जयंत चौधरी को राज्यसभा भेजेगी समाजवादी पार्टी, उम्मीदवारी का ऐलान
समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय लोकदल (RLD) नेता जयंत चौधरी का राज्यसभा चुनाव के लिए अपना प्रत्याशी घोषित किया है। सपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर जानकारी दी गई कि जयंत चौधरी समाजवादी पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल से राज्यसभा के संयुक्त प्रत्याशी होंगे। पहले कयास लगाए जा रहे थे कि अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव को राज्यसभा भेजा जा सकता है, लेकिन जयंत की उम्मीदवारी के साथ ही इन सभी कयासों पर विराम लग गया है।
जुलाई में खाली हो रहीं 11 सीटें
उत्तर प्रदेश के कोटे से 11 राज्यसभा सीटें जुलाई में खाली हो रही हैं। इन पर होने वाले चुनावों में 10 सीटों पर नतीजे साफ हैं। विधायकों की संख्या के आधार पर सात सीटें भाजपा की झोली में जा रही है और तीन पर सपा के उम्मीदवार जीत दर्ज कर लेंगे। 11वीं सीट को लेकर चुनाव दिलचस्प होने वाला है। इसके लिए दोनों ही पार्टियों एक-दूसरे के खेमों में सेंधमारी की कोशिशें कर रही हैं।
सपा ने घोषित किए तीनों उम्मीदवार
सपा के हिस्से में तीन सीटें आना तय है और पार्टी ने तीनों उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। जयंत के अलावा पार्टी ने जावेद अली खान को उम्मीदवार बनाया है और पूर्व कांग्रेस नेता और स्वतंत्र उम्मीदवार कपिल सिब्बल को समर्थन दिया है। जावेद और सिब्बल ने कल अपना नामांकन दाखिल कर दिया था। सिब्बल कांग्रेस छोड़ चुके हैं, लेकिन वो सपा में शामिल नहीं हुए हैं। उन्होंने खुद को आजाद उम्मीदवार बताया है।
साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़े थे अखिलेश और जयंत
याद दिला दें कि जयंत चौधरी और अखिलेश यादव ने साथ मिलकर उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव लड़ा था। हालांकि, खुद जयंत चुनावी मैदान में नहीं उतरे थे। तभी से उन्हें राज्यसभा भेजे जाने की अटकलें शुरू हो गई थीं। जानकारों का मानना है कि जयंत को राज्यसभा उम्मीदवार बनाकर अखिलेश ने अपना वादा तो निभाया ही है, साथ ही उन्होंने 2024 लोकसभा चुनाव से पहले जाटों को साधने की तरफ बड़ा कदम बढ़ा दिया है।
न्यूजबाइट्स प्लस (प्रोफाइल)
जयंत चौधरी राजनीतिक परिवार से आते हैं। उनके दादा चौधरी चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री रहे थे और उनके पिता चौधरी अजित सिंह केंद्र में मंत्री रहे थे। जंयत 2009 लोकसभा चुनाव में मथुरा से जीत हासिल कर पहली बार सांसद बने थे। उसके बाद के दोनों चुनावों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। 2014 में मथुरा से उन्हें हेमा मालिनी ने तो 2019 में बागपत से डॉ सत्यपाल सिंह ने मात दी थी।
लोकसभा उपचुनाव लड़ सकती हैं डिंपल यादव
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, समाजवादी पार्टी डिंपल यादव को लोकसभा उपचुनाव में प्रत्याशी बना सकती है। बता दें कि अखिलेश यादव के विधायक बनने के बाद यह सीट खाली हुई थी।