सचिन पायलट पर जमकर बरसे अशोक गहलोत, कहा- गद्दार हैं और कभी नहीं बन सकते मुख्यमंत्री
राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच चल रही लड़ाई अब खुलकर सामने आ गई है। गुजरात में चुनाव के लिए वरिष्ठ नेता राहुल गांधी के साथ पार्टी का प्रचार करने जाते समय पाली जिले में मुख्यमंत्री गहलोत ने खुलकर सचिन पायलट पर अपनी भड़ास निकाली। उन्होंने स्पष्ट तोर पर कहा कि सचिन पायलट गद्दार हैं और वह कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बन सकते हैं। उन्हें जनता से माफी मांगनी चाहिए।
"एक गद्दार मुख्यमंत्री नहीं बन सकता"
गहलोत ने NDTV के साथ विशेष बातचीत में कहा, "एक गद्दार मुख्यमंत्री नहीं बन सकता है। हाईकमान सचिन पायलट को मुख्यमंत्री नहीं बना सकता है। एक ऐसा शख्स जिसके पास 10 विधायक भी नहीं हैं। एक ऐसा शख्स जिसने विद्रोह किया। उन्होंने पार्टी को धोखा दिया है और वह गद्दार हैं। ऐसे में हाईकमान कैसे उन्हें मुख्यमंत्री बना सकता है।" उन्होंने कहा, "पायलट ने भाजपा के साथ मिलकर गद्दारी की और वह इससे मुकर नहीं सकते हैं।"
गहलोत ने पायलट पर लगाया भाजपा के साथ मिलकर बगावत करने का आरोप
गहलोत ने 2020 में पायलट गुट की ओर से की गई बगावत पर कहा, "उस दौरान सचिन पायलट ने भाजपा के दो वरिष्ठ केंद्रीय मंत्रियों से मुलाकात की थी। इनमें अमित शाह और धर्मेंद्र प्रधान शामिल थे। विधायकों की उन लोगों के बीच दिल्ली में बैठक हुई थी।" उन्होंने कहा, "पायलट के साथ मौजूद विधायकों में से किसी को पांच तो किसी को 10 करोड़ रुपये बांटे गए थे। यह रकम दिल्ली के भाजपा मुख्यालय से उठाई गई थी।
बगावत के दौरान धर्मेंद्र प्रधान ने की थी बागियों से मुलाकात- गहलोत
गहलोत ने कहा कि बगावत के दौरान पायलट गुट के विधायक मानेसर स्थित रिसॉर्ट में थे और धर्मेंद्र प्रधान उनसे मुलाकात करने भी पहुंचे थे। उस दौरान कांग्रेस की तरफ से बातचीत के लिए भेजे गए नेताओं को भी उनसे मुलाकात नहीं करने दी गई।
पायलट को गद्दारी की सजा पर क्या बोले गहलोत?
गहलोत ने कहा, "यह संभवतः हिन्दुस्तान में पहली बार हुआ होगा, जब एक पार्टी अध्यक्ष ने अपनी ही सरकार गिराने की कोशिश की। इसके कारण उन्हें अध्यक्ष पद से हटाया गया। यह भी पहला बार हुआ था कि किसी प्रदेशाध्यक्ष को बर्खास्त किया गया हो।" उन्होंने कहा, "उनकी बगावत के कारण मैंने उन्हें उपमुख्यमंत्री पद से बर्खास्त किया था। उनकी इसी बगावत ने पार्टी के अन्य विधायकों को उनके खिलाफ खड़ा करने का काम किया था।"
पायलट को मांगनी चाहिए थी माफी- गहलोत
गहलोत ने पायलट के भविष्य में मुख्यमंत्री बनने के सवाल पर कहा, "आज विधायकों में पायलट के खिलाफ भयंकर आक्रोश है। उनको चाहिए था कि वह हाईकमान, प्रदेशवासियों और विधायक दल से माफी मांगनी चाहिए थी, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। यदि वह माफी मांग लेते तो बगावत नहीं होती और मुझे सोनिया गांधी से माफी मांगने की जरूरत नहीं पड़ती।" उन्होंने कहा, "यदि वह माफी मांग लेते तो माहौल बदल जाता और आज वाली स्थिति नहीं आती।"
गहलोत ने किया अपने विधायकों का बचाव
पर्यवेक्षकों की बैठक से पहले 90 से अधिक विधायकों के एकजुट होने और पायलट के खिलाफ बगावत करने के सवाल पर गहलोत ने खुलकर उनका बचाव भी किया। उन्होंने कहा, "वह पायलट की पहले की बगावत के खिलाफ थे। उन्होंने उस समय भी सरकार बचाने में सहयोग किया था। वो विधायक मेरे वफादार नहीं थे। वो हाईकमान के वफादार हैं।" उन्होंने कहा, "बिना हाईकमान के समर्थन के कोई भी मुख्यमंत्री सरकार नहीं बचा सकता है।"
गहलोत ने किया पार्टी छोड़ने का दावा
बगावत करने वाले विधायकों के मुख्यमंत्री का वफादार होने पर गहलोत ने कहा, "यह आरोप पूरी तरह बकवास है। पूरा देश जानता है कि मेरा नेचर कैसा है। मुझे पार्टी और गांधी परिवार ने पिछले 50 सालों में लगातार सहयोग किया है। इन लोगों ने मुझे सब कुछ दिया है। मुझे बगावत की जरूरत नहीं है।" उन्होंने कहा, "यदि एक भी विधायक यह कहता है कि उन्होंने मुख्यमंत्री की वफादारी में बगावत की है तो वह खुद पार्टी छोड़ देंगे।"
गहलोत ने क्या बताया विधायकों की बगावत का कारण?
गहलोत ने विधायकों की बगावत के कारण पर कहा, "पायलट ने थ्योरी उड़ाई थी कि उन्हें मुख्यमंत्री बनाया जाने वाला है। इससे विधायकों को लगा कि बगावत करने वाले को मुख्यमंत्री बनाया जा रहा है। इससे वह नाराज हो गए। उनका कहना था कि सरकार गिराने की कोशिश करने वाले को कैसे मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है।" गहलोत ने कहा, "मैं भी यही मानता हूं और उनसे सहमत हूं कि किसी गद्दार को मुख्यमंत्री कैसे बनाया जा सकता है?"
गहलोत ने नकारी पायलट को साइडलाइन करने की बात
पायलट के साथ विवाद के सवाल पर गहलोत ने कहा कि उन्हें कोई वजह समझ नहीं आती है। 2009 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने पर उन्होंने ही पायलट को केंद्रीय मंत्री बनाने की सिफारिश की थी। उन्होंने राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनने पर पायलट को साइडलाइन करने के आरोपों को नकारते हुए कहा कि उन्होंने कभी ऐसा करने का प्रयास नहीं किया। स्वयं पायलट ने भी कहा था कि उनके बीच कोई विवाद नहीं है।
मुख्यमंत्री पद को लेकर है दोनों नेताओं के बीच विवाद
गहलोत और पायलट के बीच विवाद 2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने से बना हुआ है। उस दौरान शीर्ष नेतृत्व ने गहलोत को पायलट पर तरजीह देते हुए मुख्यमंत्री बना दिया था। इसके बाद पायलट ने साइडलाइन करने का आरोप लगाते हुए जुलाई, 2020 में बगावत कर दी थी। हालांकि, धीरे-धीरे उनके समर्थन विधायकों की संख्या घटती गई और वह अकेले पड़ गए। बाद में उन्होंने राहुल और प्रियंका गांधी के आश्वासन पर बगावत खत्म कर दी थी।
सितंबर में गहलोत गुट के विधायकों ने की थी बगावत
सितंबर में पार्टी हाईकमान ने पायलट को मुख्यमंत्री बनाने का मन बनाया था। इसके लिए पर्यवेक्षक अजक माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में विधायक दल की बैठक बुलाई थी, लेकिन गहलोत गुट के 90 से अधिक विधायकों ने बगावत कर दी थी।