राजस्थान में फिर संकट में कांग्रेस की सरकार, अब तक क्या-क्या हुआ?
क्या है खबर?
राजस्थान में कांग्रेस की सरकार एक बार फिर से खतरे में आ गई है। सचिन पायलट को अगला मुख्यमंत्री बनाए जाने के कयासों के बीच मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खेमे के लगभग 90 विधायकों ने विधानसभा स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंप दिया है और अगर ये इस्तीफे स्वीकार होते हैं तो राज्य में कांग्रेस की सरकार गिर जाएगी।
कांग्रेस की सरकार पर ये संकट आखिर आया कैसे और कल शाम को क्या-क्या हुआ, आइए आपको विस्तार से बताते हैं।
पृष्ठभूमि
राजस्थान में क्यों बनाया जा रहा नया मुख्यमंत्री?
पार्टी हाईकमान के नेतृत्व पर अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने जा रहे हैं और उनका यह चुनाव जीतना लगभग तय है।
ऐसे में उदयपुर अधिवेशन में लिए गए 'एक व्यक्ति, एक पद' प्रण के तहत उन्हें राजस्थान के मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ेगा और उनकी जगह कोई नया व्यक्ति ये जिम्मेदारी संभालेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कांग्रेस हाईकमान सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाना चाहता है, जो 2020 में गहलोत के खिलाफ बगावत कर चुके हैं।
जानकारी
गहलोत अपने किसी विश्वस्त को बनाना चाहते हैं मुख्यमंत्री
रिपोर्ट्स के अनुसार, गहलोत नहीं चाहते कि सचिन पायलट मुख्यमंत्री बनें और वह अपने किसी विश्वस्त के हाथ में राज्य की कमान छोड़कर जाना चाहते हैं। हालांकि उन्होंने सार्वजनिक तौर पर ये बात कभी नहीं कही है।
घटनाक्रम
कल शाम को क्या हुआ?
हाईकमान और गहलोत के हितों में इस टकराव के बीच कांग्रेस ने कल शाम को जयपुर में राजस्थान के अपने विधायकों की बैठक बुलाई थी। अटकलें हैं कि इस बैठक में विधायकों को मुख्यमंत्री पद के लिए हाईकमान की पसंद का समर्थन करने का प्रस्ताव पारित करना था।
हालांकि इस बैठक से पहले ही गहलोत खेमे के लगभग 90 विधायक शांति धारीवाल नामक विधायक के घर पर इकट्ठा हो गए और यहां से तय प्लान में एक बड़ा ट्विस्ट आया।
बैठक
गहलोत खेमे के विधायकों की बैठक में क्या हुआ?
NDTV की रिपोर्ट के अनुसार, अपनी बैठक में गहलोत खेमे के विधायकों ने प्रस्ताव पारित किया कि राजस्थान का अगला मुख्यमंत्री उन विधायकों में से बनाया जाए जो 2020 में पायलट की बगावत के समय पार्टी के साथ खड़े रहे थे। उन्होंने कहा कि पार्टी को उन नेताओं का ख्याल रखना चाहिए जो उसके प्रति वफादार रहे हैं।
इसके बाद ये सभी विधायक विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी के आवास पर पहुंचे और उन्हें अपना इस्तीफा सौंप दिया।
नजरिया
कैसे देखी जा रही गहलोत खेमे के विधायकों की बगावत?
इस्तीफा देने के गहलोत खेमे के इस दांव को केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव बनाने के प्रयास के तौर पर देखा जा रहा है, ताकि वह उनकी मांगों को मान ले।
गहलोत ने कहा है कि उनके हाथ में कुछ नहीं है क्योंकि विधायक बेहद नाराज हैं और वे पायलट को मुख्यमंत्री के पद पर नहीं देखना चाहते हैं। हालांकि अपने खेमे पर उनकी जितनी पकड़ है, उससे ये विश्वास करना मुश्किल है कि ये सब उनकी मर्जी के बिना हुआ।
समाधान
संकट से बाहर निकलने के लिए कांग्रेस क्या कर रही?
विधायकों की बगावत के बाद केंद्रीय पर्यवेक्षक अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे ने गहलोत से मुलाकात की। इसके अलावा पायलट के गहलोत के साथ बैठक करने की खबर भी है।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के अनुसार, सोनिया गांधी ने माकन और खड़गे को साफ संदेश दिया है कि हर एक विधायक से अलग-अलग बात करके उन्हें जल्द से जल्द इस संकट को खत्म करना है। कैसा प्रस्ताव पारित करना है, इसकी जिम्मेदारी माकन और खड़गे पर छोड़ी गई है।