
राजस्थान के सियासी संकट में आगे क्या-क्या हो सकता है, जानें चार संभावित समीकरण
क्या है खबर?
उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट की खुली बगावत के बाद राजस्थान में कांग्रेस की सरकार खतरे में आ गई है और सबकी नजरें उनके अगले कदम पर टिकी हुई हैं। पायलट ने अपने साथ 30 विधायक होने का दावा किया है, जबकि कांग्रेस कह रही है कि 109 विधायक गहलोत के समर्थन में हैं।
इस सियासी संकट में आगे क्या-क्या हो सकता है और क्या-क्या समीकरण बन रहे हैं, आइए इस पर एक नजर डालते हैं।
विधानसभा की स्थिति
सबसे पहले जानें क्या है विधानसभा का गणित
200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के 107 विधायक हैं और उसकी सरकार को 13 निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है।
इसके अलावा राष्ट्रीय लोकदल, कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी (CPM) और भारतीय ट्राइबल पार्टी के पांच विधायकों ने भी गहलोत सरकार को समर्थन दिया हुआ है। इसका मतलब गहलोत सरकार को कुल 125 विधायकों का समर्थन हासिल है।
वहीं मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा के विधानसभा में 72 विधायक हैं। वहीं भाजपा की सहयोगी राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के तीन विधायक हैं।
पहली स्थिति
30 विधायकों के साथ पार्टी छोड़ दें पायलट
पहली स्थिति ये है कि पायलट 30 विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ दें और तीसरा मोर्चा बना लें। अगर ऐसा होता है तो 200 सदस्यीय राजस्थान विधानसभा में कांग्रेस के विधायकों की संख्या 107 से घटकर 77 रह जाएगी।
हालांकि विधानसभा का संख्याबल भी घट जाएगा और निर्दलीय और अन्य पार्टियों के समर्थन से कांग्रेस की सरकार चलती रहेगी। कांग्रेस को अभी 13 निर्दलीय और राष्ट्रीय लोकदल, CPM और भारतीय ट्राइबल पार्टी के पांच विधायकों का समर्थन हासिल है।
दूसरी स्थिति
भाजपा में शामिल हो जाएं पायलट
दूसरी स्थिति यह है कि पायलट और उनके समर्थक विधायक कांग्रेस का दामन छोड़ भाजपा में शामिल हो जाएं। लेकिन भाजपा में शामिल होने का फायदा उन्हें तभी होगा जब वह गहलोत की सरकार गिराने में कामयाब रहें और इसके लिए उन्हें कांग्रेस के कम से कम 50 विधायक तोड़ने होंगे।
वह भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री का पद भी चाहेंगे, लेकिन पार्टी की आंतरिक राजनीति के चलते भाजपा ऐसा कर पाएगी, ये बेहद मुश्किल है।
तीसरी स्थिति
सरकार बचाने के लिए गहलोत को मुख्यमंत्री पद से हटा दें कांग्रेस
तीसरी स्थिति यह है कि बागी विधायकों की संख्या बढ़ती जाए और कांग्रेस अपनी सरकार बचाने के लिए गहलोत की बजाय पायलट को मुख्यमंत्री बना दे।
हालांकि इसकी संभावना बेहद कम है क्योंकि राजस्थान कांग्रेस के प्रमुख भले ही पायलट हों, लेकिन विधायक गहलोत के खेमे में ज्यादा हैं। कांग्रेस गहलोत के समर्थन में 109 विधायक होने का दावा कर चुकी है। ऐसे में उन्हें पद से हटाकर पायलट को मुख्यमंत्री बनाना पार्टी के लिए लगभग नामुमकिन है।
राय
क्या कह रहे राजनीतिक विशेषज्ञ?
अगर राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो सचिन पायलट ने मौजूदा विवाद में अपनी इतनी राजनीतिक पूंजी दांव पर लगाई है कि उनके लिए कांग्रेस के साथ फिर से काम करना मुश्किल होगा।
उनका कहना है कि बिना मुख्यमंत्री पद के प्रस्ताव के पायलट का भाजपा में शामिल होना भी मुश्किल है और उनके पास सरकार गिराने लायक संख्याबल भी मौजूद नहीं है।
ऐसे में उनके सामने इस समय एकमात्र व्यावहारिक विकल्प अलग पार्टी बनाने का रहता है।
चौथी स्थिति
पायलट और गहलोत के बीच की दूरी को पाटने में कामयाब रहे कांग्रेस
चौथी स्थिति यह है कि कांग्रेस पायलट और गहलोत के बीच बनी खाई को पाटने और बगावत को दबाने में कामयाब रहे। इसके लिए गहलोत को सरकार गिराने की साजिश के एक मामले में पायलट को भेजे गए समन को वापस लेने का निर्देश दिया जा सकता है।
इसके अलावा पायलट को उनके अंतर्गत आने वाले मंत्रालयों में खुलकर काम करने देने और अपनी पसंद के अधिकारी चुनने की आजादी भी जा सकती है।