कैप्टन और सिद्धू से मुलाकात के बाद हरीश रावत बोले- पंजाब कांग्रेस में सब ठीक नहीं
पंजाब कांग्रेस में चल रहे घमासान के बीच हरीश रावत ने कहा है कि पार्टी में सब ठीक नहीं है। पंजाब कांग्रेस प्रभारी रावत ने कुछ खामियों की और इशारा करते हुए उम्मीद जताई है कि चुनावों से पहले सभी मुद्दों का समाधान हो जाएगा। पंजाब कांग्रेस प्रमुख नवजोत सिंह सिद्धू और मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से अलग-अलग मुलाकात करने के बाद रावत का यह बयान सामने आया है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
रावत ने क्या कहा?
मंगलवार को चंडीगढ़ पहुंचे रावत ने सिद्धू, उनके खेमे के मंत्रियों और विधायकों के साथ-साथ मुख्यमंत्री से भी मुलाकात की थी। इन मुलाकातों के बाद रावत ने कहा, "कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है। मैं आपसे छिपाना नहीं चाहता। मैं उन मंत्रियों का भी धन्यवाद करता हूं जो मुझसे मिलने नहीं आए। सरकार ने कुछ अच्छे काम किए हैं, जिसकी हम तारीफ नहीं कर सकते।" आने वाले दिनों में रावत पार्टी हाईकमान से मिल सकते हैं।
कैबिनेट में बदलाव को लेकर नहीं हुई कोई चर्चा- रावत
मीडिया से बात करते हुए रावत ने कहा कि सिद्धू के साथ उनकी पंजाब में संगठन विस्तार और दूसरे मुद्दों पर चर्चा हुई थी। उन्होंने कहा, "ऐसा जरूरी नहीं है कि हर आदमी के विचार समान हों। ये कई मुद्दों पर अलग हो सकते हैं।" साथ ही उन्होंने स्प्ष्ट किया कि अमरिंदर सिंह के साथ उनकी कैबिनेट में बदलाव करने को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई। यह केवल मीडिया द्वारा उठाया गया मुद्दा था।
हाईकमान का संदेश लेकर चंडीगढ़ पहुंचे थे रावत
बता दें कि रावत पार्टी हाईकमान का संदेश लेकर चंडीगढ़ पहुंचे थे। नवजोत सिंह सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर सिंह में जारी टकराव के बीच कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वो पंजाब में मुख्यमंत्री नहीं बदलेगी। रावत ने सिद्धू को बताया कि अगले साल होने वाले चुनावों को देखते हुए उनकी मुख्यमंत्री बदलने की मांग उचित नहीं है। साथ ही उन्होंने दोनों खेमों से साथ मिलकर काम करने और संगठन को मजबूती देने को कहा है।
अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी कांग्रेस
इससे पहले रावत ने बीते सप्ताह ऐलान किया था कि कांग्रेस अमरिंदर सिंह के नेतृत्व में ही पंजाब विधानसभा चुनाव लड़ेगी। रावत के इस बयान को सिद्धू के लिए बड़ा झटका माना गया था और उनके कई करीबियों ने इस पर सवाल भी उठाए थे।
दो खेमों में बंटी हुई है पंजाब कांग्रेस
बता दें कि पंजाब में पिछले काफी समय से अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच टकराव चल रहा है और पार्टी दो खेमों में बंटी गई है। इस टकराव से होने वाले नुकसान से बचने के लिए मामले में सीधे गांधी परिवार ने दखल दिया और शांति समझौते के तहत सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का प्रमुख बनाया गया था। सिद्धू ने जुलाई में राज्य इकाई के अध्यक्ष का पद संभाला था।
अमरिंदर ने किया था सिद्धू के प्रमोशन का विरोध
अमरिंदर सिंह ने खुले तौर पर सिद्धू के इस प्रमोशन का विरोध किया था, लेकिन पार्टी हाईकमान ने उनके विरोध को नजरअंदाज कर दिया। इसके अलावा पार्टी ने उपाध्यक्ष के पदों पर तैनाती को लेकर भी मुख्यमंत्री की मांगों को नहीं माना गया। अमरिंदर ने सिद्धू के सामने सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने की शर्त भी रखी थी, हालांकि ऐसा भी नहीं हुआ। ऐसे में पिछले काफी समय से दोनों नेताओं में अनबन जारी है।