गुजरात: संसाधनों से वंचित छात्रों के लिए शिक्षकों की पहल, अपने स्मार्टफोन से करा रहे पढ़ाई
गुजरात में क्लास 3 से 12वीं तक के छात्रों के लिए 15 जून से होम लर्निंग प्रोग्राम शुरू कर दिया गया था ताकि पढ़ाई का नुकसान न हो, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इसके तहत छात्रों को पढ़ाना एक बड़ी चुनौती है। यहां रहने वाले बच्चों के पास इंटरनेट, टेलीविजन और स्मार्टफोन जैसी सुविधाएं न होने के कारण वे इसका लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। ऐसे छात्रों की मदद करने के लिए कुछ शिक्षकों ने अपने कदम बढ़ाए हैं।
43 वर्षीय प्रवीण सिंह खुले मैदान में लगा रहे क्लास
गुजरात के जनजातीय जिले दाहोद के प्राथमिक विद्यालय के 43 वर्षीय शिक्षक प्रवीण सिंह जडेजा घर से निकलकर स्कूल के बजाय छात्रों के घर के पास जाकर उन्हें पढ़ा रहे हैं। इसके लिए उन्हें कीचड़ वाली सड़क पार करते हुए खुले मैदान में जाना पड़ता है। वहां वे अपने स्मार्टफोन की मदद से क्लासेस शुरू करते हैं। वे ऐसा इसलिए कर रहे हैं ताकि कोरोना वायरस के चलते स्कूल बंद होने के कारण छात्रों की पढ़ाई का नुकसान न हो।
छात्रों के पास नहीं है इंटरनेट और टेलीवीजन जैसी सुविधाएं
जडेजा के पास पढ़ाई करने के लिए आने वाले बच्चे प्राथमिक स्कूल की तीसरी से पांचवीं तक के छात्र हैं। ये छात्र इंटरनेट या टेलीविजन जैसी सुविधाएं न होने के कारण दूरदर्शन गिरनार पर प्रसारित हो रहे होम लर्निंग प्रोग्राम का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। ऐसे छात्रों की मदद करने के लिए जडेजा के अलावा दाहोद के लगभग 30 शिक्षक अलग-अलग गावों में जाकर बच्चों को पढ़ा रहे हैं।
सभी छात्रों को होना चाहिए इस नई प्रक्रिया का हिस्सा- जड़ेजा
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार जड़ेजा का कहना है कि वे इन बच्चों के साथ उस समय से हैं जब उन्होंने स्कूल जाना शुरू किया था और उनकी इच्छा है कि वे सभी छात्र सीखने की इस नई प्रक्रिया का हिस्सा बनें। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जड़ेजा की क्लास 5.5 इंच के एंड्रॉयड स्मार्टफोन पर दूरदर्शन गिरनार के यूट्यूब चैनल पर लाइव सेशन के साथ शुरू होती है।
स्कूल के केवल तीन छात्रों के पास है टेलीवीजन
एक अधिकारी ने बताया कि स्कूल में प्रिंसिपल सहित तीन शिक्षक हैं, जो बच्चों के पास जाकर उन्हें पढ़ाते हैं। स्कूल में केवल तीन छात्रों के घर पर टेलीविजन हैं। शिक्षकों द्वारा दूसरे छात्रों को उनके घरों में ग्रुप्स में पढ़ाया जा रहा है।
"खेत जा रहे बच्चों को क्लास में शामिल करना है चुनौती"
स्कूल के प्रिंसिपल सोमसिंह मोहनिया का कहना है कि उन छात्रों का पता लगाना और उन्हें क्लास में शामिल करना एक और चुनौती है, जो अपने माता-पिता के साथ खेतों में जाते हैं। यह सुनिश्चित करना भी महत्वपूर्ण है कि वे समझें कि शिक्षक क्या कह रहे हैं। वहीं 5वीं के एक छात्र का कहना है कि ब्लैकबोर्ड आदि के बिना यह समझना मुश्किल है कि क्या पढ़ाया जा रहा है, लेकिन शिक्षक के मोबाइल से पढ़ना भी मजेदार है।
आधे से भी कम छात्र उठा पा रहे प्रोग्राम का लाभ
दाहोद में सरकारी प्राथमिक विद्यालयों के 3-5वीं में 1,53,195 छात्र नामांकित हैं। आकंड़ों के अनुसार 39.44% छात्र 8 जुलाई को प्रोग्राम का हिस्सा बन पाए थे। वहीं 6वीं-12वीं में पढ़ाई कर रहे 2,13,228 छात्रों में से 42.35% छात्रों ने इसे पूरे दिन देखा था। जिला प्राथमिक शिक्षा अधिकारी डी बी पटेल का कहना है कि दाहोद सामाजिक-आर्थिक रूप से पिछड़ा है। पहले बच्चे अपने माता-पिता के साथ यात्रा करते थे, लेकिन अब वे शिक्षा पर ध्यान दे रहे हैं।