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गाजीपुर बॉर्डर पर भिड़े किसान आंदोलनकारी और भाजपा कार्यकर्ता, कई को आई चोटें
गाजीपुर में भिड़े किसान और भाजपा कार्यकर्ता

गाजीपुर बॉर्डर पर भिड़े किसान आंदोलनकारी और भाजपा कार्यकर्ता, कई को आई चोटें

Jun 30, 2021
05:50 pm

क्या है खबर?

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर बॉर्डर पर आज आंदोलनकारी किसान और भाजपा कार्यकर्ता आपस में भिड़ गए जिसमें कई लोगों को चोटें आई हैं। ये भिड़ंत उसी जगह पर हुई जहां किसान केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ धरने पर बैठे हुए हैं। दोनों पक्षों ने मामले में एक-दूसरे पर आरोप लगाए हैं और किसानों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने की बात भी कही है। सोशल मीडिया पर घटना के कई वीडियो भी वायरल हो रहे हैं।

मामला

जुलूस निकालते हुए धरने के पास आ गए थे भाजपा कार्यकर्ता

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि ये हंगामा उस समय हुआ जब भाजपा कार्यकर्ता एक जुलूस निकालते हुए उस फ्लाईओवर पर आ गए जहां कृषि कानूनों के विरोध में किसान धरने पर बैठे हुए हैं। आमने-सामने आने पर दोनों पक्ष एक-दूसरे से भिड़ गए और उनमें लात-घूसों से लेकर डंडे तक चले। डंडों से कुछ लोगों को चोटें भी आई हैं। पूरी घटना दोपहर 12 बजे के आसपास की बताई जा रही है।

जानकारी

बवाल के दौरान टूटे भाजपा नेता के काफिले के वाहन

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहीं तस्वीरों और वीडियो में कुछ टूटे हुए वाहन भी देखे जा सकते हैं जिन्हें भाजपा नेता अमित वाल्मीकि के काफिले का बताया जा रहा है। भाजपा कार्यकर्ताओं ने वाल्मीकि के स्वागत के लिए ही जुलूस निकाला था।

ट्विटर पोस्ट

देखें घटना का वीडियो

आरोप

भाजपा कार्यकर्ताओं ने खुद से तोड़े अपने वाहन- किसान नेता

किसान नेताओं ने इसे किसान आंदोलन को बदनाम करने के लिए सरकार की एक और साजिश बताया है। संयुक्त किसान मोर्चा के प्रवक्ता जगतार सिंह बाजवा ने बताया कि किसानों ने जिला प्रशासन और सरकारी अधिकारियों से भाजपा कार्यकर्ताओं को हटाने को कहा क्योंकि वे स्वागत रैली के नाम पर हंगामा कर रहे थे। उन्होंने कहा कि भाजपा कार्यकर्ताओं ने साजिश के तहत खुद से अपने वाहनों को नुकसान पहुंचाया उन्होंने कहा कि ऐसी साजिशें कामयाब नहीं होंगी।

बयान

पुलिस में दर्ज कराएंगे शिकायत, नहीं काम करेंगे ऐसे हथकंडे- बाजवा

बाजवा ने कहा कि वे मामले में पुलिस में शिकायत दर्ज कराएंगे और फिर भी कोई कार्रवाई नहीं होती तो अपनी भविष्य की रणनीति तय करेंगे। उन्होंने कहा, "हम भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए हंगामे की निंदा करते हैं। इस तरीके की साजिशें काम नहीं करेंगी क्योंकि पिछले सात महीने से किसान आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है और आगे भी ऐसे ही चलता रहेगा।" उन्होंने कहा कि पहले भी सरकार इस तरह के हथकंडे अपना चुकी है।

आंदोलन

पिछले साल नवंबर से दिल्ली के आसपास धरने पर बैठे हुए हैं किसान

बता दें कि किसान पिछले साल नवंबर से केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के आसपास धरने पर बैठे हुए हैं। इन धरना स्थलों में गाजीपुर के अलावा टिकरी और सिंघू बॉर्डर सबसे अहम हैं। किसानों के आंदोलन को खत्म करने के सरकार के अब तक के सभी प्रयास असफल रहे हैं और उनके बीच चली कई दौर की वार्ता भी असफल रही है। किसान नेताओं ने 2024 तक आंदोेलन चलाने की बात कही है।

कृषि कानून

क्या हैं विवादित कृषि कानून?

मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए पिछले साल सितंबर में तीन कानून लाई थी। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।