राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्र ने बुलाया विधानसभा सत्र, देरी करने के आरोपों को किया खारिज
क्या है खबर?
राजस्थान की राजनीति में चल रहे घमासान में सोमवार को नया मोड़ आ गया।
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से विधानसभा सत्र बुलाने के आग्रह को बार-बार खारिज करने वाले राज्यपाल कलराज मिश्र ने दोपहर में उसे स्वीकार कर लिया।
कहा जा रहा है कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री गहलोत द्वारा मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात करने के बाद विधानसभा सत्र को बुलाने पर सहमति जताई है।
अधिसूचना
अधिसूचना जारी कर दिया विधानसभा सत्र बुलाने का आदेश
HT की रिपोर्ट के अनुसार राज्यपाल मिश्र ने सोमवार दोपहर अधिसूचना जारी करते हुए राज्य सरकार को विधानसभा सत्र बुलाने का आदेश दिया है।
इसमें उन्होंने मुख्यमंत्री और कैबिनेट की ओर से विधानसभा सत्र बुलाने में देरी करने के आरोपों को भी खारिज किया है।
गौरतलब है कि राज्यपाल की ओर से विधानसभा सत्र बुलाने के प्रस्ताव को खारिज करने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने पर उन पर 'ऊपर से दबाव' होने का आरोप लगाया था।
प्रस्ताव
गहलोत मंत्रिमंडल ने शनिवार को भेजा था संशोधित प्रस्ताव
गहलोत मंत्रीमंडल ने शनिवार को 31 जुलाई से विधानसभा सत्र बुलाने का संशोधित प्रस्ताव राज्यपाल के पास भेजा था।
सोमवार सुबह राज्यपाल ने इस खारिज करते हुए दो सवालों के साथ वापस सरकार के पास भेज दिया था।
उन्होंने पूछा था कि क्या आप 'विश्वास प्रस्ताव' लाना चाहते हैं? क्योंकि प्रस्ताव में इसका ज़िक्र नहीं किया गया है। दूसरा सवाल था कि कोरोना की वजह से इतने कम समय में सभी विधायकों को बुलाना मुश्किल होगा।
जानकारी
विश्वास प्रस्ताव लाने पर की जाए वीडियो रिकॉर्डिंग
प्रस्ताव लौटाने के साथ गवर्नर ने कहा था कि यदि आप 'विश्वास प्रस्ताव' लाते हैं तो पूरी प्रक्रिया की वीडियो रिकार्डिंग और लाइव प्रसारण किया जाए। उन्होंने यह भी पूछा है कि विधानसभा में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कैसे किया जाएगा?
वार्ता
मुख्यमंत्री गहलोत ने की प्रधानमंत्री मोदी से वार्ता
राज्यपाल की ओर से सुबह विधानसभा सत्र बुलाने के प्रस्ताव को खारिज करने के बाद मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा था कि उन्होंने मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बात की है।
उन्होंने कहा था कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से प्रदेश में राज्यपाल के आचरण और बार-बार विधानसभा सत्र बुलाने के प्रस्ताव को खारिज करने को लेकर बात की है।
उन्होंने सात दिन पहले उन्हें भेजे गए पत्र के बारे में भी विस्तार से वार्ता की है।
धरना
विधानसभा सत्र नहीं बुलाने को लेकर मुख्यमंत्री ने दिया था धरना
बता दें कि मुख्यमंत्री गहलोत और समर्थित विधायकों ने शुक्रवार को विधानसभा सत्र नहीं बुलाने को लेकर राज्यपाल के निवास पर करीब पांच घंटे धरना दिया था।
उस दौरान विधायकों ने "इंकलाब जिंदाबाद" और "अशोक गहलोत जिंदाबाद" के नारे लगाए थे। पांच घंटे तक विधायक राज्यपाल के लॉन में बैठे रहे।
इसको लेकर मुख्यमंत्री गहलोत ने कहा था कि राज्यपाल ऊपर से कुछ दबाव होने के कारण विधानसभा सत्र नहीं बुला रहे हैं।
प्रतिक्रिया
विधानसभा सत्र नहीं बुलाने पर कांग्रेस नेताओं ने दी प्रतिक्रिया
इससे पहले, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी चिदंबरम ने राज्यपाल पर निशाना साधते हुए कहा था कि विधानसभा सत्र बुलाने में बाधा डालने से संसदीय लोकतंत्र का 'मौलिक आधार' कमजोर होगा।
इसी तरह रविवार को कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने राज्यपाल मिश्र पर विधानसभा सत्र बुलाने में देरी का आरोप लगाते हुए कहा था कि वो केन्द्र में 'मास्टर' के इशारे पर काम कर रहे हैं और विधानसभा सत्र नहीं बुला रहे।
जानकारी
बहुमत साबित करना चाहती है कांग्रेस सरकार
राज्य में पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट और 18 अन्य उनके समर्थक कांग्रेस विधायकों के बागी होने के बाद राज्य की गहलोत सरकार यह साबित करना चाहती है कि उनके पास विधानसभा में बहुमत बरकरार है। इसको लेकर वो विधानसभा सत्र बुलाना चाहते हैं।
राहत
हाईकोर्ट ने सचिन पायलट खेमे को दी राहत
इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने सचिन पायलट खेमे के 19 विधायकों की सदस्यता रद्द करने के मामले में बड़ी राहत दी है।
होईकोर्ट ने शुक्रवार को मामले में यथास्थिति रखने का आदेश दिया है तथा विधानसभा स्पीकर सीपी जोशी को मामले में कोई फैसला नहीं लेने का आदेश दिया है।
पायलट गुट ने इसमें केंद्र सरकार को भी पक्षकार बनाया है और केंद्र सरकार ने जवाब देने के लिए समय मांगा है। इससे पायलट गुट को बड़ी राहत मिली है।