#NewsBytesExplainer: NCP का अध्यक्ष चुनने की प्रक्रिया क्या है और क्या अजित ने इसका पालन किया?
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) पर प्रभुत्व को लेकर चाचा शरद पवार और भतीजे अजित पवार के बीच संग्राम जारी है। अजित का दावा है कि 30 जून को राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक में उन्हें NCP का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया था। शरद गुट ने इस दावे को खारिज किया है। आइए जानते हैं कि पार्टी संविधान के तहत NCP अध्यक्ष चुने जाने की क्या प्रक्रिया है और क्या अजित को इसका पालन करते हुए अध्यक्ष चुना गया था।
अध्यक्ष के चुनाव पर क्या कहता है पार्टी संविधान?
NCP के संविधान के तहत अध्यक्ष पद के लिए आवेदन करने के इच्छुक उम्मीदवार का नाम 10 सदस्यों द्वारा प्रस्तावित किया जाना अनिवार्य है। राष्ट्रीय कार्य समिति आवेदन जमा करने के लिए एक तारीख तय करती है और सभी उम्मीदवारों को तब तक आवेदन जमा करना होता है। रिटर्निंग ऑफिसर को भी एक तय तारीख तक ये आवेदन मिल जाने चाहिए। कार्य समिति का सदस्य होने के नाते इस पूरी प्रक्रिया में वर्तमान पार्टी अध्यक्ष भी शामिल होता है।
चुनाव को लेकर क्या नियम?
NCP के संविधान के अनुसार, अध्यक्ष पद के उम्मीदवारों का नाम सार्वजनिक किए जाने और मतदान की तारीख के बीच कम से कम 7 दिन का अंतर होना चाहिए। चुनाव में राष्ट्रीय और राज्य समितियों के सभी सदस्य वोट डालते हैं। संविधान के तहत मतदान के बाद मतपेटियों को वोटों की गिनती के लिए राष्ट्रीय कार्य समिति को भेजा जाना होता है। इस प्रक्रिया में आपातकालीन स्थिति में पार्टी अध्यक्ष की अनुपस्थिति में वरिष्ठतम महासचिव की मौजूदगी अनिवार्य होती है।
क्या नियमों के तहत अध्यक्ष चुने गए अजित पवार?
मौजूदा अध्यक्ष होने के नाते नए अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया में शरद पवार की मौजूदगी आवश्यक है क्योंकि वह कार्य समिति का हिस्सा हैं, लेकिन 30 जून की बैठक में मतदान और वोटों की गिनती का पवार को पता नहीं है। अजित गुट ने भी इसकी जानकारी सार्वजनिक नहीं की। ऐसे में प्रतीत होता है कि इन सारे नियमों का पालन नहीं किया गया। हालांकि, अभी कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है, इसलिए कुछ स्पष्ट नहीं कहा जा सकता।
शरद पवार का मामले पर क्या कहना है?
पवार ने कहा कि अध्यक्ष चुनाव की प्रक्रिया से उन्हें दूर रखा गया और उन्होंने चुनाव आयोग को भी पत्र लिखकर सवाल उठाया है कि उन्हें क्यों कुछ नहीं बताया गया। उन्होंने कहा, "हम माननीय आयोग से यह स्पष्ट करने का अनुरोध करेंगे कि क्या अजित द्वारा कथित याचिका वास्तव में 30 जून को दायर की गई या 5 जुलाई को। कुछ समाचार रिपोर्ट्स के अनुसार याचिका 30 जून को दायर की गई। इसका जवाब हमारे लिए बेहद महत्वपूर्ण है।"
अजति के दावे पर शरद ने क्या कहा?
गुरुवार को दिल्ली में हुई राष्ट्रीय कार्य समिति की बैठक के बाद शरद ने कहा था कि वह NCP के अध्यक्ष हैं और अगर कोई कहता है कि वह (अजित) पार्टी अध्यक्ष है तो यह पूरी तरह से झूठ है और इसमें कोई सच्चाई नहीं है। उन्होंने कहा, "मुझे प्रफुल्ल पटेल और अन्य की बगावत करने की योजना का पता नहीं था। अब गेंद चुनाव आयोग के पाले में है और उसे ही फैसला करना है।''
क्या है NCP में बगावत का मामला?
अजित एक बार फिर अपने चाचा पवार से बगावत करके मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली भाजपा-शिवसेना की सरकार में शामिल हो गए हैं और उन्हें उपमुख्यमंत्री बनाया गया है। उनके साथ NCP के 12 अन्य विधायक भी आए थे, जिनमें से 8 को मंत्री बनाया गया है। अजित का दावा है कि उन्हें NCP के 41 विधायकों का समर्थन प्राप्त है। उन्होंने NCP और उसका चुनाव चिन्ह हासिल करने के लिए चुनाव आयोग में याचिका दायर की है।
न्यूजबाइट्स प्लस
साल 2019 में भी अजित ने NCP में बगावत कर दी थी। तब उन्होंने देवेंद्र फडणवीस के साथ तड़के राजभवन में शपथ ले ली थी। यह सरकार बमुश्किल 80 घंटे तक चली थी। शरद के सक्रिय होने के बाद अजित पार्टी में वापस आ गए थे। इसके बाद उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास आघड़ी (MVA) सरकार में भी उन्होंने उपमुख्यमंत्री पद संभाला था। महाराष्ट्र में MVA सरकार नवंबर, 2019 से जून, 2022 तक सत्ता में रही।