क्या है अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच टकराव का इतिहास?
क्या है खबर?
राजस्थान में एक बार फिर से कांग्रेस की सरकार खतरे में है और इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का खेमा इसका जिम्मेदार है।
सचिन पायलट को अगला मुख्यमंत्री बनाए जाने के कयासों के बीच गहलोत के खेमे के लगभग 80-90 विधायकों ने स्पीकर को अपना इस्तीफा सौंप दिया है।
इस संकट से गहलोत और पायलट का छत्तीस का आंकड़ा एक बार फिर से सुर्खियों आ गया है। आइए आपको उनके बीच टकराव के इतिहास के बारे में बताते हैं।
टकराव
2018 तक जाती हैं पायलट और गहलोत के टकराव की जड़ें
राजस्थान में मुख्य लड़ाई अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच है। दोनों के संबंध 2018 में राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने से ही सहज नहीं हैं। तब पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने गहलोत को पायलट पर तरजीह देते हुए मुख्यमंत्री बना दिया था।
इसके बाद से दोनों नेता कई बार खुलेआम एक-दूसरे के खिलाफ बयान दे चुके हैं और पायलट गहलोत पर सरकार में उन्हें किनारे करने का आरोप लगाते रहे हैं।
बगावत
जुलाई, 2020 में पायलट ने कर दी थी गहलोत के खिलाफ बगावत
गहलोत के उन्हें किनारे करने से तंग आकर पायलट ने जुलाई, 2020 में तो बगावत भी कर दी थी और अपने खेमे के विधायकों के साथ जाकर दिल्ली-NCR में डेरा डाल दिया था।
तब उन्होंने गहलोत को हटाकर उन्हें मुख्यमंत्री बनाने की मांग की थी, हालांकि धीरे-धीरे उनके समर्थन विधायकों की संख्या घटती गई और वह अकेले पड़ गए।
अंत में उन्होंने राहुल गांधी और प्रियंका गांधी से बात की और उनके आश्वासन के बाद अपनी बगावत खत्म कर दी।
नाराजगी
मांगों पर सुनवाई न होने पर बीच-बीच में नाराजगी जताते रहे पायलट
गांधी परिवार की तरफ से आश्वासन दिए जाने के बाद सचिन पायलट समय-समय पर उन्हें उनकी मांगों के बारे में याद दिलाते रहे। हालांकि जब उनकी शिकायतों का निपटारा नहीं हुआ तो उन्होंने जून, 2021 में इस पर नाराजगी भी जाहिर की।
इसके बाद इस साल अप्रैल में खबर आई कि पायलट ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को अल्टीमेटम देते हुए कहा है कि उन्हें जल्द से जल्द मुख्यमंत्री बनाया जाए।
यहीं से कांग्रेस की सियासत फिर से गर्म हुई।
आस
...जब लगने लगा पूरा हो जाएगा पायलट का मुख्यमंत्री बनने का सपना
राजस्थान का मुख्यमंत्री बनने का सचिन पायलट का पुराना सपना तब पूरा होता दिखा जब अगस्त में खबर आई कि पार्टी हाईकमान ने गहलोत से कांग्रेस अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने को कहा है।
गांधी परिवार के समर्थन से गहलोत का अध्यक्ष चुनाव जीतना तय था, ऐसे में वह केंद्र में चले जाते और पायलट राजस्थान के मुख्यमंत्री की गद्दी संभालते।
रिपोर्ट्स के अनुसार, इस रणनीति पर गांधी परिवार की भी मुहर थी।
बगावत
गहलोत खेमे के विधायकों की बगावत से फिर पलटा खेल
रविवार को गहलोत खेमे के विधायकों की बगावत के साथ ही पायलट का सपना एक बार फिर से अधर में लटक गया। यही नहीं, सरकार गिरने तक की नौबत आ गई है।
इस बगावत से जाहिर होता है कि गहलोत पायलट से इतनी दुश्मनी मानते हैं कि उन्हें मुख्यमंत्री बनने देने की बजाय गहलोत ने पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को ही चुनौती दे डाली और पार्टी के लिए एक शर्मनाक स्थिति पैदा कर दी।