शिंदे खेमे का दावा- भाजपा के साथ जाने को तैयार थे उद्धव ठाकरे, ये थी शर्त
महाराष्ट्र के विधायक दीपक केसरकर ने शुक्रवार को एक बड़ा दावा किया है। उन्होंने कहा कि शिवसेना में बगावत के बाद अगर बागी विधायक एकनाथ शिंदे का हाथ छोड़ देते तो उद्धव ठाकरे भाजपा के साथ गठबंधन को तैयार थे, लेकिन बागी विधायकों को यह प्रस्ताव मंजूर नहीं था। उन्होंने यह भी खुलासा किया कि पिछले साल प्रधानमंत्री मोदी से मिलने के बाद उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद छोड़ने की योजना बना रहे थे। आइये पूरी खबर जानते हैं।
ठाकरे के लिए कुर्सी से ज्यादा मोदी से संबंध महत्वपूर्ण- केसरकर
शिंदे खेमे के प्रवक्ता केसरकर ने कहा कि ठाकरे के लिए मुख्यमंत्री पद पर बने रहने से ज्यादा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से संबंध ज्यादा महत्वपूर्ण थे। बता दें कि एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना के अधिकतर विधायकों ने उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी। इससे उद्धव ठाकरे की सरकार अल्पमत में आ गई और उन्होंने बहुमत परीक्षण से पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। फिलहाल एकनाथ शिंदे भाजपा के समर्थन से मुख्यमंत्री पद पर काबिज हैं।
बागियों को क्यों मंजूर नहीं था ठाकरे का प्रस्ताव?
केसरकर ने दावा किया बगावत के बाद शिंदे ने किसी तीसरे व्यक्ति के जरिये ठाकरे से संपर्क साधने की कोशिश की थी। इस पर ठाकरे ने कहा था कि वो भाजपा के साथ जाने को तैयार हैं, लेकिन उन्होंने शर्त रखी कि बागी विधायकों को शिंदे का साथ छोड़कर वापस पार्टी में लौटना होगा। उन्होंने कहा कि ठाकरे का यह प्रस्ताव भाजपा और बागी विधायकों को मंजूर नहीं था क्योंकि ऐसा करना अनुचित होता।
पद छोड़ने को तैयार थे ठाकरे- केसरकर
बागी खेमे के प्रवक्ता केसरकर ने दावा किया कि पिछले साल जून में प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात के बाद यह फैसला किया गया था कि उद्धव ठाकरे अगले 15 दिनों में मुख्यमंत्री पद छोड़ देंगे क्योंकि उनके लिए (पद पर बने रहने से ज्यादा) प्रधानमंत्री के साथ संबंध जरूरी थे। ठाकरे की पत्नी, शिवसेना नेता अनिल देसाई और सुभाष देसाई आदि को इसकी जानकारी दी थी। हालांकि, पार्टी कार्यकर्ताओं को मनाने के लिए उन्हें ज्यादा वक्त की जरूरत पड़ी।
ऐसे खराब होते गए संबंध
ठाकरे और मोदी की मुलाकात के बाद जुलाई में भाजपा के 12 विधायकों को खराब बर्ताव के कारण विधानसभा से निलंबित कर दिया था। इससे शिवसेना और भाजपा के संबंधों में तनाव आ गया। इसके बाद भाजपा ने ठाकरे के धुर विरोधी समझे जाने वाले नारायण राणे को केंद्रीय मंत्रीमंडल में जगह दे दी, जिससे दोनों के संबंध और तनावपूर्ण हो गए। इस बीच एकनाथ शिंदे ने कई बार ठाकरे से मिलकर उन्हें मनाने की कोशिश की थी।
ठाकरे गुट का इस पर क्या कहना है?
केसरकर के दावों पर प्रतिक्रिया देते हुए ठाकरे गुट की सदस्य मनीषा कायांडे ने कहा है कि वो रोजाना नए-नए खुलासे कर रहे हैं। उनकी बातें विरोधाभासी होती हैं और वो भ्रमित लग रहे हैं।