मोहन भागवत के बयान पर भड़के राहुल गांधी, बोले- दूसरे देश में कहते तो गिरफ्तारी होती
क्या है खबर?
कांग्रेस सांसद और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के आजादी वाले बयान पर कड़ी आपत्ति जताई है।
राहुल ने कहा कि अगर भागवत ने ये बयान किसी और देश में दिया होता तो ये राजद्रोह के समान होता और भागवत को गिरफ्तार कर लिया गया होता।
राहुल ने महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनाव को लेकर चुनाव आयोग से भी सवाल किए।
बयान
भागवत को लेकर क्या बोले राहुल?
राहुल ने कहा, "मोहन भागवत हर 2-3 दिन में देश को यह बताने की हिम्मत रखते हैं कि आजादी के आंदोलन और संविधान के बारे में वह क्या सोचते हैं। उन्होंने कल जो कहा वह देशद्रोह है, क्योंकि इसमें कहा गया कि संविधान अमान्य है, अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई अमान्य थी। भागवत को सार्वजनिक रूप से यह कहने की हिम्मत है, किसी अन्य देश में ऐसा होता तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाता और उन पर मामला चलाया जाता।"
अपमान
राहुल बोले- भागवत ने हर भारतीय का अपमान किया
राहुल ने आगे कहा, "यह कहना कि भारत को 1947 में आजादी नहीं मिली, हर एक भारतीय व्यक्ति का अपमान है। अब समय आ गया है कि हम इस बकवास को सुनना बंद करें, क्योंकि ये लोग सोचते हैं कि वे बस रटते रहेंगे और चिल्लाते रहेंगे। आज जो लोग सत्ता में हैं, वे तिरंगे को सलाम नहीं करते, राष्ट्रीय ध्वज को नहीं मानते, संविधान को नहीं मानते और भारत के बारे में उनका नजरिया हमसे बिल्कुल अलग है।"
भागवत का बयान
भागवत ने क्या कहा था?
13 जनवरी को भागवत ने कहा था, "अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तिथि प्रतिष्ठा द्वादशी के रूप में मनाई जानी चाहिए, क्योंकि कई सदियों से दुश्मन का आक्रमण झेलने वाले देश को असली आजादी इसी दिन हासिल हुई थी।"
इस पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था, "RSS और भाजपा को 1947 में मिली आजादी याद नहीं है, क्योंकि उनके वैचारिक पूर्वजों का स्वतंत्रता आंदोलन में कोई योगदान नहीं है।"
चुनाव
राहुल बोले- महाराष्ट्र चुनाव में गड़बड़ हुई
राहुल ने कहा, "महाराष्ट्र चुनाव में कुछ गड़बड़ हुई है। हम चुनाव आयोग के काम करने के तरीके से असहज हैं। महाराष्ट्र में लोकसभा और विधानसभा चुनावों के बीच अचानक लगभग एक करोड़ नए मतदाताओं का सामने आना परेशानी भरा है। चुनाव आयोग का कर्तव्य है कि वह विधानसभा चुनाव में मतदान करने वालों के नाम और पते के साथ मतदाता सूची उपलब्ध कराए। मगर चुनाव आयोग ने यह जानकारी देने से इनकार कर दिया है।"