राजस्थान: कोटा के अस्पताल में मरने वाले शिशुओं की संख्या हुई 103, मामले पर राजनीति तेज
राजस्थान के कोटा के जेके लोन अस्पताल में शिशुओं की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार रात को अस्पताल में दो और शिशुओं की मौत हो गई। इसी के साथ दिसंबर के बाद से अस्पताल में दम तोड़ने शिशुओं की मौत की संख्या 103 हो गई है जो 2018 में 77 मौतों से अधिक है। मामले में राजनीति भी जोरों पर है और विपक्ष लगातार राज्य की कांग्रेस सरकार पर हमलावर बना हुआ है।
2019 में अस्पताल में हुई कुल 963 बच्चों की मौत
बुधवार को दो बच्चों की मौत के साथ ही पिछले 72 घंटे में अस्पताल में मरने वाले शिशुओं की संख्या 11 हो गई है। इससे पहले 30 दिसंबर को चार और 31 दिसंबर को पांच शिशुओं की मौत हुई थी। अगर पूरे साल की बात करें तो 2019 में अस्पताल में कुल 963 बच्चों की मौत हुई। इस बड़ी संख्या को देखते हुए अस्पताल प्रशासन के साथ-साथ राज्य सरकार पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने लिखा अशोक गहलोत को पत्र
शिशुओं की मौत पर हंगामे के बीच केंद्रीय मंत्री हर्षवर्धन ने मामले में दखल देते हुए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पत्र लिखा है और उनसे मामले में खुद जांच करने का अनुरोध किया है। गुरूवार को उन्होंने कहा, "इस बार मौतों की संख्या निश्चित तौर पर पिछले सालों के मुकाबले अधिक है।" उन्होंने राज्य सरकार को स्वास्थ्य संबंधी इस संकट को संभालने में पूरी मदद देने का आश्वासन दिया है।
सोनिया गांधी ने राजस्थान कांग्रेस प्रमुख से मांगा स्पष्टीकरण
इस बीच कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी राजस्थान कांग्रेस प्रमुख अविनाश पांडे से मौतों पर स्पष्टीकरण मांगा है। पांडे ने बताया कि उन्होंने सोनिया गांधी को एक विस्तृत रिपोर्ट सौंप दी है।
गहलोत बोले, सरकार मौतों को लेकर संवेदनशील
वहीं शिशुओं की मौत पर चारों ओर से घिरे मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने गुरूवार को ट्वीट करते हुए कहा कि राज्य सरकार मामले पर संवेदनशील है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि अस्पताल में शिशु मृत्यु दर में लगातार कमी हो रही है और आगे भी इसके प्रयास जारी रहेंगे। उन्होंने मामले में विचार विमर्श के लिए केंद्र सरकार के विशेषज्ञ दल का स्वागत करने की बात भी कही।
अस्पताल को क्लीन चिट दे चुकी है सरकार की जांच समिति
इससे पहले राज्य सरकार ने शिशुओं की मौत की जांच के लिए एक समिति भी बनाई थी। जांच समिति ने अस्पताल को क्लीन चिट देते हुए कहा था कि शिशुओं को उचित उपचार दिया गया था। समिति ने ऑक्सीजन पाइप लाइन नहीं होने और ठंड को शिशुओं की मौत की वजह बताया था। अस्पताल की अपनी जांच समिति ने भी अस्पताल की तरफ से लापरवाही की बात से इनकार किया था।