राजस्थान: कांग्रेस में शामिल हुए बसपा के सभी विधायक, मायावती बोलीं- धोखेबाज कांग्रेस ने किया विश्वासघात
राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को बड़ा झटका लगा है। यहां पार्टी के सभी छह विधायक कांग्रेस में शामिल हो गए। बसपा प्रमुख मायावती ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि राजस्थान में कांग्रेस सरकार ने एक बार फिर बसपा के विधायकों को तोड़कर गैर-भरोसेमन्द व धोखेबाज पार्टी होने का प्रमाण दिया है। बता दें, बसपा विधायकों ने सोमवार रात को राजस्थान विधानसभा स्पीकर को पत्र सौंपकर बताया कि वो कांग्रेस में शामिल हो गए हैं।
ये विधायक हुए कांग्रेस में शामिल
सोमवार को नादबाई से विधायक जोगिंद्र सिंह अवाना, किशनगढ़ बास से विधायक दीप चंद, उदयपुरवटी से विधायक राजेंद्र सिहं गुढ़ा, करौली से विधायक लखन सिंह, नागर से विधायक वाजिब अली और तिजारा से विधायक संदीप कुमार कांग्रेस में शामिल हो गए। इसके साथ ही 200 सदस्यों वाली राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस विधायकों की संख्या बढ़कर 106 हो गई है। अब कांग्रेस के पास रालोद और निर्दलीय विधायकों समेत कुल 119 विधायकों का समर्थन प्राप्त है।
विकास के लिए थामा कांग्रेस का दामन- अवाना
जोगिंद्र सिंह अवाना ने कहा कि उन्होंने राजस्थान और अपने विधानसभा क्षेत्रों में विकास के लिए कांग्रेस का दामन थामा है। उन्होंने कहा कि यह सर्वसम्मति से फैसला किया गया कि हम सभी विधायक कांग्रेस में शामिल हो जाएं। एक तरफ बसपा विधानसभा में कांग्रेस को समर्थन दे रही थी, लेकिन दूसरी तरफ लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के खिलाफ लड़ रही थी। उन्होंने कहा कि वो स्थानीय निकायों के आगामी चुनाव कांग्रेस के निशान पर लड़ेंगे।
पहले भी बसपा विधायकों को कांग्रेस में शामिल कर सरकार बना चुके गहलोत
पिछले साल हुए विधानसभा चुनावों में भाजपा को हराकर मुख्यमंत्री बनने वाले अशोक गहलोत ने पिछली बार मुख्यमंत्री रहते हुए भी बसपा के छह विधायकों को तोड़ा था। उन्होंने 2009 में छह बसपा विधायकों को कांग्रेस में शामिल किया था। उस समय कांग्रेस को बहुमत के लिए पांच विधायकों की दरकार थी। तब गहलोत ने बसपा के छह विधायकों को कांग्रेस से जोड़ा और सरकार बनाई थी। अब एक बार फिर उन्होंने बसपा को जोर का झटका दिया है।
मायावती ने कांग्रेस पर लगाए गंभीर आरोप
मायावती ने ताजा घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'कांग्रेस हमेशा ही बाबा साहेब डा भीमराव अम्बेडकर व उनकी मानवतावादी विचारधारा की विरोधी रही। इसी कारण डा अम्बेडकर को देश के पहले कानून मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। कांग्रेस ने उन्हें न तो कभी लोकसभा में चुनकर जाने दिया और न ही भारतरत्न से सम्मानित किया। अति-दुःखद व शर्मनाक।' उन्होंने कहा कि कांग्रेस ने बसपा के साथ विश्वासघात किया है