कृषि कानूनों के खिलाफ तेज होगा आंदोलन, 18 फरवरी को देशभर में रेल रोकेंगे किसान
तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों ने अपने आंदोलन को तेज करने के लिए नई रणनीति का ऐलान किया है। इसके तहत 12 फरवरी से राजस्थान के सभी टोल प्लाजा फ्री कर दिए जाएंगे और 18 फरवरी को चार घंटे तक देशभर में रेल यातायात को रोका जाएगा। 30 से ज्यादा किसान संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाले संयुक्त किसान मोर्चा ने बुधवार को यह घोषणा की है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
प्रदर्शन क्यों कर रहे किसान?
मोदी सरकार ने पिछले साल कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून बनाए थे। इनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं। पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और MSP से छुटकारा पाना चाहती है।
आंदोलन तेज करने के लिए क्या है किसानों की रणनीति?
संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान नेता दर्शनपाल ने कहा कि 12 फरवरी से हरियाणा और पंजाब की तरह राजस्थान के सभी टोल प्लाजा फ्री किए जाएंगे। 14 फरवरी को पुलावामा हमले में शहीद होने वाले जवानों की याद में देशभर में कैंडल और टॉर्च मार्च निकाला जाएगा। दो दिन बाद यानी 16 फरवरी को सर छोटूराम की जयंती पर देशभर में किसानों का समर्थन जाहिर करते हुए कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।
18 फरवरी को रेल रोकेंगे किसान
दर्शनपाल ने यह भी कहा कि तीनों कानूनों और सरकार की नीतियों का विरोध कर रहे किसान 18 फरवरी को 12 बजे से 4 बजे के बीच रेल यातायात रोकेंगे। इससे पहले किसान 6 फरवरी को देशभर में चक्का जाम कर चुके हैं।
आंदोलन में भीड़ जुटाने के लिए भी बनाई जा रही रणनीति
किसान संगठन अब दिल्ली के बॉर्डर पर चले रहे आंदोलन में भीड़ जुटाने के लिए नई रणनीति पर काम कर रहे हैं। इसके तहत हरियाणा की तर्ज पर बाकी राज्यों में भी महापंचायतें आयोजित की जाएगी। इसके अलावा किसान नेता अलग-अलग जगहों पर जाकर वहां प्रधामंत्री मोदी की ओर से आंदोलनकारियों पर की गई 'परजीवी' की टिप्पणी को मुद्दा बनाएंगे। इसका प्रमुख उद्देश्य किसानों के साथ-साथ ट्रेड यूनियन, औद्योगिक श्रमिकों और बेरोजगारों को आंदोलन में शामिल करना है।
कानून वापसी की मांग पर अड़े हैं किसान
सरकार और किसानों के बीच 11 दौर की वार्ता में कोई समाधान नहीं निकल सका है। 22 जनवरी की आखिरी वार्ता में सरकार ने 18 महीनों के लिए कानूनों को निलंबित करने का प्रस्ताव दिया था, लेकिन किसान इन्हें निरस्त कराने पर अड़े हैं।
किसान नेताओं ने सरकार से वार्ता के लिए जताई सहमति
सोमवार को राज्यसभा में प्रधामंत्री मोदी ने किसानों से आंदोलन खत्म करने की अपील की और कहा था कि सरकार मिलकर बात करेगी और वह फिर सभी किसान नेताओं को वार्ता का निमंत्रण देते हैं। इसके बाद संयुक्त किसान मोर्चा के वरिष्ठ सदस्य शिव कुमार कक्का ने कहा था कि किसान संगठन सरकार से वार्ता के लिए तैयार हैं और सरकार को अगले दौर की वार्ता के लिए तारीख और समय निर्धारित कर उन्हें बताना चाहिए।