन्ह जब्त किए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंचा उद्धव खेमा
क्या है खबर?
शिवसेना का उद्धव ठाकरे खेमा पार्टी के चुनाव चिन्ह को जब्त किए जाने के खिलाफ हाई कोर्ट पहुंच गया है।
समाचार एजेंसी PTI के अनुसार, ठाकरे खेमे ने शिवसेना के चुनाव चिन्ह 'तीर और कमान' को जब्त करने के चुनाव आयोग के फैसले के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर की है।
आयोग ने 8 अक्टूबर को ये आदेश जारी किया था और ठाकरे और एकनाथ शिंदे के खेमों के तीर-कमान का इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी थी।
पृष्ठभूमि
शिंदे और ठाकरे गुट में चल रही है शिवसेना पर कब्जे की लड़ाई
बता दें कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के बीच शिवसेना पर कब्जे को लेकर लड़ाई चल रही है।
दोनों ही गुट पार्टी और इसके चुनाव चिन्ह पर अपना दावा ठोक रहे हैं। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग दोनों में इस संबंध में याचिका दायर की है।
सुप्रीम कोर्ट ने विवाद का फैसला चुनाव आयोग पर छोड़ दिया है, जिसने 8 अक्टूबर को अहम फैसला सुनाया था।
फैसला
दोनों गुटों को आवंटित होगा नया चुनाव चिन्ह
अपने अंतरिम आदेश में चुनाव आयोग ने कहा था कि शिवसेना के दोनों ही गुटों को तीर और कमान वाला चुनाव चिन्ह इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होगी। दोनों ही गुट अपनी मर्जी का नाम रख सकते हैं, जो मूल पार्टी से जुड़ा हो सकता है। साथ ही उन्हें अलग-अलग चुनाव चिन्ह आवंटित किए जाएंगे।
चुनाव आयोग का यह फैसला आगामी उपचुनाव को कवर करेगा और शिवसेना पर कब्जे का विवाद सुलझने तक लागू रहेगा।
जानकारी
ठाकरे खेमे ने चुनाव आयोग से क्या कहा था?
चुनाव आयोग में दाखिल किए गए अपने हलफनामे में ठाकरे ने कहा था कि शिंदे गुट तीर और कमान वाला चुनाव चिन्ह इस्तेमाल नहीं कर सकता क्योंकि शिंदे और बाकी विधायकों ने अपनी मर्जी से पार्टी छोड़ी थी।
जानकारी
पार्टी पदाधिकारियों का समर्थन जुटा रहे ठाकरे
तकनीकी तौर पर उद्धव ठाकरे अभी भी शिवसेना के प्रमुख हैं, लेकिन शिंदे गुट का कहना है कि पार्टी के अधिकतर सांसद, विधायक और कार्यकर्ता उसकी तरफ हैं, इसलिए शिवसेना पर ठाकरे का नियंत्रण नहीं होना चाहिए।
वहीं अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए उद्धव ठाकरे पार्टी पदाधिकारियों का समर्थन जुटा रहे हैं। उन्होंने अपने समर्थन वाले पांच लाख हलफनामे इकट्ठे करने का लक्ष्य रखा है ताकि चुनाव आयोग के सामने अपनी स्थिति मजबूत की जा सके।
लड़ाई
क्या है शिवसेना की अंदरूनी लड़ाई?
शिवसेना नेता एकनाथ शिंदे ने जून में 40 विधायकों के साथ तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी और इससे शिवसेना, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) और कांग्रेस के गठबंधन वाली सरकार गिर गई थी।
इसके बाद शिंदे ने भाजपा के साथ मिलकर सरकार बना ली और अभी वह मुख्यमंत्री हैं। वह शिवसेना पार्टी पर कब्जा करने की कोशिश भी कर रहे हैं और चुनाव आयोग में याचिका देकर शिवसेना का चुनाव चिन्ह देने की मांग की थी।