इजरायली कंपनी के स्पाईवेयर से भारत के कई नेताओं, पत्रकारों और अधिकारियों की हुई जासूसी- रिपोर्ट
रविवार को सामने आई एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इजरायली कंपनी NSO ग्रुप के स्पाईवेयर पेगासस का इस्तेमाल कर कई देशों के पत्रकारों, नेताओं, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और चर्चित हस्तियों की फोन के जरिये जासूसी की गई। भारत में मोदी सरकार के दो पदासीन मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, एक संवैधानिक अधिकारी, कई पत्रकारों और कारोबारियों समेत 300 लोगों के फोन नंबर इस डाटाबेस में मिले हैं। यह सामने नहीं आया है कि यह जासूसी किसने की है।
NSO ग्रुप क्या काम करती है?
NSO ग्रुप इजरायल की एक साइबर सुरक्षा कंपनी है जो तेल अवीव में स्थित है। यह कंपनी सर्विलांस टेक्नोलॉजी बनाती है। कंपनी का दावा है कि वह केवल संप्रभु सरकारों को ही अपना स्पाईवेयर बेचती है और उनकी आतंकवाद और जुर्म से लड़ने में मदद करती है। पेगासस के जरिए जासूसी किए जाने का पहला मामला 2016 में सामने आया था। तब संयुक्त अरब अमीरात के रहने वाले मानवाधिकार कार्यकर्ता अहमद मंसूर को निशाना बनाया गया था।
कैसे काम करता है पेगासस स्पाईवेयर?
टारगेट को मॉनीटर करने के लिए पेगासस ऑपरेटर उसके पास एक लिंक भेजता है। लिंक पर क्लिक होते ही यूजर के फोन में पेगासस स्पाईवेयर इंस्टॉल हो जाता है और उसे इसका पता नहीं चलता। डाउनलोड होने के बाद पेगासस अपने ऑपरेटर की कमांड पर चलता है। यह कमांड देने पर टारगेट के पासवर्ड, कॉन्टैक्ट, लिस्ट, कैलेंडर इवेंट, टेक्सट मैसेज समेत पर्सनल डाटा ऑपरेटर के पास भेजता रहता है। यह फोन का कैमरा और माइक भी एक्टिवेट कर सकता है।
भारत में 'द वायर' ने प्रकाशित की रिपोर्ट
रविवार को यह रिपोर्ट जारी करने वालों में भारत की मीडिया वेबसाइट 'द वायर' भी शामिल हैं। 'द वायर' ने बताया कि करीब 50,000 टेलीफोन नंबरों का एक डाटाबेस लीक हुआ है। इसमें भारत के 300 नंबर है। सबसे पहले यह डाटाबेस फ्रांस के गैर लाभकारी संगठन फॉरबिडेन स्टोरीज और एमनेस्टी इंटरनेशनल को मिला, जिसे बाद में द गार्डियन, वॉशिंगटन पोस्ट, ले मॉन्डे, द वायर और यूरोप और अरब देशों के 11 मीडिया संगठनों के साथ साझा किया गया।
डाटाबेस में नंबर होने का क्या मतलब?
लीक हुए डाटाबेस में 300 मोबाइल नंबर ऐसे हैं, जिन्हें भारतीय नेता, पत्रकार, कारोबारी, सरकारी अधिकारी, मानवाधिकार कार्यकर्ता और वकील आदि इस्तेमाल करते हैं। हालांकि, द गार्डियन ने बताया है कि डाटाबेस में नंबर मौजूद होने से यह पुष्टि नहीं हो जाती कि उन मोबाइल फोन्स में पेगासस स्पाईवेयर इंस्टॉल किया गया था या उन्हें हैक किया गया हो। ये संभावित निशाना भी हो सकते हैं या इन्हें हैक करने की नाकाम कोशिश की गई थी।
कई मीडिया घरानों के पत्रकारों की जासूसी का शक
द वायर की रिपोर्ट के मुताबिक, लीक हुए डाटाबेस में हिंदुस्तान टाइम्स, द हिंदू, इंडिया टुडे, नेटवर्क 18, इंडियन एक्सप्रेस, द वायर आदि के पत्रकारों के नाम शामिल है। इनके अलावा पत्रकार रोहिणी सिंह और पूर्व में इंडियन एक्सप्रेस से जुड़े रहे सुशांत सिंह का नाम भी शामिल है। रोहिणी सिंह ने जहां गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह से जुड़ी खबरें की थीं तो वहीं सुशांत सिंह राफेल सौदे को लेकर खबरें लिखते आए हैं।
कई पत्रकारों के फोन में छेड़छाड़ की हुई पुष्टि
रिपोर्ट में कहा गया है कि सुशांत सिंह, स्मिता शर्मा, EPW के पूर्व संपादक परंजॉय गुहा ठाकुरता, द हिंदू की विजेता सिंह, आउटलुक के पूर्व पत्रकार एसएनएम आबिदी और द वायर के दो संस्थापक संपादकों सिद्धार्थ वर्दराजन और एमके वेणु के फोन की जांच की गई। इसमें पाया गया कि सुशांत, परंजॉय, आबिदी, सिद्धार्थ और वेणु के फोन में पेगासस से छेड़छाड़ की गई थी। नेताओं और अधिकारियों के नाम अगली रिपोर्ट्स में सामने आ सकते हैं।
"दुनियाभर में लोकतंत्र पर हो रहा हमला"
BBC से बात करते हुए फॉरबिडेन स्टोरीज के संस्थापक लॉरें रिचर्ड ने कहा कि दुनियाभर के पत्रकार और मानवाधिकारों के लिए काम करने वाले सर्विलांस का शिकार है, जो दिखाता है कि दुनियाभर में लोकतंत्र पर हमला हो रहा है। उन्होंने कहा कि डाटाबेस में मौजूद नंबर का मतलब यह नहीं है कि ये हैक हुए हैं। इनमें से कुछ की पेगासस के जरिये निगरानी की जा रही थी। पेगासस का हथियार के तौर पर काम किया गया है।
50 से अधिक देशों में सर्विलांस का दायरा बहुत बड़ा- रिचर्ड
रिचर्ड ने कहा कि 50 से अधिक देशों में चलाए गए सर्विलांस का दायरा बहुत बड़ा है और आने वाले हफ्तों में कई दमदार रिपोर्ट्स सामने आएंगी, जिसमें कई लोगों के नाम उजागर होंगे। बताया जा रहा है यह रिपोर्ट पांच भागों में प्रकाशित होगी।
NSO ग्रुप का क्या कहना है?
NSO ने अपने स्पाईवेयर के जरिये पत्रकारों और दूसरे लोगों के फोन की जासूसी करने के आरोपों का खंडन किया है। कंपनी का कहना है कि लीक हुआ डाटाबेस पेगासस का उपयोग करने वाली सरकारों द्वारा निशाना बनाए गए लोगों का नहीं है। यह मुमकिन है कि ये डाटा कंपनी के ग्राहकों की बड़ी लिस्ट से हो, जिनका दूसरे कारणों से उपयोग किया गया। बता दें कि कंपनी अपने ग्राहकों की पहचान जाहिर नहीं करती।
भारत सरकार ने क्या प्रतिक्रिया दी है?
चूंकि NSO का कहना है कि वह अपना पेगासस स्पाईवेयर केवल सरकारों या मान्यता प्राप्त सरकारी एजेंसियों को ही बेचती है तो इसके जरिये जासूसी की रिपोर्ट सामने आने पर सरकार पर सवाल उठने लगे हैं। भारत सरकार ने रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि इन आरोपों का मजबूत आधार नहीं है और न ही इनमें सच्चाई है। पहले भी ऐसी रिपोर्ट्स आई थीं, जो तथ्यों पर आधारित नहीं थी और सभी पक्षों ने दावे खारिज किए थे।