पंजाब: जेल में क्लर्क का काम करेंगे नवजोत सिंह सिद्धू, विशेष डाइट की मांग भी पूरी
सुप्रीम कोर्ट से 34 साल पुराने रोड रेज मामले में एक साल के सश्रम कारावास की सजा मिलने के बाद पटियाला की सेंट्रल जेल में बंद कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू को क्लर्क का काम दिया गया है। इसमें उन्हें जेल और कोर्ट के बीच होने वाला काम देखना होगा। इसी तरह सुरक्षा के लिहाज से उनसे सेल में ही काम कराया जाएगा। इधर, सिद्धू की मांग पर कोर्ट ने उन्हें विशेष डाइट देने की भी मंजूरी दे दी है।
पहले तीन महीने बिना वेतन के ही काम करेंगे सिद्धू
जेल अधिकारियों के अनुसार, कैदी नंबर 241383 सिद्धू को बैरक सात में रखा गया है और उन्हें क्लर्क का काम दिया गया है। हालांकि, सुरक्षा कारणों के चलते वह अपनी सेल से ही काम करेंगे और काम से जुड़ी फाइलें उनके बैरक में भेजी जाएंगी। उन्होंने बताया कि सिद्धू को पहले तीन महीने बिना वेतन के प्रशिक्षित किया जाएग और बाद में प्रतिदिन 30-90 रुपये का भुगतान किया जाएगा। यह राशि सीधे उनके खाते में भेजी जाएगी।
सिद्धू को सिखाया जाएगा क्लर्क का काम
जेल अधिकारियों के अनुसार, सश्रम कारावास के दौरान काम करने वाले कैदियों को प्रशिक्षण अवधि के बाद अकुशल, अर्धकुशल या कुशल कैदी के रूप में वर्गीकृत कर प्रतिदिन आठ घंटे काम लिया जाता है। कैदियों के सभी खर्च सरकार वहन करती है। उन्होंने बताया कि प्रशिक्षण अवधि में सिद्धू को अदालत की ओर से दिए जाने वाले लंबे फैसलों को छोटा करना और जेल रिकॉर्ड को संकलित करने जैसे काम सिखाए जाएंगे।
सिद्धू ने की थी विशेष डाइट की मांग
इससे पहले सोमवार को सिद्धू को कड़ी सुरक्षा के बीच स्वास्थ्य जांच के लिए राजिंद्र अस्पताल ले जाया गया था। उनके वकील एचपीएस वर्मा ने बताया था कि बीमारी के कारण सिद्धू ने जेल में विशेष डाइट की मांग की है। डॉक्टरों का पैनल इसकी रिपोर्ट तैयार करेगा। उन्होंने बताया कि सिद्धू गेहूं, चीनी, मैदा आदि सेवन नहीं कर सकते। वह बिना फाइबर और कार्बोहाइड्रेट वाले जामुन, पपीता, अमरूद, डबल टोंड दूध और खाद्य पदार्थ ही ले सकते हैं।
डॉक्टरों के पैनल की रिपोर्ट पर कोर्ट ने दी विशेष डाइट की अनुमति
जेल अधिकारियों ने बताया कि डॉक्टरों के पैनल द्वारा भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने सिद्धू को जेल में विशेष डाइट देने की अनुमति दे दी है। बता दें कि सिद्धू एम्बोलिज्म, लीवर और एक्यूट डीप वेन थ्रॉम्बोसिस (DVT) से पीड़ित हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को सुनाई थी सिद्धू को एक साल की सजा
सुप्रीम कोर्ट ने 19 मई को 1988 में पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत से जुड़े रोड रेज मामले में सिद्धू को एक साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी। दरअसल, वारदात के समय सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू ने सड़क के बीच में अपनी जिप्सी खड़ी कर रखी थी और गुरनाम सिंह ने उनसे साइड मांगी थी। इस पर सिद्धू ने मारपीट कर दी थी। इससे सिंह को हार्ट अटैक आ गया और उसकी मौत हो गई।
सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को माना था दोषी
इस मामले में पटियाला सेशन कोर्ट ने सितंबर, 1999 में सिद्धू को बरी कर दिया था, लेकिन पीड़ित परिवार पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट पहुंच गया। साल 2006 में हाई कोर्ट ने सिद्धू को दोषी ठहराते हुए तीन साल की सजा सुनाई थी। सिद्धू ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी। मई, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने भी सिद्धू को दोषी मानते हुए 1,000 रुपये का जुर्माना लगाया, लेकिन गैर इरादतन हत्या के आरोप से बरी कर दिया।
पीड़ित परिवार ने दायर की थी पुनर्विचार याचिका
सुप्रीम कोर्ट के जुर्माना लगाकर छोड़ने पर पीड़ित परिवार ने पुनर्विचार याचिका दायर कर सजा बढ़ाने की मांग की थी। सितंबर, 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया और अब सजा को बढ़ाकर एक साल सश्रम कारावास कर दिया।
सिद्धू ने 20 मई को किया था सरेंडर
सिद्धू ने 20 मई को स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए सरेंडर के लिए कुछ सप्ताह का समय मांगा था। सिद्धू के वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यह पुराना मामला है और स्वास्थ्य को लेकर कुछ दिक्कतें हैं। इसलिए कुछ हफ्तों का वक्त चाहिए, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। इसके बाद शाम 4 बजे उन्होंने पटियाल कोर्ट में सरेंडर कर दिया। वहां उनकी मेडिकल जांच करने के बाद शाम को ही जेल भेज दिया गया था।